Vol 2, July 2023 | हिमाचल में आई सदी की सबसे बड़ी आपदा

Newsletter - July 27, 2023

दिल्ली में यमुना आई बाढ़ के कारण हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। Photo: Diariocritico de Venezuela/Flickr

कहीं बाढ़ और भूस्खलन तो कहीं सूखे की मार से देश बेहाल

देश के उत्तर और पश्चिम में कई राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ ने जीवन को तहस नहस किया है तो वहीं उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में जुलाई के महीने में भी भीषण गर्मी ने बुरा हाल कर रखा है।

दिल्ली में यमुना में उफान के बाद उसका जलस्तर थोड़ा कम हुआ है लेकिन  लेकिन लगातार हो रही बारिश से चिंताएं बढ़ रही हैं। वहीं हिंडन नदी में आई बाढ़ के चलते ग्रेटर नोएडा के सुतियाना गांव के पास डंपिंग यार्ड में खड़ी 350 कारें पानी में डूब गईं। दिल्ली पहले से ही अभूतपूर्व जलजमाव और बाढ़ से जूझ रही है, जिसके कारण 27,000 से अधिक लोगों को उनके घरों से निकाला गया है और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ है। विशेषज्ञों ने दिल्ली की बाढ़ के लिए यमुना के फ्लडप्लेन्स पर अतिक्रमण, थोड़े समय के भीतर अत्यधिक वर्षा और गाद जमा होने को जिम्मेदार ठहराया है।

वहीं पिछले कुछ हफ़्तों से भारी बारिश से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश में बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं से भारी नुकसान हुआ है। आंकड़ों के अनुसार, 24 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से, हिमाचल प्रदेश में लगभग 652 घर पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं, जबकि 236 दुकानों और 2,037 गौशालाओं के अलावा 6,686 आवास आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। 

बुधवार को शिमला ज़िले में बादल फटने से एक प्राथमिक पाठशाला एक युवक एवं महिला मंडल भवन, तीन लोगों के मकान और तीन गौशालाएं बह गए। ज्यूरी के समीप कुन्नी और बधाल के समीप नैनी में भी बाढ़ आने से लोगों के बगीचों को काफी क्षति हुई है। आईएमडी शिमला के प्रमुख सुरेंद्र पॉल ने कहा, “अगर हम पिछले 100 सालों के रिकॉर्ड को देखें, तो यह साल सबसे अधिक वर्षा वाला होगा, इसने राज्य में अब तक के सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।”

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अंतरिम सहायता के रूप में केंद्र से ₹2,000 करोड़ की मांग की है और कहा है कि बाढ़ पीड़ितों का मुआवजा बढ़ाने के लिए राहत मैनुअल में बदलाव किया जाएगा। 

उत्तराखंड में भी बारिश से भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं हुई हैं। हरिद्वार में बाढ़ से करीब 53,000 हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गईं, वहीं बद्रीनाथ और यमुनोत्री हाइवे पर भूस्खलन से यात्राएं अवरुद्ध हो गईं। न्यू टिहरी और दूसरे कई जिलों में फंसे हुए सैलानियों को भी सुरक्षित निकला गया

महाराष्ट्र में बारिश के चलते रायगढ़ जिले में पिछले हफ्ते इरशालवाड़ी गांव में भारी भूस्खलन हुआ, जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन से अधिक घर नष्ट हो गए। यवतमाल जिले में भी भारी बारिश से बाढ़ जैसे स्थिति उत्पन्न हो गई, और फंसे हुए लोगों को निकालने लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद लेनी पड़ी

मुंबई में भी पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण कई जगहों पर सड़कों और रेलवे ट्रैक पर जलजमाव हुआ जिससे लोगों को ट्रैफिक जाम और लोकल ट्रेनों में देरी से जूझना पड़ा। अनुमान है कि आगामी कुछ दिनों तक मुंबई में बारिश जारी रहेगी

गुजरात के कुछ हिस्सों में भी पिछले दिनों लगातार भारी बारिश हुई, जिसके परिणामस्वरूप सौराष्ट्र और कच्छ के निचले इलाकों में बाढ़ आ गई। अहमदाबाद एयरपोर्ट पर भी भारी जलजमाव की तस्वीरें सामने आईं। जूनागढ़ में रिहायशी इलाकों में भीषण बाढ़ आने के कारण कई मवेशी और वाहन पानी के तेज बहाव में बह गए। वहीं राजकोट में लोगों को गंभीर जलजमाव का सामना करना पड़ा।

