उत्तराखंड: जंगल की आग में 4 की मौत के बाद दो वनाधिकारी निलंबित

उत्तराखंड में अल्मोड़ा जिले के बिनसर वन्यजीव अभयारण्य में जंगल की आग बुझाने गए चार वनकर्मियों की मौत के बाद, ड्यूटी पर लापरवाही के आरोप में दो वन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।

गुरुवार को बिनसर वन्यजीव अभयारण्य में आग लग गई। इसके बाद आठ वनकर्मियों को आग बुझाने के लिए भेजा गया। हालांकि, जैसे ही टीम अपने वाहन से उतरी, तेज हवाओं के कारण आग बढ़ गई और चार वनकर्मियों की जलकर मौत हो गई, जबकि चार अन्य घायल हो गए।

सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, घटना से निपटने में लापरवाही बरतने के आरोप में अल्मोड़ा के उत्तरी कुमाऊं सर्किल के वन संरक्षक कोको रोज़ और सिविल सोयम वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी ध्रुव सिंह मर्तोलिया को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। जबकि कुमाऊं के मुख्य वन संरक्षक पी के पात्रो को तत्काल प्रभाव से देहरादून में उत्तराखंड के मुख्य वन संरक्षक (एचओएफ) कार्यालय से अटैच कर दिया गया है।

घायल वनकर्मियों को पहले हल्द्वानी के सुशीला तिवारी बेस अस्पताल ले जाया गया था। फिर उन्हें बेहतर इलाज के लिए एयरलिफ्ट करके दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ले जाया गया।

पिछले महीने, अल्मोड़ा जिले में एक रेजिन फैक्ट्री जंगल की आग में घिर गई थी और आग बुझाने की कोशिश कर रहे तीन कर्मचारियों की मौत हो गई थी। गर्म और शुष्क मौसम के कारण उत्तराखंड के जंगलों में फिर से आग भड़कने लगी है।

बाकू शिखर सम्मेलन से पहले बॉन में जलवायु वित्त पर नहीं हो पाया समझौता

कॉप29 के पहले संयुक्त राष्ट्र की अर्धवार्षिक जलवायु वार्ता के लिए जर्मनी के बॉन शहर में इकठ्ठा हुए देशों के बीच क्लाइमेट फाइनेंस के महत्वपूर्ण मुद्दे पर आम सहमति नहीं बन पाई

इस साल का जलवायु महासम्मेलन (कॉप29) नवंबर में बाकू में आयोजित किया जाएगा। उसके पहले नए कलेक्टिव क्वाइंटिफाइड गोल (एनसीक्यूजी) को परिभाषित करने पर बॉन में समझौता होना था। लेकिन इस वार्ता में एनसीक्यूजी पर कोई प्रगति नहीं हो पाई, जिसे लेकर दोनों पक्षों के देशों के प्रतिनिधियों ने निराशा व्यक्त की।

दुनिया के तमाम देश वर्ष के मध्य में होने वाली वार्ता के लिए जर्मनी के बॉन शहर में जमा हुए थे। यहां क्लाइमेट चेंज पर संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के प्रमुख साइमन स्टेल ने सभी देशों से कहा उन्हें 2025 के बाद के लिए नए क्लाइमेट फाइनेंस हेतु “गंभीर तरक्की” करनी होगी। 

हालांकि, विकसित और विकासशील देशों में इस बात पर अलग-अलग मत हैं कि कितना पैसा दिया जाना चाहिए, किसे प्रदान करना चाहिए और “जलवायु वित्त” को कैसे परिभाषित किया जाना चाहिए। स्टेल ने देशों से अधिक महत्वाकांक्षी जलवायु योजनाओं के साथ आगे आने का भी आह्वान किया, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के रूप में जाना जाता है।  इन योजनाओं का अगला दौर 2025 में प्रस्तुत किया जाना है। 

इस बीच, रॉयटर्स  ने रिपोर्ट दी है कि दो जलवायु कार्यकर्ताओं – अनाबेला रोज़मबर्ग और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक तसनीम एस्सोप — को गाजा में इज़राइल के युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए मंच पर आने के बाद बॉन सम्मेलन से निष्कासित कर दिया गया।

बिहार की दो मानव निर्मित आद्रभूमियों को रामसर स्थल के रूप में मिली मान्यता

बिहार के नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों को रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व की आद्रभूमियों (वेटलैंड्स) के रूप में मान्यता दे दी गई है

