Photo: Hridayesh Joshi

चमोली आपदा में “मानव गतिविधि न होने” का दावा गलत: विशेषज्ञ

जानकारों ने DRDO के एक शीर्ष अधिकारी के बयान की आलोचना की, जिसने कहा गया था कि मानवीय गतिविधि उत्तराखंड के चमोली जिले में पिछले महीने हिमस्खलन और घातक बाढ़ के लिए “तत्काल कारण नहीं” थी।  डीआरडीओ के तहत काम करने वाली रिसर्च बॉडी जियो इन्फोर्मेटिक्स रिसर्च इस्बॉटेबलिशमेंट (जीआरई) के निदेशक लोकेश कुमार सिन्हा ने कहा था की त्रासदी एक मानव प्रेरित आपदा नहीं थी।ग्लोबल वार्मिंग और हिमालय में बढ़ता तापमान, चमोली आपदा का मुख्य कारण हो सकते हैं।

कई जानकार इस बात से बिलकुल सहमत नहीं हैं। उनका मानना है की त्रासदी इसलिए हुई क्योंकि 200 से अधिक लोग दो बांधों में काम कर रहे थे जो कि हिमनदों के काफी करीब हैं। अगर ये बांध यहां नहीं होते, तो बाढ़ से जान-माल को कोई नुकसान नहीं होता।

विशेषज्ञों का ये भी मानना है की आपदा पर कोई भी निष्कर्ष निकालने करने से पहले इस मुद्दे का गंभीरता से अध्ययन करना चाहिये। उनका कहना है कि उत्तराखंड पर कोई भी अनियोजित निर्माण या मानव जनित दबाव आत्मघाती हो सकता है ।

Website | + posts

दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.