कर्नाटक में भी सक्रिय मानसून ने बाढ़ का खतरा पैदा कर दिया है और भारी बारिश के बाद कई छोटी नदियां उफान पर हैं। कई जिलों में स्कूलों में छुट्टी कर दी गई है और तटीय इलाकों में रेड अलर्ट जारी किया गया है।

दूसरी और उत्तर प्रदेश और बिहार में उमस भरी गर्मी का प्रकोप जारी है। मौसम विभाग का कहना है कि चूंकि मानसून की टर्फ लाइन अभी भी मध्य प्रदेश के पास है इसलिए उत्तर प्रदेश में बारिश नहीं हो रही है। मानसून के उत्तरी भाग में पहुंचने पर प्रदेश के लोग राहत की उम्मीद कर सकते हैं। अनुमान था कि राज्य में 22 जुलाई के बाद गर्मी से राहत मिलेगी लेकिन पूर्वांचल के ज्यादातर जिलों में अधिकतम तापमान 35-36 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है।

वहीं बारिश की राह देख रहे बिहार में भी आने वाले दिनों में गर्मी और उमस से राहत मिलने की उम्मीद कम है। प्रदेश में बीते दो महीनों के दौरान केवल 340 मिलीमीटर वर्षा हुई है। ऐसे में धान की फसल पर भी संकट मंडरा रहा है।

72% बाढ़ संवेदनशील जिलों में से केवल 25% के पास है प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली: रिपोर्ट

दिल्ली स्थित काउंसिल ऑन एनर्जी इनवायरेंमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्लू) की ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 72% ज़िलों में अत्यधिक बाढ़ का ख़तरा है लेकिन उनमें से केवल  25% ज़िलों में ही प्रारंभिक बाढ़ चेतावनी प्रणाली (अर्ली वॉर्निंग सिस्टम) है। 

इसका मतलब है कि भारत की दो तिहाई आबादी को बाढ़ का ख़तरा है लेकिन उनमें से केवल एक तिहाई ही ऐसे हैं जिन्हें पूर्व चेतावनी प्रणाली की सुरक्षा उपलब्ध है। 

हिमाचल प्रदेश जहां कि इस साल बाढ़ से भारी तबाही हुई है वह उन राज्यों में है जहां अर्ली वॉर्निंग सिस्टम की सबसे कम कवरेज है। हालांकि उत्तराखंड जो कि बाढ़ से सामान्य रूप से प्रभावित हुआ है वहां बाढ़ चेतावनी सिस्टम बेहतर है। 

सीईईडब्लू के मुताबिक देश के 12 राज्यों — यूपी, हिमाचल प्रदेश, असम, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और गोवा – में भारी बाढ़ का ख़तरा है। लेकिन इनमें से केवल तीन राज्यों बिहार, असम और यूपी में चेतावनी सिस्टम की उच्च उपलब्धता है। 

चरम मौसमी घटनाएं: मौतें घटीं, पर संपत्ति का नुकसान बढ़ा 

उधर मौसम विभाग ने कहा है कि भारत में चरम मौसमी घटनाओं के कारण होने वाली मौत की घटनाएं बहुत कम हो गई हैं, हालांकि सामाजिक आर्थिक तरक्की के कारण संपत्ति का नुकसान बढ़ा है। यह बात मौसम विभाग के निदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कही है। 

महापात्र ने 2013 की केदारनाथ आपदा की तुलना इस साल हिमाचल में बाढ़ से करते हुए कहा कि पूर्व चेतावनी प्रणाली में बड़ा सुधार हुआ है। साथ ही, आपदा प्रबंध एजेंसियों की तैयारियों, रोकथाम और शमन में काफी सुधार हुआ है। 

बिजली गिरने की घटनाओं में सालाना करीब 2,500 लोगों की मौत पर महापात्र ने कहा कि इससे निपटना अब भी एक चुनौती  है, जबकि चक्रवातों से निपटने में कामयाबी हासिल कर ली गई है।  

उन्होंने कहा कि बिजली गिरने की घटनाएं काफी कम समय में होती हैं और इसके पूर्वानुमान करना बहुत कठिन है। 

जुलाई होगा अब तक का सबसे गर्म महीना, नासा के वैज्ञानिक की चेतावनी 

जुलाई इतिहास का अब तक का सबसे गर्म महीना हो सकता है। यह भविष्यवाणी अमेरिकी अनुसंधान एजेंसी नासा के गोडार्ट इंस्टिट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज़ के निदेशक वैज्ञानिक गाविन शिमिड ने की है। अमेरिका के दक्षिणी हिस्से में लगातार हीटवेव के प्रभाव का अध्ययन कर, शिमिड ने कहा कि अगर पिछले हज़ारों नहीं तो  सैकड़ों सालों में यह सबसे गर्म महीना ज़रूर होना चाहिए।

