जंगलों की आग के दोहरे ख़तरे

Newsletter - December 18, 2021

जंगलों की आग: पूरी दुनिया में जंगलों की आग कार्बन उत्सर्जन को बढ़ा रही है। दूसरी ओर गर्म होती धरती के कारण भी आग की घटनाये बढ़ रही हैं। फोटो: University of Nevada

जंगलों की आग से हुआ कार्बन इमीशन जर्मनी से होने वाले उत्सर्जन से दोगुना

इस साल साइबेरिया, अमेरिका और टर्की समेत पूरी दुनिया में रिकॉर्ड संख्या में विनाशकारी आग की घटनायें देखी गईं। यूरोपियन यूनियन की कॉपरनिक्स एटमॉस्फियर मॉनिटरिंग सर्विस के मुताबिक 2021 में इनसे  176 करोड़ टन कार्बन इमीशन हुआ जो कि जर्मनी के सालाना इमीशन के बराबर है और पूरे यूरोपीय यूनियन के कुल इमीशन का आधा है। इस रिपोर्ट में जंगल की आग के दोहरे प्रभाव को रेखांकित किया गया है – लकड़ी में जमा कार्बन इस आग से वापस वातावरण में आता है और कार्बन को सोखने वाले पेड़ नष्ट होते हैं।  इस बीच पिछले पखवाड़े चिली के शहर कास्ट्रो में एक जंगल की आग से 100 से अधिक घर नष्ट हो गये। 

पश्चिमी हिन्द महासागर में कोरल रीफ( मूंगे की चट्टानें )  के वजूद को ख़तरा 

एक नए अध्ययन ने पाया है कि पश्चिमी हिंद महासागर में कोरल रीफ पर ‘गिरने का खतरा’ मंडरा रहा है’। यह वैश्विक  रीफ्स का कुल का 5% हिस्सा हैं।  नेचर सस्टेनेबिलिटी नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन ने अफ्रीका के पूर्वी तट और मेडागास्कर के आसपास पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील 11 इलाकों का अध्ययन किया और पाया कि अधिक मछली पकड़ने के कारण महाद्वीपीय तट और उत्तरी सेशेल्स पर पाए जाने वाली रीफ्स की ढहने की संभावना है।  अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि भविष्य में गर्म होने के कारण द्वीपों के पास पाई जाने वाली रीफ्स गंभीर रूप से संकटग्रस्त हो सकती हैं। अध्ययन के अनुसार इस तरह के विध्वंस से बचाने के संभावित समाधानों में जलवायु परिवर्तन प्रभावों को कम करने और अनुकूल बनाने के साथ संयुक्त रीफ और आसन्न प्रणालियों का पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित प्रबंधन शामिल है।

जलवायु परिवर्तन यात्रा को रिकॉर्ड करने के लिए बन रहा एक ब्लैक बॉक्स

इंसान जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रोकने में भले ही नाकार रहा हो लेकिन गर्म होती धरती के के सफर को कैद ज़रूर कर पायेगा। ऑस्ट्रेलिया में एक “ब्लैक बॉक्स” बनाया जा रहा है, जो जलवायु परिवर्तन की दिशा में वैश्विक स्तर पर उठाए गए कदमों और बातचीत को रिकॉर्ड करेगा। तस्मानिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ क्लेमेंजर बीबीडीओ द्वारा विकसित बॉक्स में 50 साल की मजबूत भंडारण क्षमता होगी। यह 3 इंच मोटे स्टील से बना होगा और सोलर पैनल से ढका होगा। इस तरह के बॉक्स को बनाने का कारण है कि भावी पीढ़ियां जलवायु परिवर्तन से पैदा हुये संकट की ओर दुनिया की यात्रा को जानें और तत्काल कार्रवाई पर जोर दें।

संसद में चर्चा: ग्लोबल वॉर्मिंग और इससे पैदा हुये संकट पर संसद में चर्चा हुई और विपक्ष ने सरकार को नेट-जीरो वर्ष पर आड़े हाथों लिया। फोटो: Lok Sabha TV

संसद में उठा जलवायु संकट का मुद्दा; विपक्ष ने सरकार को 2070 के नेट ज़ीरो लक्ष्य पर लताड़ा

