ट्रम्प प्रशासन ने विलुप्त होती प्रजातियों से जुड़ा कानून ढीला कर अब उन इलाकों को “आर्थिक सर्वे” के लिये खोल दिया है जहां अब तक इंसानी दखल नहीं था। इन दुर्लभ क्षेत्रों में अब अमेरिका की बड़ी बड़ी कंपनियां तेल और गैस की संभावनाओं का पता लगायेंगी। ट्रम्प ने इससे पहले स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों के विरोध के बावजूद अलास्का के राष्ट्रीय वन्य जीव क्षेत्र में भी तेल और गैस परिशोधन की अनुमति दे दी थी। जानकारों को डर है कि अभी इस तरह के कई और क्षेत्रों से पाबंदियां हटेंगी।
मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी ने जीवाश्म ईंधन से तौबा की
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने घोषणा की है कि वह जीवाश्म ईंधन से जुड़ी किसी भी कंपनी से रिश्ता नहीं रखेगी। कंपनी ने तय किया है कि वह ऐसी कंपनियों से हर तरह के निवेश हटा लेगी। यह फैसला दुनिया को यह संदेश देने के लिये है कि कोयला, तेल और गैस से जुड़ी हर कंपनी मानवाधिकारों के खिलाफ है क्योंकि जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन हो रहा है जो कि जलवायु परिवर्तन का कारण है। जलवायु परिवर्तन ही बाढ़, चक्रवाती तूफान और सूखे जैसे विनाशलीला के लिये ज़िम्मेदार है। ऐसी आपदाओं की सबसे बड़ी मार कमज़ोर और गरीब लोगों पर पड़ रही है।
अमेरिका में 10600 MW के कोयला बिजलीघर होंगे बन्द
अमेरिका में इस साल 10,600 मेगावॉट के कोयला बिजलीघर या तो बन्द कर दिये जायेंगे या फिर उन्हें गैस से चलाया जायेगा। पिछले साल (2018 में) 13,000 मेगावॉट क्षमता के कोयला बिजलीघर बन्द किये गये थे। सस्ती शेल गैस की उपलब्धता और साफ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ने से अमेरिका में कोयला बिजलीघर बन्द हो रहे हैं। हालांकि जानकार कहते हैं कि इसके बावजूद यह नहीं कहा जा सकता कि अमेरिका से कार्बन उत्सर्जन कम होगा क्योंकि अमेरिका अभी तेल और गैस का बिजली के लिये इस्तेमाल कर रहा है और शेल गैस का ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में काफी रोल रहता है। यह भी सच है कि बन्द हो रहे कई कोयला बिजलीघर पुराने पड़ चुके हैं जिन्हें रिटायर होना ही था।