अन्य वैज्ञानिकों ने भी पुष्टि की है कि जुलाई 2023 इतिहास का सबसे गर्म महीना होने की राह पर है। इसपर टिपण्णी करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग का युग समाप्त हो गया है और “ग्लोबल बॉयलिंग का युग शुरू हो गया है”।

“जलवायु परिवर्तन भयावह है, और यह तो बस शुरुआत है,” गुटेरेश ने कहा। “वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित करना और जलवायु परिवर्तन की सबसे बुरी स्थिति से बचना अभी भी संभव है। लेकिन उसके लिए तत्काल बड़े क्लाइमेट एक्शन की जरूरत है।”

शिमिड का कहना है कि हीटवेव निश्चित रूप से इस बात की संभावना को बढ़ा रही हैं कि साल 2023 इतिहास का सबसे गर्म साल बन जाए।
उनकी गणना बताती है कि इस बात की 50 प्रतिशत संभावना है कि धरती पर 2023 सबसे गर्म साल होगा जबकि दूसरे मॉडल इस संभावना को 80% तक बता रहे हैं। महत्वपूर्ण है कि बीती 3 जुलाई को धरती का औसत तापमान अब के इतिहास में सबसे अधिक रहा।  विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने पहले ही इस बात की आशंका जताई है कि 2025 तक धरती की तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री होने का रिकॉर्ड टूट जाएगा।

जानकारों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के कड़े विरोध औऱ आपत्तियों के बावजूद सरकार ने 1980 के वन संरक्षण कानून में बदलाव लोकसभा से पास करा लिए हैं।

वन संरक्षण संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित

लोकसभा ने बुधवार को वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक पारित कर दिया, जिसमें देश की सीमाओं के 100 किमी के भीतर की भूमि को वन संरक्षण कानूनों के दायरे से बाहर रखने और वन क्षेत्रों में चिड़ियाघर, सफारी और इको-पर्यटन सुविधाओं की स्थापना की अनुमति देने का प्रावधान है।

इस विधेयक के अंतर्गत, कुछ प्रकार की भूमियों को वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों से छूट दे दी गई है, जैसे रेलवे लाइन के किनारे वाली वन भूमि, या भूमि जो बस्तियों के मार्ग से जुड़नेवाली सार्वजनिक सडकों के किनारे हो। यह फिर रेललाइन और सड़क के किनारे अधिकतम 0.10 हेक्टेयर में बनी कोई सुविधा।

छूट के अंतर्गत आने वाली वन भूमियों में अंतरराष्ट्रीय सीमाओं, नियंत्रण रेखा या वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगी 100 किमी अंदर तक की भूमि शामिल है, जिसका उपयोग राष्ट्रीय महत्व या सुरक्षा परियोजनाओं के निर्माण के लिए प्रस्तावित है।

इससे पहले दिल्ली और 16 राज्यों में नागरिकों और क्लाइमेट एक्शन समूहों ने विधेयक के पारित होने के विरोध में प्रदर्शन किया था। 

कानून के संशोधनों के खिलाफ संसदीय समिति को बहुत सारे सुझाव भी दिए गए थे लेकिन उन्हें दरकिनार कर दिया गया

हसदेव अरण्य में नए खनन की ज़रूरत नहीं: राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा 

छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि हसदेव अरण्य में कोयले के लिए किसी नए आरक्षित क्षेत्र को खनन के लिए खोलने की ज़रूरत नहीं है। कोर्ट में दिए हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा है कि हरदेव के पारसा ईस्ट और केते बसान में जो खनन हो रहा है, वहां करीब 35 करोड़ टन कोयला है और यह राजस्थान के पावर प्लांंट्स की अगले 20 सालों की ज़रूरत के लिए पर्याप्त है। 

गौरतलब से है हसदेव की चालू खानों से राजस्थान के 4,300 मेगावॉट से अधिक क्षमता के पावर प्लांट्स के लिए कोयला भेजा जाता है। 

हसदेव में नए खनन खोले जाने की कोशिशों के खिलाफ वहां के आदिवासी लगातार आंदोलन कर रहे हैं और सरकार के इस हलफनामे को आंदोलन के लिए एक कामयाबी के तौर पर देखा जाना चाहिए। हलफनामे में राज्य सरकार ने भारतीय वन्य संस्थान (डब्लूआईआई) की रिपोर्ट को उद्धृत कर यह भी कहा है कि हसदेव अरण्य का जंगल कटने से यहां हाथी-मानव संघर्ष बढ़ेगा। 

