भूमि का संकट: विशेषज्ञों का कहना है कि साफ ऊर्जा संयत्रों को लगाने के लिये भविष्य में ज़मीन का संकट आड़े आ सकता है। फोटो-Pixabay

साफ ऊर्जा लक्ष्य हासिल करने के लिये भूमि इस्तेमाल में समझदारी दिखानी होगी: IEEFA

ऊर्जा क्षेत्र में आर्थिक पहलुओं पर नज़र रखने वाली ईफा (IEEFA) ने कहा है कि 2050 तक नेट ज़ीरो हासिल करने के लिये अगर भारत को अपने साफ ऊर्जा लक्ष्य हासिल करने हैं तो सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों को लगाने के लिये भूमि इस्तेमाल समझदारी से करना होगा। ईफा का अनुमान है कि 2050 तक भारत में सौर ऊर्जा के लिये  50,000-75,000 वर्ग किलोमीटर ज़मीन की ज़रूरत होगी जबकि पवन ऊर्जा में 15,000-20,000 वर्ग किलोमीटर ज़मीन लगेगी। इतनी ज़मीन का मतलब भारत के कुल क्षेत्रफल का 1.7-2.5%  या वन क्षेत्र का 2.2-3.3% है। 

ईफा का सुझाव है कि भारत के लैंज-यूज़ को कम करने के लिये समुद्र में (ऑफशोर), छतों पर और वॉटर बॉडीज़ पर पैनल फिट करने चाहिये। रिपोर्ट कहती है कि जो प्रोजेक्ट इस तरह की सोच से भूमि की मांग को कम कर सकें उन्हें बढ़ाना देना चाहिये। 

पैनल की कीमतों में “जादुई कमी” ही साफ ऊर्जा प्रोजेक्ट्स को बचा सकती है: अध्ययन 

एक ओर सौर ऊर्जा की दरें कम हो रही हैं और दूसरी ओर निवेश के लिये कर्ज़ पर ब्याज़ दरें ऊंची हैं। अब प्रोजेक्ट के कामयाब होने के लिये ज़रूरी है कि पैनल की कीमतों में “जादुई कमी” हो। यह बात ब्रिज टु इंडिया के अध्ययन में कही गई है। सोलर सेलों और मॉड्यूल्स पर बेसिक कस्टम ड्यूटी लगने और उपकरणों की कीमतें बढ़ने के बाद भी सौर ऊर्जा की दरें गिरी हैं। पिछले 7 हफ्तों में हुई नीलामियों में कुल 3,950 मेगावॉट के अनुबंध हुए हैं और निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी से दरें और गिर रही हैं। 

सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने पाया है कि हाल में विंड-सोलर के हाइब्रिड प्रोजेक्ट्स की नीलामी  ₹ 2.34 से ₹ 2.35 की दरों पर हुई है जो दिसंबर 2020 में हुई नीलामी दरों से 3% है। 

सौर ऊर्जा: इस साल दूसरी तिमाही में 2,488 मेगावॉट पावर की बढ़त 

भारत ने साल 2021 के कैलेंडर साल के दूसरे तिमाही (अप्रैल-जून) में 2,488 मेगावॉट क्षमता जोड़ी। यह इस कैलेंडर वर्ष की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में लगाई गई सोलर पावर (2,090 मेगावॉट) की तुलना में 19% की बढ़त है। पिछले  मंगलवार को जारी मरकॉम इंडिया की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है जिसमें कहा गया है कि किसी भी साल पहली छमाही में सोलर में इतनी बढ़त नहीं हुई।  

मरकॉम के मुताबिक साल दर साल की तुलना करें तो पिछले कैलेंडर वर्ष की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) की तुलना में इस साल अप्रैल से जून में 1,114 % की बढ़त हुई क्योंकि पिछले साल कोरोना महामारी के कारण केवल 205 मेगावॉट के ही पैनल लग पाये थे। 

बायोमास पावर: भारत ने 2022 का लक्ष्य पूरा किया पर भविष्य अनिश्चित 

भारत ने साल 2022 तक कुल 175 गीगावॉट साफ ऊर्जा का लक्ष्य रखा है। इसमें 100 गीगावॉट सोलर पावर और 60 गीगावॉट पवन ऊर्जा है जिसे भारत हासिल कर पायेगा या नहीं इस पर सबकी नज़र है। लेकिन साफ ऊर्जा की मुहिम में भारत ने बायोमास पावर के 10 गीगावॉट के लक्ष्य को हासिल कर लिया है लेकिन क्या भारत बायोमास पावर का उत्पादन बढ़ायेगा यह स्पष्ट नहीं है। मोंगाबे इंडिया में प्रकाशित यह ख़बर बताती है कि सरकार ने सोलर और विन्ड पावर को बढ़ाने का लक्ष्य तो रखा है लेकिन बायोमास पावर का उत्पादन 2030 तक और अधिक करने की कोई योजना नहीं है जबकि साफ ऊर्जा मंत्रालय द्वारा कराये गये एक अध्ययन में कहा गया है कि भविष्य में इसे 28 गीगावॉट तक बढ़ाया जा सकता है। 

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