इस साल की पहली तिमाही में नीलाम की गई सौर क्षमता में 69% की गिरावट आई।

सोलर टेंडर्स में 43% की वृद्धि, लेकिन नीलामी में आई 50% की गिरावट

भारत में विभिन्न एजेंसियों द्वारा मंगाए गए सोलर टेंडर पिछली तिमाही के मुकाबले इस साल की पहली तिमाही में 43 प्रतिशत बढ़कर 13.8 गीगावाट तक पहुंच गए। 

पिछली तिमाही, यानि 2022 की चौथी तिमाही में 9.7 गीगावाट की निविदाएं जारी की गईं थीं।

मेरकॉम इंडिया के रिसर्च के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में बड़े टेंडरों (>500 मेगावाट) की संख्या पिछली तिमाही की तुलना में बढ़ी है।

निविदा घोषणाओं में पिछले साल की पहली तिमाही की तुलना में 172 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 

हालांकि, इस तिमाही में पिछली के मुकाबले हुई नीलामी में 50 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। वहीं पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में नीलाम की गई सौर क्षमता में 69 प्रतिशत की गिरावट आई, जिसका कारण मॉडल और निर्माताओं की स्वीकृत सूची (एएलएमएम) नीति के निलंबन को लेकर अनिश्चितता को बताया जा रहा है।

अप्रैल की शुरुआत के साथ पूरी क्षमता पर बिजली उत्पादन करेंगे कोयला संयंत्र

अप्रैल की शुरुआत के साथ भारत सरकार का कोयला बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता पर काम करने का आदेश लागू होगया है। सरकार ने भीषण गर्मी में बिजली की मांग को देखते हुए अप्रैल से जून तक अधिकतम क्षमता पर संचालित करने का आदेश जारी किया था। सरकार को उम्मीद है कि अप्रैल में बिजली की मांग 229 गीगावाट तक पहुंच जाएगी।

जानकारों का कहना है कि इस आदेश से भारत का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन नाटकीय रूप से बढ़ेगा। भारत पहले से ही दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है। लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण लगातार बढ़ रही गर्मी से देश में ऊर्जा की मांग भी बढ़ती जा रही है, जिससे ग्रिडों पर अधिक भार पड़ रहा है। 

पिछली फरवरी की तुलना में इस साल फरवरी में भारत की बिजली खपत 10 प्रतिशत बढ़ी है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले हफ्तों में ऊर्जा खपत के रिकॉर्ड टूट सकते हैं। 

वहीं देश की ऊर्जा आवश्यकताओं का 10 प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त होता है।

लेकिन फरवरी में जारी एक सरकारी आदेश के अनुसार किसी भी आगामी कोयला या लिग्नाइट-आधारित कमर्शियल थर्मल पावर प्लांट को अपनी कुल ऊर्जा का 40 प्रतिशत  हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादित करना होगा।

हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं को ट्रांसमिशन शुल्क में मिलनेवाली छूट की अवधि बढ़ी

भारत सरकार ने हाइड्रोजन मैन्युफैक्चरिंग संयंत्रों को अक्षय ऊर्जा ट्रांसमिशन करने के शुल्क पर दी जाने वाली छूट की अवधि बढ़ा दी है। अब जनवरी 2031 से पहले शुरू किए जाने वाले संयंत्रों पर यह छूट दी जाएगी। इससे पहले इस छूट की अवधि जुलाई 2025 तक थी।

भारत हरित हाइड्रोजन का दुनिया का सबसे सस्ता उत्पादक बनना चाहता है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार इस कदम से और अधिक हरित हाइड्रोजन उत्पादन परियोजनाओं को 25 सालों के लिए ट्रांसमिशन शुल्क पर छूट मिल सकेगी।क्योंकि बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन और अमोनिया परियोजनाओं के निर्माण में तीन से चार साल लगते हैं, और कई परियोजनाओं के जून 2025 तक चालू होने की  संभावना नहीं थी।

भारत का लक्ष्य है दुनिया में सबसे कम दरों पर हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना, जो मौजूदा 4-5 डॉलर प्रति किलोग्राम से घटाकर 1-1.50 डॉलर प्रति किलोग्राम तक लाया जाना है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज और अदानी एंटरप्राइजेज ने 2030 तक 1 डॉलर प्रति किलो की लागत का लक्ष्य प्राप्त करने की घोषणा की है।

स्वच्छ ऊर्जा तकनीक के लिए विदेशों में महत्वपूर्ण खनिज संपदा खरीदेगा भारत

भारत विदेशों में महत्वपूर्ण खनिज संपत्तियों का अधिग्रहण करेगा ताकि देश में स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी के विकास के लिए महत्वपूर्ण घटकों की कमी न हो, खनन सचिव विवेक भारद्वाज ने जी20 समूह के एक सम्मलेन के दौरान कहा।

ईटी की रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल ऐसी सम्पत्तियां मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना में तलाशी जा रही हैं।

जी20 एनर्जी ट्रांजिशन वर्किंग ग्रुप की बैठक को संबोधित करते हुए भारद्वाज ने कहा कि एक अध्ययन के अनुसार, 15 देशों के पास दुनिया के 55-90% महत्वपूर्ण खनिज भंडार और प्रोसेसिंग क्षमता है।

बैठक में स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के विविधीकरण पर बात की गई, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा भंडारण के लिए उभरती हुई तकनीकों में खनिजों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

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