महत्वपूर्ण है कि हसदेव अरण्य 1 लाख 70 हज़ार हेक्टेयर में फैला सघन जंगल है, जो न केवल जैव-विविधता का भंडार है बल्कि हसदेव नदी का जलागम बनाया है और इस नदी पर बने बांगो जलाशय से बहुत बड़े क्षेत्र में सिंचाई के लिए जल आपूर्ति होती है। 

कूनो पार्क में नहीं थम रहा चीतों की मौत का सिलसिला 

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। अबतक आठ चीतों की मौत हो चुकी है। पिछले दिनों दो नर चीतों की मौत हुई और दोनों के शरीर पर चोट के निशान पाए गए थे।

इन मौतों के बाद सरकार ने मध्य प्रदेश के शीर्ष वन्यजीव अधिकारी जसबीर सिंह चौहान का तबादला कर दिया, हालांकि उनके स्थानांतरण की कोई वजह नहीं बताई गई।

चीता टास्कफोर्स के अध्यक्ष राजेश गोपाल के अनुसार चीतों की मौत रेडियो कॉलर से घाव होने के कारण हुए सेप्टीसीमिया की वजह से हुई है। जवाब में सरकार ने पहले तो इस दावे को खारिज किया, लेकिन फिर 24 जुलाई को ‘स्वास्थ्य परीक्षण’ के लिए छह चीतों के कॉलर निकाल लिए गए। इसकी वजह पूछे जाने पर मध्य प्रदेश के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक असीम श्रीवास्तव कि केवल उन्हीं चीतों के कॉलर निकाले गए हैं जिनकी जांच आवश्यक थी, और यह सब कुछ डॉक्टरों की देख-रेख में हो रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता है कि चीतों की मौत कॉलर की वजह से हो रही है या नहीं।

इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से बचे हुए चीतों को अलग-अलग स्थानों पर स्थानांतरित करने का आग्रह किया है

शीर्ष अदालत ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि इतने कम समय में चीतों की मौत चिंताजनक तस्वीर पेश करती है, साथ ही उस वातावरण की उपयुक्तता पर भी चिंता जताई जहां इन चीतों को भेजा गया है। कोर्ट ने चीतों को राजस्थान स्थानांतरित करने की सिफारिश करते हुए कहा कि केंद्र इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाने के बजाय इस पर उचित कार्रवाई करे।

नागालैंड ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया

नागालैंड सरकार ने प्लास्टिक के बड़े पैमाने पर उपयोग से उत्पन्न गंभीर पर्यावरणीय और इकोलॉजिकल चुनौतियों को खत्म करने के लिए, राज्य में सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया है।

शहरी विकास विभाग नागालैंड (यूडीडी) ने कहा कि मॉड, वर्जिन या रीसाइकल्ड आदि किसी भी प्रकार के प्लास्टिक से बने बैग्स का निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग प्रतिबंधित है। इसने प्लास्टिक की स्टिक वाले ईयरबड्स, गुब्बारों के लिए प्रयोग की जाने वाली प्लास्टिक स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक और सजावट के लिए पॉलीस्टाइनिन (थर्मोकोल) के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

प्लेट, कप, गिलास और कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ और ट्रे, मिठाई के डिब्बे, निमंत्रण कार्ड और सिगरेट के पैकेट के चारों ओर फिल्म लपेटना या पैक करना, 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक या पॉली-विनाइल क्लोराइड (पीवीसी) बैनर, स्टिरर को भी प्रतिबंधित किया गया है।

रिपोर्ट का अनुमान है कि पिछले दो दशकों में यदि हर साल प्रदूषण बढ़ने की रफ्तार 50% कम होती तो भारत का सकल घरेलू उत्पाद 4.51% अधिक होता।

वायु प्रदूषण से भारत की वर्ष-दर-वर्ष जीडीपी वृद्धि 0.56% अंक कम हुई: विश्व बैंक

विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में पाया गया है कि बढ़ते वायु प्रदूषण से भारत की साल-दर-साल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में 0.56 प्रतिशत अंक की कमी आती है। ‘प्रतिशत अंक’ शब्द का उपयोग दो अलग-अलग प्रतिशतों की तुलना करते समय किया जाता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट ‘एयर पॉल्यूशन रेड्युसेस इकोनॉमिक एक्टिविटी: एविडेंस फ्रॉम इंडिया’ यह बताती है कि सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम2.5) के संपर्क ने देश भर के जिलों में आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित किया है। इस रिपोर्ट के लिए 1998-2020 की अवधि में जिला-स्तरीय जीडीपी पर परिवेशी पीएम2.5 के स्तर में परिवर्तन के प्रभाव की जांच करने के लिए जिलों की वार्षिक जीडीपी में बदलाव का अध्ययन किया गया।

