भारत ने साल 2070 तक नेट ज़ीरो का लक्ष्य घोषित किया है

कोयला बिजलीघरों को बन्द कर बचा सकते हैं 1.1 लाख करोड़

पर्यावरण संरक्षण पर सलाह देने वाली क्लाइमेट रिस्क हॉराइज़न (CRH) की ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में निर्माणाधीन और पुराने कोयला पावर प्लांट को बन्द करने से न केवल इमीशन में भारी कटौती होगी बल्कि बिजली वितरण कंपनियों और उपभोक्ताओं के कुल 1.1 लाख करोड़ रूपये की बचत भी होगी। रिपोर्ट कहती है कि 53,000 करोड़ की बचत तो अगले 5 सालों में 11 राज्यों के  20 साल से अधिक पुराने कोयला घरों को बन्द करने से ही हो जायेगी। रिपोर्ट कहती है कि पुराने बिजलीघरों में प्रदूषक नियंत्रक टेक्नोलॉजी लगाने के बजाय उन्हें बन्द करना आर्थिक रूप से अधिक मुफीद होगा। 

महाराष्ट्र: आरे का 600 एकड़ घोषित होगा ‘रिज़र्व फॉरेस्ट’ 

महाराष्ट्र सरकार ने आरे के 600 एकड़ इलाके को ‘रिज़र्व फॉरेस्ट’ घोषित करने का फैसला किया है। इस इलाके में कोई सड़क या अन्य निर्माण कार्य नहीं होगा। इसे या तो इको टूरिज्म स्पॉट बनाया जायेगा या फिर इसे यूं ही छोड़ दिया जायेगा। कुछ वक्त पहले ही मेट्रो कार पार्किंग के लिये यहां पेड़ काटे जाने की वजह से बवाल हुआ। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अब अधिकारियों से कहा है वह कार पार्किंग बनाने के लिये दूसरी जगह ढूंढें। एक नई रिपोर्ट से मिली जानकारी दुनिया भर में कोयले का प्रयोग कम करने की दिशा में उत्साहवर्धक हो सकती है। 

यूरोपीय संसद में 2030 तक 60% इमीशन कट के लिये वोट 

यूरोपीय संसद ने इमीशन घटाने के लक्ष्य को और महत्वाकांक्षी बनाने के लिये पहल की है। इसकी पर्यावरण कमेटी ने इस बात के पक्ष में मतदान किया है कि अगले 10 सालों में इमीशन (1990 के स्तर पर ) 60% कम किये जायें और इसे लक्ष्य को हासिल करना कानूनी रूप से अनिवार्य बनाया जाये। यूरोपीय यूनियन 2050 तक अपनी अर्थव्यवस्था को क्लाइमेट न्यूट्रल (कुल कार्बन इमीशन शून्य) करना चाहती है। अक्टूबर में इस क़ानून पर वोटिंग होगी। 

गूगल ने ज़ीरो कार्बन फुट प्रिंट का दावा किया 

दुनिया के जाने माने सर्च इंजन को बनाने वाली कंपनी गूगल ने घोषणा की है कि उसका कार्बन फुट प्रिंट ज़ीरो है क्योंकि उसे ‘उम्दा क्वॉलिटी के ऑफसेट’ में निवेश किया है। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा है कंपनी का अगला उद्देश्य अपने सभी दफ्तरों और डाटा सेंटर को कार्बन फ्री  ऊर्जा पर चलाना है।

Website | + posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.