रूस के साखा गणराज्य में बटागाइका क्रेटर खतरनाक दर से पिघल रहा है और इसका विस्तार हो रहा है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि बढ़ते तापमान और उच्च मानवजनित दबाव के कारण, विश्व में इस तरह के मेगास्लंप और देखने को मिलेंगे, जब तक सारी स्थायी तुषार भूमि, यानी पर्माफ्रॉस्ट खत्म नहीं हो जाती।
यह 100 मीटर (328 फीट) गहरा क्रेटर 1960 के दशक में बनना शुरू हुआ जब आसपास के जंगल साफ कर दिए गए और भूमिगत पर्माफ्रॉस्ट पिघलना शुरू हुआ, जिससे जमीन धंसने लगी।
स्थानीय लोग जिसे ‘केव-इन’ कहते हैं वह 1970 के दशक में पहले एक खड्ड के रूप में विकसित हुआ और अंततः गर्म दिनों के दौरान पिघलने से उसमें विस्तार होने लगा। पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से उत्तरी और उत्तरपूर्वी रूस के शहरों और कस्बों में सड़कों का खिसकना, घरों का टूटना और पाइपलाइनों का बाधित होना शुरू हो चुका है।
यदि यह पिघलना जारी रहता है तो इससे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और ग्रीनहाउस गैसों का अधिक उत्सर्जन होगा, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ेगी।