पेपर में देश के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को कवर करते हुए लगभग 550 जिलों के आंकड़े एकत्रित किए गए रिपोर्ट में कहा गया है कि यह राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भारत की वास्तविक जीडीपी में 90% का योगदान देते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक विकास पर वायु प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव इस तथ्य से उत्पन्न होता है कि यह काम पर श्रमिकों की उत्पादकता को कम करता है, बीमारी के कारण श्रमिकों की अनुपस्थिति बढ़ाता है और कृषि उत्पादकता को सीधे नुकसान पहुंचाता है। रिपोर्ट का अनुमान है कि यदि प्रत्येक वर्ष (1998 और 2020 के बीच) प्रदूषण बढ़ने की रफ्तार 50% कम होती तो तो अवधि के अंत तक भारतीय सकल घरेलू उत्पाद 4.51% अधिक होता।

यूपी, राजस्थान और हरियाणा से एनसीआर जाने वाली बसों को 1 नवंबर से साफ ईंधन से चलाना होगा

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि इस साल 1 नवंबर तक एनसीआर जिलों से चलने वाली और दिल्ली आने वाली सभी बसें या तो इलेक्ट्रिक वाहन हों, सीएनजी पर चलती हों या बीएस-VI डीजल वाहन हों। सीएक्यूएम के अनुसार, यह दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में वाहन स्रोतों के योगदान को कम करने के लिए है। सीएक्यूएम ने एनसीआर के राज्यों से यह योजना बनाने और लक्ष्य हासिल करने का भी आग्रह किया है कि 30 जून, 2026 तक एनसीआर से शुरू होने वाली या यहां समाप्त होने वाली सभी बसें केवल सीएनजी पर चलेंगी या इलेक्ट्रिक होंगी। सीएक्यूएम का कहना है की कुशल और स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन सेवाएं, विशेष रूप से एनसीआर के भीतर अंतर-शहर और इंट्रा-सिटी बस सेवाएं, पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करेंगी।

वायु प्रदूषण और अत्यधिक गर्मी में घातक दिल का दौरा पड़ने का खतरा हो सकता है दोगुना 

बढ़ती गर्मी और हवा में मौजूद सूक्ष्म कण दिल के दौरे से होने वाली मौत के खतरे को दोगुना कर सकते हैं।  अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल सर्कुलेशन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने एक चीनी प्रांत में 2015 और 2020 के बीच दिल के दौरे से होने वाली 2 लाख से अधिक मौतों का विश्लेषण किया, जो चार अलग-अलग मौसमों और तापमान और प्रदूषण के स्तर की एक श्रृंखला का अनुभव करता है। अत्यधिक गर्मी, अत्यधिक ठंड या सूक्ष्म कण वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले दिन दिल के दौरे से मृत्यु के जोखिम के साथ “महत्वपूर्ण रूप से जुड़े” थे। सबसे बड़ा जोखिम अत्यधिक गर्मी और उच्च वायु प्रदूषण स्तर दोनों के संयोजन वाले दिनों में देखा गया था। परिणामों से पता चला कि महिलाएं और वृद्ध वयस्क विशेष रूप से जोखिम में थे।

कोहिमा, दीमापुर वायु गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे

नागालैंड के दो प्रमुख शहर कोहिमा और दीमापुर दोनों केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं कर पाए । जबकि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के लॉन्च के बाद से पिछले तीन वर्षों में कोहिमा शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार हो रहा है, दीमापुर की वायु गुणवत्ता बिगड़ रही है। एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि नागालैंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एनपीसीबी) के पास हवा के नमूनों का विश्लेषण करने के लिए दीमापुर में सात और कोहिमा में तीन उपकरण हैं और एनपीसीबी हवा के सैंपल की रिपोर्ट केंद्र को भेजता है।