भारत की लोकसभा (संसद) में पिछले एक पखवाड़े में जलवायु संकट पर दुर्लभ परन्तु तीखी चर्चा हुई। विपक्षी नेताओं ने सीओपी26 में सरकार की हालिया घोषणाओं पर सवाल उठाया, जिसमें 2070 तक शुद्ध शून्य लक्ष्य प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई गई है। विपक्ष ने यह भी पूछा कि इस तरह वचनबद्ध होने से पहले राज्यों से सलाह क्यों नहीं ली गई। द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक) की सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने संसद को बताया कि नेट ज़ीरो तक पहुंचने के लिए भारत को कुल 5,630 गीगावॉट सौर ऊर्जा के संयंत्रों की ज़रूरत है। उन्होंने पूछा कि इसे कैसे पाया जा सकता है जब कि देश में वर्तमान में केवल 46.25 गीगावाट ग्रिड सौर ऊर्जा से जुड़ी है। अन्य मुद्दों जैसे तटीय क्षेत्रों में संकट, उत्तर भारत में वायु प्रदूषण और पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2020 में भारत के खराब प्रदर्शन पर भी चर्चा की गई। तृणमूल कांग्रेस की काकोली घोष  जलवायु परिवर्तन के कारण सुंदरवन पर छाये संकट पर बोलीं।  

केंद्र ने पर्यावरणीय मुद्दों पर संसद को दी जानकारी

 केंद्र सरकार ने राज्यसभा में भारत के पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर संसद में जानकारी दी। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि भारत में जंगल की आग से होने वाले उत्सर्जन का ग्लोबल वार्मिंग में केवल 1-1.5% योगदान देता है, जबकि दुनिया भर में जंगल की आग से भारी उत्सर्जन होता है। राज्यमंत्री ने वायु प्रदूषण और लोगों के स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के समाधान के लिए सरकार द्वारा उठाए गए उपायों की भी जानकारी दी। 

कैबिनेट ने आखिरकार केन-बेतवा रिवर-लिंकिंग परियोजना को दी मंजूरी 

मध्य प्रदेश में केन नदी को उत्तर प्रदेश की बेतवा नदी से जोड़ने वाली भारत की पहली रिवर-लिंकिंग परियोजना को आखिरकार 40 साल बाद मंजूरी मिल गई। जहां एक ओर वर्षों से यह चिंता जताई जा रही है कि 44,605 ​​करोड़ रुपये की यह परियोजना पर्यावरण को क्षति पहुंचाएगी, वहीं सरकार का यह कहना है कि इस योजना से जल संकट का हल निकलेगा जिससे दोनों राज्य परेशान हैं। कांग्रेस सांसद और पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने इस साल की शुरुआत में ट्वीट किया था कि यह परियोजना “मध्य प्रदेश में पन्ना टाइगर रिजर्व को नष्ट कर देगी”।

परियोजना को कैबिनेट की हरी झंडी यूपी विधानसभा चुनाव से दो महीने मिली है। इसे “राष्ट्रीय परियोजना” माना गया है, इसलिए लागत का 90% केंद्र द्वारा वहन किया जाएगा, जबकि शेष 10% का भुगतान दोनों राज्य करेंगे। इस परियोजना के आठ साल में पूरा होने की उम्मीद है।

संसद में चर्चा: ग्लोबल वॉर्मिंग और इससे पैदा हुये संकट पर संसद में चर्चा हुई और विपक्ष ने सरकार को नेट-जीरो वर्ष पर आड़े हाथों लिया। फोटो: AQI.in

उत्तर भारत में नॉक्स दमघोंटू स्तर पर, यूपी, राजस्थान और दिल्ली में असर

नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम लॉन्च किये जाने के 3 साल बाद भी देश में ज्यादातर जगह एयर क्वॉलिटी बहुत खराब है। दीपावली के बाद उत्तर भारत में वायु प्रदूषण का स्तर अचानक बढ़ गया। इस बढ़े हुये ग्राफ का करीब विश्लेषण बताता है कि पीएम 2.5 जैसे महीन पार्टिकुलेट मैटर को बढ़ाने वाले नाइट्रोजन के ऑक्साइड की मात्रा हवा में काफी अधिक है। नवंबर माह में लिये गये सीपीसीबी के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुल डेढ़ दर्जन शहरों में हानिकारक नाइट्रोजन डाइआक्साइड (एनओ2) का स्तर तय सुरक्षित मानकों से कहीं अधिक रहा। इन तीन राज्यों में कुल 22 जगह एनओ2 की मात्रा सुरक्षित मानक सीमा के दुगने से अधिक पाई गई। सल्फर और अमोनिया की तरह ही एनओ2 भी एक हानिकारक प्रदूषण है जो द्वितीयक प्रदूषक कणों पीएम 2.5 के बनने की कारण है। इसके कारण हानिकारक ओज़ोन का स्तर बढ़ता है। इस रिपोर्ट को विस्तार से यहां पढ़ा जा सकता है। 

वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने “स्थाई समाधान” के लिये कहा, सरकार ने संसद को बताया कि  पराली जलाना अब अपराध नहीं है

सुप्रीम कोर्ट ने एयर क्वालिटी मैनेजमेंट आयोग (सीएक्यूएम) से कहा है कि वह जनता और विशेषज्ञों से वायु प्रदूषण के स्थाई समाधान के लिये प्रस्ताव आमंत्रित करे ताकि दिल्ली एनसीआर की हवा साफ की जा सके। सरकार ने कोर्ट को बताया कि जीवन रक्षक उपकरण बना रही कंपनियों, डेरी उद्योग और मेडिकल कंपनियों को ही डीज़ल जेनरेटर का प्रयोग करने की अनुमति है। जो ताप बिजलीघर पहले बन्द कर दिये गये वो बन्द रहेंगे लेकिन नये थर्मल प्लांट बन्द नहीं किये जा रहे। अस्पतालों का निर्माण हो रहा है लेकिन बाकी भवनों में सिर्फ भीतर (इंटीरियर वर्क) का काम ही हो सकता है। 

उधर पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने संसद को बताया कि वायु गुणवत्ता आयोग अधिनियम के तहत पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से मुक्त कर दिया गया है तथा  पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को डीकॉम्पोसिशन के लिए भूमि प्रदान करने की अनुमति दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि जैव ईंधन के लिए पराली का उपयोग करने का प्रस्ताव तापविद्युत कंपनियों जैसे राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड को भेजा गया है।

वायु गुणवत्ता पैनल ने स्वच्छ ईंधन मानदंडों का उल्लंघन करने के दोषी उद्योगों को बंद करने का दिया आदेश

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पिछले सप्ताह उन सभी उद्योगों को तत्काल बंद करने का आदेश दिया जिन्होंने उपलब्धता के बावजूद औद्योगिक क्षेत्रों में स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल शुरू नहीं किया है। इस बीच दिल्ली सरकार ने कहा कि सीएनजी, ई-ट्रकों और आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले ट्रकों को छोड़कर बाकी सभी प्रकार के ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध अगले आदेश तक जारी रहेगा।

सीएक्यूएम ने कहा कि इस अत्यधिक आपात स्थिति में निवारक उपायों की आवश्यकता है। सीएक्यूएम ने कहा कि ‘अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए फ्लाइंग स्क्वॉड विशेष अभियान शुरू करेंगे और साइटों का निरीक्षण करेंगे’। सीएक्यूएम ने कहा की राज्य सरकारों और दिल्ली सरकार को उसके निर्देशों को सख्ती से लागू करना होगा और स्थिति की बारीकी से निगरानी करनी होगी। आयोग ने राजधानी और एनसीआर में ‘बेहद खराब’ वायु गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की।

दिल्ली में इनडोर वायु प्रदूषण डब्ल्यूएचओ के स्तर से 20 गुना अधिक: अध्ययन

दिल्ली के घरों में वायु प्रदूषण डब्ल्यूएचओ के स्तर से 20 गुना अधिक है, शिकागो विश्वविद्यालय (ईपीआईसी इंडिया) में ऊर्जा नीति संस्थान के एक अध्ययन से यह पता चला है। अध्ययन में कहा गया है कि पीएम 2.5 (2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास वाले पार्टिकुलेट मैटर) का स्तर निकटतम बाहरी सरकारी मॉनिटरों द्वारा बताए गए स्तरों से काफी अधिक था

एचटी की रिपोर्ट के अनुसार अध्ययन में कहा गया है कि कम आय वाले घरों की तुलना में उच्च आय वाले घरों में एयर प्यूरीफायर होने की संभावना 13 गुना अधिक है, लेकिन इनडोर वायु प्रदूषण पर इसका प्रभाव केवल 10% के आसपास है। अध्ययन के प्रमुख लेखक केनेट ली ने कहा कि जब आप अपने घरों के अंदर प्रदूषण के स्तर के बारे में नहीं जानते हैं तो आप इसके बारे में चिंता नहीं करते हैं और इसलिए आपके इस विषय में कुछ सुधार करने की संभावना कम होती है।

