परवाह नहीं: राज्य प्रदूषण बोर्ड के आदेश के बाद भी एनटीपीसी ने तपोवन प्रोजेक्ट में मलबा निस्तारण को ठीक करने के लिये कुछ नहीं किया। अब उस पर 58 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है।

उत्तराखंड: एनटीपीसी पर क्यों लगा 58 लाख का जुर्माना

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राष्ट्रीय ताप बिजली कॉर्पोरेशन यानी एनटीपीसी को पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के लिये 57 लाख 96 हज़ार का जुर्माना भरने को कहा है। एनटीपीसी पर यह जुर्माना उत्तराखंड में उसके निर्माणाधीन तपोवन-विष्णुगाड़ प्रोजेक्ट में पर्यावरण नियमों की अवहेलना के लिये लगाया गया था। एनटीपीसी ने राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से पास किये गये आदेश के खिलाफ एनजीटी में अपील की थी।  

महत्वपूर्ण है कि यह एनटीपीसी का वही हाइड्रो प्रोजेक्ट है जिसमें पिछली 7 फरवरी को आई आपदा के बाद कई मज़दूरों की मौत हुई है। इस आपदा के बाद साफ दिखा कि एनटीपीसी के निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में सुरक्षा मानकों का भारी कमी थी। पिछले साल राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने पाया था कि यहां मलबा निस्तारण (मक डम्पिंग) के लिये बनाई गई साइट्स पर मलबे का ढलान 60 डिग्री से अधिक है जो कि तय मानकों से दुगना है। राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने पिछले साल जून में साइट का दौरा करने के बाद एनटीपीसी को मलबा निस्तारण यार्ड्स को दुरस्त करने को कहा था लेकिन अक्टूबर में किये गये दौरे में पाया कि कंपनी ने कोई एहतियाती कदम नहीं उठाये।  

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