देश में हर साल अक्षय ऊर्जा में 75 हजार करोड़ रुपए का ही निवेश हो पा रहा है।

अक्षय ऊर्जा में निवेश जरूरत का आधे से भी कम

अक्षय ऊर्जा लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश को हर साल लगभग डेढ़ से दो लाख करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत है, लेकिन अभी इस क्षेत्र में सालाना 75 हजार करोड़ रुपए का ही निवेश हो पा रहा है। ऐसे में अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए निवेश के नए-नए तरीके ईजाद करने होंगे। संसदीय समिति (ऊर्जा) द्वारा 25 जुलाई 2023 को संसद में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि वह देश में ग्रीन बैंक की स्थापना की संभावनाएं तलाशे, जो अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की वित्त संबंधी चुनौतियों का समाधान करे। समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (एमएनआरई) को इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (आईडीएफ), इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनवीआईटी), वैकल्पिक निवेश फंड, ग्रीन/मसाला बॉन्ड जैसे तंत्र और वैकल्पिक फंडिंग रास्ते उपलब्ध कराने और तलाशने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।

समिति ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए क्राउड फंडिंग जैसा रास्ता भी अपनाने की सिफारिश की है।

भारत का सौर पीवी मॉड्यूल निर्यात 364% बढ़ा

वित्त वर्ष 2023 में भारतीय निर्माताओं ने 8,440 करोड़ रुपए के सोलर फोटोवोल्टिक सेल और मॉड्यूल निर्यात किए, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 1,819 करोड़ रुपए था। निर्यात में इस भारी उछाल का एक बड़ा कारण था चीन से मॉड्यूल सोर्सिंग पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद अमेरिका में मॉड्यूल की बढ़ती मांग।

इस वित्तीय वर्ष में भारत से निर्यातित कुल सोलर पीवी मॉड्यूल्स का 97% हिस्सा अमेरिका को निर्यात किया गया। इसके अलावा, पिछले 18 महीनों में घरेलू मॉड्यूल विनिर्माण क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि से निर्यात को बढ़ावा मिला है। घरेलू बाजार की तुलना में निर्यात द्वारा अधिक कमाई होने से निर्माताओं को लाभ हुआ है।

इस निर्यात में बड़े पैमाने पर सोलर पीवी मॉड्यूल शामिल हैं, और वित्त वर्ष 2023 में पीवी सेल निर्यात की हिस्सेदारी केवल 0.1% थी।

झारखंड: 2,000 मेगावाट के लक्ष्य के विपरीत केवल 100 मेगावाट अक्षय ऊर्जा स्थापित

कोयला समृद्ध झारखंड ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किए थे, इसके बावजूद राज्य स्वच्छ ऊर्जा निवेश में पिछड़ रहा है। बल्कि कोयले से चलने वाले नए बिजली संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं।

लक्ष्य के मुताबिक, 2022 तक झारखंड में 2,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित होनी चाहिए थी, लेकिन अभी यह केवल 100 मेगावाट के आसपास ही है। राज्य में तीन बड़े कोयला-आधारित बिजली संयंत्र निकट भविष्य में चालू हो जाएंगे, जिससे कोयला बिजली उत्पादन में 7,580 मेगावाट की वृद्धि होगी।

जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा के बीच बढ़ते अंतर के कारण, झारखंड में एनर्जी ट्रांज़िशन अधिक चुनौतीपूर्ण होने की उम्मीद है। कोल फेजआउट के युग में स्वच्छ ऊर्जा में कम निवेश रोजगार और रोज़गार की संभावनाओं को भी कम कर सकता है।

100%  अक्षय ऊर्जा पर स्विच करने के लिए नई सौर नीति लाएगी एनडीएमसी

नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) पूरी तरह से नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने के उद्देश्य से एक नई सौर नीति लाने की योजना बना रही है। एनडीएमसी सदस्य कुलजीग चहल ने कहा कि एनडीएमसी ग्रिड से जुड़े सौर संयंत्रों के कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करेगी।

उन्होंने कहा कि एनडीएमसी सरकारी संगठनों, सरकारी अस्पतालों, स्कूलों और अन्य शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों और फायर स्टेशनों, अस्पतालों सहित सभी मौजूदा, आगामी या प्रस्तावित भवनों पर नेट मीटरिंग के साथ सौर संयंत्रों के डिप्लॉयमेंट को बढ़ावा देगी।

यह नीति 1 किलोवाट पीक (केडब्ल्यूपी) या उससे अधिक क्षमता वाली किसी भी सौर ऊर्जा प्रणाली के लिए लागू होगी। यह एनडीएमसी क्षेत्र के सभी बिजली उपभोक्ताओं पर लागू होगी।

दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों में से एक बीवाईडी हैदराबाद में कारखाना लगाना चाहती थी।