तापमान में गिरावट के साथ बिहार की वायु गुणवत्ता “बहुत खराब” हुई

तापमान में गिरावट के साथ बिहार में एयर क्वॉलिटी “बहुत खराब” हो गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी सीपीसीबी के अनुसार, छह वायु मॉनिटरिंग स्टेशनों के आधार पर पटना का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 313 था, जो ‘बहुत खराब’ के तहत वर्गीकृत किया गया है। प्लेनेटेरियम के पास, दानापुर, समनपुरा और राजबंसी नगर में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी के करीब पहुंच गई, जहां एक्यूआई का स्तर 350 से 380 के बीच रहा। मुरादपुर स्थित उपकरण ने ‘खराब’ और शिकापुर ने ‘मध्यम’ एक्यूआई दर्ज किया।

पटना के अलावा — जहां इस महीने 15 दिनों में पांच बार ‘बहुत खराब’ एक्यूआई दर्ज हुआ — मुजफ्फरपुर में भी 346 के सूचकांक मूल्य के साथ ‘बहुत खराब’ वायु गुणवत्ता दर्ज की गई। गया में 233 के सूचकांक मूल्य के साथ ‘खराब’ वायु गुणवत्ता दर्ज की गई।

आसमानी इरादा: “मिशन 500 गीगावॉट” की योजना साफ ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम है जिसमें सोलर की बड़ी भूमिका होगी। फोटो: NYT

साफ ऊर्जा बढ़ाने के लिये भारत की “मिशन 500 गीगावॉट” की योजना

कुल 101GW अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल कर लेने के बाद अब सरकार ने 2030 तक 500 GW के अपने घोषित लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु ‘मिशन 500 GW’ चलाने की योजना बनाई है।  इकॉनोमिक टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली मंत्रालय और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय 2030 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करेंगे जिसमें उपयोग की जाने वाली प्रौद्योगिकियों, भंडारण आवश्यकताओं और ट्रांसमिशन समस्याओं का आकलन और 500GW के लिए ऊर्जा मिश्रण शामिल होगा। यह संयुक्त मंत्रालय पैनल क्षमता को बढ़ाने के लिए नियम तैयार करने और विदेशी निवेश आकर्षित करने की योजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।

साल  2029-30 के लिए अधिकतम उत्पादन क्षमता मिश्रण पर केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट में कहा गया था कि पहले 2030 तक 450GW के लक्ष्य में 280 GW सौर ऊर्जा, 140GW पवन ऊर्जा और शेष हाइब्रिड स्रोतों का योगदान होता, जो इस खबर के मुताबिक हाइड्रोजन और जैव ईंधन यानी बायो फ्यूल का प्रस्तावित मिश्रण हो सकता है।

विक्रेताओं को रूफटॉप सोलर स्थापित करने के लिए सरकार नहीं बिजली वितरण कंपनियां अधिकृत करती हैं, केंद्र ने स्पष्ट किया

केंद्र ने स्पष्ट किया है कि उसने रूफटॉप सोलर लगाने के लिए विक्रेताओं (वे्ंडरो) को अधिकृत नहीं किया है जो कि राज्य की वितरण कंपनियों का काम है, जो नीलामी की प्रक्रिया के द्वारा  विक्रेताओं को सूचीबद्ध करती हैं। सरकार ने यह भी कहा कि उपभोक्ताओं को वितरण कंपनियों द्वारा तय दरों पर बिजली खरीदनी चाहिए। ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप सोलर योजना फेज II पहले 3 किलोवॉट के लिए 40% सब्सिडी और 3 किलोवॉट से 10 किलोवॉट  तक 20% सब्सिडी प्रदान करती है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि कुछ विक्रेता झूठे दावे कर रहे हैं कि उन्हें मंत्रालय द्वारा रूफटॉप सोलर लगाने के लिए अधिकृत किया गया है।

मंत्रालय ने चेताया कि कुछ विक्रेता घरेलू उपभोक्ताओं से डिस्कॉम्स द्वारा तय की गई दरों से अधिक कीमत वसूल रहे हैं, जो गलत है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को संयुक्त राष्ट्र में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त हुआ

