योजना की ज़रूरत: भारत में भू-जल संरक्षण की कोशिश कृषि में मौलिक बदलाव किये बिना संभव नहीं है। फोटो: Down To Earth

भारत में भू-जल का गहराता संकट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने जो रिपोर्ट दी है वह भारत में भू-जल (ग्राउंड वाटर) को लेकर बड़ी चिंतायें पैदा करने वाली है। भारत में करीब 54% कुंओं में जल स्तर गिरा है जो ग्राउंड वाटर पर नज़र रखने के लिये बनाये गये हैं। हरियाणा, राजस्थान और तमिलनाडु में हाल सबसे ख़राब है। देश में कुल 6,584 कुंओं का अध्ययन किया गया। इनमें से एक तिहाई को बिल्कुल निचोड़ लिया गया है। केवल 10% को केंद्रीय भू-जल प्राधिकरण (CGWA) ने नोटिफाई किया है। 

जलवायु परिवर्तन के कारण बरसात बहुत असामान्य हो गई है और कृषि की निर्भरता ग्राउंड वाटर पर काफी हद तक बढ़ गई है। आज भारत की 62% सिंचाई भू-जल पर निर्भर है दुनिया के कुल ग्राउंड वाटर का 25% का दोहन भारत कर रहा है। नया विश्लेषण बताता है कि सामान्य से अधिक वर्षा के होने के बावजूद खस्ताहाल कृषि और सिंचाई योजना भारत में पानी के संकट के लिये सबसे अधिक ज़िम्मेदार है।  सोलर पम्प मुहैया कराने की सरकार की योजना KUSUM स्थिति और बिगाड़सकती है। इस योजना के तहत सरकार कुल 27.5 लाख सोलर पंप दे रही है जिसमें 10 लाख ग्रिड से जुड़े होंगे और 17.5 लाख किसानों के अलग से दिये जा रहे हैं। 

कृषि के लिये विशेषज्ञ समिति ने जो सिफारिश की हैं उनमें कहा गया है कि ज़मीन से पानी निकालने वाले वाले साधनों को (जैसे बोरवेल) को पंजीकृत कराया जाये। इससे पानी के इस्तेमाल पर नज़र रखी जा सकेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.