भारत ने ‘सुरक्षा कारणों’ से चीनी कंपनी का 1 बिलियन डॉलर निवेश का प्रस्ताव ठुकराया

भारत ने चीनी ऑटो निर्माता कंपनी बीवाईडी (बिल्ड योवर ड्रीम्स) का 1 बिलियन डॉलर के निवेश का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। बीवाईडी दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों में है और वह भारतीय कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के साथ मिलकर हैदराबाद में कारखाना लगाना चाहती थी। 

दोनों कंपनियों ने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के लिए डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्रीज़ और इंटर्नल ट्रेड (डीपीआईआईटी) में अर्ज़ी दी थी, और सालाना 10 से 15 हज़ार इलेक्ट्रिक कार बनाने की योजना थी। लेकिन इकोनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि ‘वार्ता के दौरान इस निवेश को लेकर सुरक्षा चिंताएं जताईं गई’। अख़बार ने एक अन्य सूत्र के हवाले से कहा है कि ‘नियम ऐसे निवेश की इज़ाजत नहीं देते हैं’।

भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए वित्तपोषण एक बड़ी चुनौती: रिपोर्ट

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने एक नई रिपोर्ट में कहा है कि भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए फाइनेंस एक बड़ी चुनौती है, और यह जरूरी है कि ऐसे विकल्प पेश किए जाएं जो ईवी की लागत को आईसीई वाहनों के बराबर लाने में मदद कर सकें। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोबिलिटी-एस-ए-सर्विस (मास) के पूरे फायदे उठाने के लिए जरूरी है कि बाइक टैक्सी और साइकिल के वाणिज्यिक वाहन के रूप में  वर्गीकरण जैसे मुद्दों पर स्पष्टीकरण हो।

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि बाइक टैक्सी के फायदे जैसे ट्रैफिक में राहत, कम लागत, और उपभोक्ता के लिए उपलब्ध विकल्पों में विस्तार आदि पर भी जोर दिया जाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ताओं को सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु, सुविधाजनक इंटीग्रेशन और विभिन्न प्रकार के विकल्प प्रदान किए जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त, इसमें सुझाव दिया गया है कि पुराने वाहनों की स्क्रैपेज नीति के लिए जरूरी है कि वह ऐसे वाहनों से छुटकारा पाने को फायदेमंद बनाए।

ईवी ग्राहकों को सब्सिडी देने के लिए यूपी सरकार ने शुरू किया पोर्टल

यूपी में इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वालों को सब्सिडी का फायदा पहुंचाने के लिए के लिए, सरकार ने सब्सिडी पोर्टल की शुरुआत की है। 14 अक्टूबर 2022 के बाद खरीदी गई इलेक्ट्रिक गाड़ियों के ग्राहक इस पोर्टल पर जाकर सब्सिडी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए 4-लेवल का वेरिफिकेशन पूरा करना होगा और इसके पूरा होते ही सब्सिडी ईवी मालिक के बैंक अकॉउंट में भेज दी जाएगी। सरकार अपने इस प्रयास के जरिए उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है।

उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति, 2022 के तहत, सब्सिडी प्रोत्साहन योजना का लाभ कुछ शर्तों के साथ लिया जा सकेगा। इसका लाभ 13 अक्टूबर 2023 तक लिया जा सकेगा। पोर्टल पर अप्लाई करने के बाद चार लेवल के वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। जिसमें पहला वेरिफिकेशन डीलर के लेवल पर होगा, बाद में रजिस्ट्रेशन और फिर डिपार्टमेंट के स्तर पर किया जाएगा और सबसे आखिर में टीआई द्वारा इसका वेरिफिकेशन किया जायेगा।

ईवी मालिक द्वारा पोर्टल पर दी गई जानकारी के मुताबिक, वेरिफिकेशन पूरा होते ही लगभग तीन कार्यदिवसों में ग्राहक के बैंक अकॉउंट में सब्सिडी ट्रांसफर कर दी जाएगी। यह सब्सिडी केवल निजी खरीदारों को दी जाएगी।

अगले साल आ सकती है मारुति की पहली इलेक्ट्रिक कार

मारुति सुजुकी जल्द ही भारत में अपना पहला इलेक्ट्रिक मॉडल पेश कर सकती है। मारुति की इलेक्ट्रिक कार की पहली फोटो भी सामने आ गई है, जिसके अनुसार सुजुकी ईवीएक्स इलेक्ट्रिक एसयूवी में फ्रंट फेशिया, स्कल्पटेड बोनट डिजाइन और पीछे की तरफ थिक बॉडी है। ईवीएक्स में एक लेयर्ड स्पॉइलर, रग्ड बम्पर और फुल-विड्थ कनेक्टिंग एलईडी स्ट्रिप के साथ शार्प टेल लैंप देखने को मिलेंगे।