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) को पर्यवेक्षक का दर्जा दे दिया है। भारत ने कहा कि छह वर्षों में आईएसए वैश्विक ऊर्जा बढ़ोतरी और विकास को लाभ पहुंचाने के लिए साझेदारी के माध्यम से सकारात्मक वैश्विक जलवायु कार्रवाई की एक मिसाल  बन गया है। कुल 108 देशों ने महासभा में भाग लिया, जिसमें 74 सदस्य देश और 34 पर्यवेक्षक और संभावित देश, 23 सहयोगी संगठन और 33 विशेष आमंत्रित संगठन शामिल थे।

भारत और फ्रांस ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस यानी आईएसए को संयुक्त रूप से नवंबर 2015 में पेरिस में आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप-21) के दौरान लॉन्च किया था। 

भारत 2030 तक साफ  ऊर्जा के माध्यम से बिजली की मांग को पूरा कर सकता है: अध्ययन

यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट ब्यूरो ऑफ एनर्जी रिसोर्स के ताज़ा अध्ययन में कहा गया है कि भारत 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से अपनी बिजली की मांग को पूरा कर सकता है। लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी (एलबीएनएल) ने जो स्टडी प्रकाशित की है उसमें कहा गया है कि भारत में बिजली की मांग 2030 तक दोगुनी हो जाएगी, जिसे देश नवीकरणीय यानी साफ ऊर्जा ऊर्जा और ‘पूरक लचीले संसाधनों’ जैसे एग्रीकल्चरल लोड शिफ्टिंग, भंडारण और जल विद्युत और मौजूदा तापीय विद्युत परिसंपत्तियों का अधिक से अधिक उपयोग करके प्राप्त कर सकेगा।   

इस अध्ययन में कहा गया है कि पिछले एक दशक में सौर ऊर्जा और स्टोरेज की गिरती कीमत से भारत के लिये अपनी बिजली की ज़रूरतों को पूरा कर पाना मुमकिन हो पाया है। भारत अगले एक दशक में बिजली की लागत 8-10% कम कर सकता है और 2020 के मुकाबले अपनी एनर्जी इंटेन्सिटी (कुल ऊर्जा और जीडीपी की अनुपात) 43-50% कम कर सकता है।  

अडानी ग्रीन एनर्जी ने कि सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन के साथ किया दुनिया का सबसे बड़ा हरित अनुबंध 

दुनिया के सबसे बड़े सोलर पावर डेवलपर अडानी ग्रीन एनर्जी ने भारत की सोलर एनर्जी क़ॉर्पोरेशन के साथ 4667 मेगावॉट का अनुबंध किया है।  यह अनुबंध 8000 मेगावॉट के सबसे बड़े टेंडर का एक हिस्सा है  और संभवत: दुनिया में इस प्रकार का सबसे बड़ा करार है। महत्वपूर्ण है कि साल 2020 से अब तक सोलर पावर कॉर्पोरेशन ने जो 8000 मेगावॉट के करार किये हैं उनमें 6000 मेगावॉट में अडानी ग्रीन एनर्जी का ही हिस्सा है।

फास्ट चार्जिंग: अमेरिका की 50 कंपनियों ने पूरे देश में कार चार्जिंग स्टेशनों का जाल बिछाने का इरादा जताया है। फोटो: electrek.co

अमेरिका की 50 कंपनियां स्थापित करेंगी देश के दोनों तटों के बीच ईवी फास्ट चार्जर

अमेरिका की 50 कंपनियों ने देश के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच ईवी फास्ट चार्जर लगाने की योजना बनाई है। इसके लिये एडिसन इलेक्ट्रिक इंस्टीट्यूट की अगुवाई वाले गठबंधन के सदस्यों के तौर पर इन कंपनियों ने हस्ताक्षर किए। इरादा है कि ये चार्जर 2024 से पहले देश के प्रमुख यात्रा मार्ग गलियारों में लगा दिये जायेंगे लेकिन अभी यह तय नहीं किया गया है कि कितने चार्जर्स स्थापित किए जाएंगे, लेकिन इस गठबंधन का कहना है कि अमेरिका में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में जो भी बाधा हो उसे दूर किया जाए, खासतौर पर तब जब उम्मीद है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 2020 में 20 लाख यूनिट से बढ़कर 2030 तक 2 करोड़ हो जाएगी। 

