पानी के अंधाधुंध इस्तेमाल पर लगाम लगाने के लिये नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने फूड प्रोसेसिंग प्लांट्स और बूचड़खानों समेत तमाम उद्योगों से कहा है कि वह पानी-खर्च का हिसाब-किताब रखें। अदालत ने उद्योगों से कहा है कि इस्तेमाल के बाद गंदे पानी को ज़मीन में या नदियों में छोड़ने के बजाय रिसाइकिल किया जाये। पर्यावरण नियमों की अनदेखी के लिये अलीगढ़ की एक फूड प्रोसेसिंग यूनिट के खिलाफ याचिका सुनने के बाद अदालत ने यह आदेश दिये हैं।
दुनिया के 30 बड़े शहरों में कार्बन उच्चतम स्तर पर
लंदन, न्यूयॉर्क, सिडनी और वेनिस समेत दुनिया के 30 बड़े शहरों में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है यानी अब इन शहरों के उत्सर्जन नहीं बढ़ रहे। यह बात पिछले दिनों C-40 विश्व मेयर सम्मेलन से ठीक पहले सामने आई। वैज्ञानिकों ने पहले ही कहा कि धरती के तापमान को 1.5°C तक सीमित रखने के लिये दुनिया के उत्सर्जन साल 2020 के बाद नहीं बढ़ने चाहिये। इस लिहाज़ से यह एक अच्छी ख़बर है कि बड़े शहरों में कार्बन बढ़ना रुक गया है।
C-40: दिल्ली के ली प्रदूषण से लड़ने की शपथ, कोलकाता को मिला सम्मान
डेनमार्क में आयोजित C-40 सम्मेलन, भारत में राजनीतिक कारणों से सुर्खियों में रहा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को केंद्र सरकार ने सम्मेलन में जाने की अनुमति नहीं दी। हालांकि केजरीवाल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये सम्मेलन को संबोधित किया और C-40 क्लीन एयर घोषणापत्र के तहत वायु प्रदूषण से लड़ने का प्रण लिया। इस सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले 94 में से केवल 38 देशों ने ही घोषणापत्र पर दस्तखत किये। कोलकाता ने ग्रीन मोबिलिटी के लिये C-40 अवॉर्ड जीता।
जलवायु परिवर्तन: दुनिया के बड़े बैंकों का रवैया ढुलमुल
भले ही दुनिया में सस्टेनेबल फाइनेंस पर बहस शुरु हो गई हो लेकिन इसे लेकर लक्ष्य हासिल करने के मामले में दुनिया के बड़े बैंकों का रिकॉर्ड बहुत ख़राब है। वर्ल्ड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट द्वारा जारी नई रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के सबसे बड़े 50 बैंकों में से ज़्यादातर ने इस दिशा में कोई संकल्प नहीं दिखाया है और अभी भी वह कोयले, तेल और गैस जैसी कंपनियों को ही वित्तीय मदद कर रहे हैं।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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