जानकारी के मुताबिक, सुजुकी ईवीएक्स इलेक्ट्रिक एसयूवी 60-किलोवाट ऑवर बैटरी पैक से लैस हो सकती है, जो 550 किलोमीटर तक की रेंज दे सकती है।  संभावना है कि यह लगभग 138-170 एचपी की मैक्सिमम पावर जेनरेट करेगी। इसमें 2डब्ल्यूडी और ऑल-व्हील ड्राइव दोनों ऑप्शन मिलेंगे। संभावना है कि कंपनी अपनी इलेक्ट्रिक एसयूवी को भारत में 2024 में लॉन्च कर सकती है। हालांकि अभीतक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

जी -20 की बैठक में जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को कम करने की दिशा में ठोस समझौता नहीं हो पाया जबकि दुनिया का 75% कार्बन उत्सर्जन जी-20 देश ही करते हैं। Photo: Courtesy g20.org

जीवाश्म ईंधन प्रयोग घटाने की कोशिश में नाकाम रहा जी-20 समूह

गोवा में हुई जी-20 देशों की मंत्री स्तरीय बैठक में बड़े देश जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को फेज़ डाउन करने के लिये किसी समझौते में पहुंचने में नाकाम रहे। जीवाश्म ईंधन का उत्पादन करने वाले कुछ देशों का अनमना होना इसकी वजह है। महत्वपूर्ण है कि दुनिया का 75 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन जी-20 देश ही करते हैं और अभी दुनिया भर में जलवायु संकट को देखते हुए इस मीटिंग में कोई समझौता न होना जलवायु वार्ता के लिए झटका है। 

सभी मुद्दों पर सहमति न होने के कारण एक संयुक्त बयान जारी नहीं हुआ बल्कि उसकी जगह बैठक के नतीजों पर बयान और अध्यक्षीय संक्षिप्त नोट जारी हुआ। भारत के ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने बताया कि 29 में 22 पैराग्राफ पर पूर्ण सहमति बन गई। 

रायटर्स ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि जीवाश्म ईंधन पर पूरे दिन ज़ोर शोर से चर्चा हुई लेकिन अधिकारी जीवाश्म ईंधन के “अनियंत्रित” प्रयोग पर सहमति न बना सके और इमीशन कम करने के तरीकों पर बहस होती रही। 

रूसी तेल खरीदना बंद कर सकते हैं भारत के रिफाइनर

भारतीय सरकारी रेफिनेर रिफाइनर अब रूस से तेल खरीदना बंद करके वापस कच्चे तेल के पारंपरिक आपूर्तिकर्ता खाड़ी देशों, जैसे इराक और संयुक्त अरब अमीरात की ओर जा सकते हैं, पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया।

ईटी ने एक रिपोर्ट में इस अधिकारी के हवाले से बताया कि भारतीय रिफाइनरों को रूसी तेल में मिलने वाली छूट कम हो गई है और भुगतान में समस्याएं आ रही हैं। जबकि खाड़ी देश उनको अधिक अवधि के लिए क्रेडिट देने को तैयार हैं।

पिछले साल भारतीय रिफाइनरों को जो सबसे अधिक छूट मिली वह लगभग 12-13 डॉलर प्रति बैरल थी, लेकिन यह जल्द ही गिरकर 6-7 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई। कहा जा रहा है कि अब यह छूट और कम हो गई है।

व्यापारिक रिश्ते मज़बूत करने के लिए पेट्रोलियम लाइन पर काम करेंगे भारत और श्रीलंका 

दोनों देशों के बीच इकोनॉमिक पार्टनरशिप बढ़ाने के लिए भारत और श्रीलंका ने 5 समझौते करने का फैसला किया है जिसमें पेट्रोलियम लाइन बिछाने के लिए अध्ययन के साथ ज़मीन पर संपर्क बेहतर करने के लिए पुलों के निर्माण की योजना शामिल है। 

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के दो दिन के भारत दौरे के दौरान यह फैसले लिए गए। विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद कहा कि दोनों देशइकोनॉमिक पार्टनरशिप मज़बूत करने के लिए काम कर रहे हैं। इसके लिए पेट्रोलियम लाइन बिछाने के साथ  टेक्नोलॉजी और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में काम के लिये पैक्ट किए गए।