ये मानव निर्मित आद्रभूमियां अनगिनत वनस्पतियों के साथ-साथ कई तरह के जीवों, विशेष रूप से पक्षियों के प्राकृतिक आवास प्रदान करती हैं। गौरतलब है कि यह दोनों ही आद्रभूमियां बिहार के जमुई में स्थित हैं। इनके शामिल होने से भारत में रामसर स्थलों की संख्या बढ़कर 82 हो गई है। भारत में सबसे बड़ा रामसर स्थल पश्चिम बंगाल में सुंदरबन वेटलैंड है जो 4,230 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है।

बता दें कि रामसर कन्वेंशन, आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसपर 1971 में ईरान के रामसर शहर में हस्ताक्षर किए गए थे।

क्लाइमेट वैज्ञानिक शीनबॉम बनीं मैक्सिको की पहली महिला राष्ट्रपति 

क्लाइमेट साइंटिस्ट रह चुकी क्लॉडिया शीनबॉम, जो पहले मैक्सिको सिटी की प्रमुख रह चुकी हैं, अब देश की पहली महिला राष्ट्रपति चुनी गई हैं। समाचार वेब साइट एक्जिओस के मुताबिक “वामपंथी सत्ताधारी पार्टी मोरेना की सदस्य रह चुकी शीनबॉम ने अपने गुरू और निवर्तमान राष्ट्रपति एन्ड्रेस मैनुअल लोपेज़ ओब्रेडोर की जैसी ही नीतियां प्रस्तावित की हैं।” इसके तहत केंद्रीय  शीनबॉम चाहती हैं कि निजी पैसे के बजाय देश में सार्वजनिक निवेश के ज़रिये एनर्ज़ी ट्रांजिशन को बढ़ाया जाये और नवीनीकरणीय ऊर्जा के संयंत्रों को फैलाया जाये और इसमें सरकारी तेल कंपनियों से मदद ली जाये।  

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक शीनबॉम एनर्ज़ी इंजीनियरिंग में पीएच. डी. हैं और वह 2007 में संयुक्त राष्ट्र के क्लाइमेट वैज्ञानिकों के पैनल आईपीसीसी के लेखकों में एक थीं। इसी साल आईपीसीसी को नोबेल पुरस्कार मिला था।  अख़बार बताता है कि “भौतिक विज्ञान और ऊर्जा क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय योगदान के लिये उनकी पहचान” है। 

कॉप28 के बाद से चरम मौसम की घटनाओं से हुआ 41 अरब डॉलर का नुकसान

एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल दिसंबर में दुबई में हुए कॉप28 के बाद से चरम मौसम की घटनाओं के कारण वैश्विक स्तर पर 41 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है।

ब्रिटेन स्थित एनजीओ क्रिश्चियन एड की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले छह महीनों में चार चरम मौसम की घटनाओं 2,500 से अधिक लोग मारे गए। वैज्ञानिकों ने साबित किया है कि इन सभी घटनाओं के अधिक संभावित और/या तीव्र होने का कारण जलवायु परिवर्तन है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉप28 के बाद से जीवाश्म ईंधन का प्रयोग कम करने या जलवायु आपदाओं से निपटने में विकासशील देशों का समर्थन करने की ओर अपर्याप्त प्रगति हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार $41 बिलियन की क्षति का अनुमान भी बहुत कम है। आम तौर पर केवल बीमाकृत नुकसान की ही सूचना दी जाती है, और कई सबसे भयंकर आपदाएं उन देशों में हुई हैं जहां कई लोगों या व्यवसायों के पास बीमा नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन आंकड़ों में मानव जीवन को हुई हानि भी पूरी तरह से शामिल नहीं है।

बीएमसी ने लांच किया क्लाइमेट बजट
विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के अवसर पर, बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने साल 2024-25 के लिए एक क्लाइमेट बजट का अनावरण किया। बीएमसी के अधिकारियों ने कहा कि यह देश का पहला और ओस्लो, न्यूयॉर्क और लंदन के बाद वैश्विक स्तर पर चौथा शहरी नगर निकाय है, जिसने क्लाइमेट बजट लॉन्च किया है। यह मौजूदा वित्तीय बजट से अलग बजट नहीं है बल्कि जलवायु के अनुरूप किए जा रहे सभी कार्यों को इस बजट में शामिल किया गया है।

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