इसके अलावा, इस साल अमेरिका में नए वाहनों की बिक्री में ‘हल्के यात्री वाहनों’ की श्रेणी में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 20% से अधिक रही। इस हेतु बुनियादी ढांचे के विस्तार की योजना — जिसमें प्रत्येक उच्च वोल्टेज फास्ट चार्जर के लिए $75,000 का प्रावधान है — बाइडेन प्रशासन की देश में ईवी की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए $7.5 बिलियन की फंडिंग योजना का हिस्सा है। 

टोयोटा ने किया 2035 तक पश्चिमी यूरोप में CO2 में 100% कटौती का वादा

टोयोटा मोटर्स की यूरोपीय शाखा टोयोटा मोटर यूरोप (टीएमई) ने घोषणा की है कि वह 2035 तक पश्चिमी यूरोप में अपने नए वाहनों से CO2 उत्सर्जन में 100% कटौती करने का लक्ष्य रखेगी, क्योंकि ‘जल्द से जल्द’ कार्बन न्यूट्रल होना इसका उद्देश्य है। हालाँकि, यह घोषणा केवल पश्चिमी यूरोप के लिए है क्योंकि टोयोटा की रणनीति इस बात पर बहुत अधिक निर्भर करेगी कि विभिन्न बाजारों में उसके वाहनों के लिए कितनी शून्य-उत्सर्जन ऊर्जा  उपलब्धत होती है।  इसके पहले टोयोटा के सीईओ ने यह घोषणा की थी कि विश्व की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी 2030 तक शून्य उत्सर्जन वाहनों में $70.4 बिलियन (करीब 5,28,000 करोड़ रुपये) का पूंजी निवेश करेगी जिसमें से आधा बैटरी ईवी पर होगा। यह बैटरी वाहन के क्षेत्र में कंपनी के पिछड़े होने की छवि को दूर करने का एक प्रयास है।

हालांकि कंपनी हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहनों की दिशा में काम करना जारी रखेगी और इसका समग्र लक्ष्य है 2030 तक वैश्विक स्तर पर 3.5 मिलियन शून्य-उत्सर्जन वाहनों की बिक्री हो, जो कि 2 मिलियन यूनिट के इसके पिछले लक्ष्य से अधिक है।

संसदीय समिति की सिफारिश: लिथियम-आयन बैटरी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने भारत

भारत में एक विशेष संसदीय समिति ने सिफारिश की कि देश लिथियम-आयन बैटरी के निर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करे, क्योंकि देश की अधिकांश लिथियम-आयन बैटरी चीन से आयात की जाती हैं। इसके अलावा, अन्य महत्वपूर्ण पुर्जे जो इलेक्ट्रिक वाहनों के पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए आवश्यक हैं, जैसे ट्रांजिस्टर, डायोड, कैपेसिटर, पीसीबी (प्रिंटेड सर्किट बोर्ड) आदि भी अमूमन  ताइवान, चीन और दक्षिण कोरिया से आयात किए जाते हैं, जिसे लेकर समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे देश को क्षति होती है। समिति ने यह भी सिफारिश की कि भारत को लिथियम आपूर्ति को सुनिश्चित करना चाहिए क्योंकि यह एक रणनीतिक खनिज है, और इसे चिली या बोलिविया की खदानों से प्राप्त किया जा सकता है।

हीरो इलेक्ट्रिक भारत के सबसे बड़े e2W रिटेलर के रूप में उभरा, ईईएसएल लगाएगा राजमार्गों पर ईवी चार्जर

जेएमके एनालिटिक्स की एक नई रिपोर्ट ने पाया है कि हीरो इलेक्ट्रिक भारत के सबसे बड़े इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन ब्रांड के रूप में उभरा है जिसकी बाज़ार में हिस्सेदारी अब 36% है। कंपनी ने 2021 में 65,000 वाहन बेचे और इसकी योजना बढ़ती मांग के आधार पर 2025 तक अपनी क्षमता का विस्तार कर 10 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण करने की है। यह अपने संचालन के लिए $200-$300 मिलियन जुटाने का भी प्रयास कर रहा है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ओकिनावा ऑटोटेक 17% बाजार हिस्सेदारी के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा e2W निर्माता है, और वर्तमान में 500 डीलरों के पास इसके सात मॉडल बिक्री पर हैं, जबकि हीरो इलेक्ट्रिक के 700 डीलर हैं।इस बीच, ईईएसएल (एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड), और इसकी सहायक सीईएसएल (कनवर्जेन्स एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड), भारत के 16 राष्ट्रीय राजमार्गों/एक्सप्रेसवे पर ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करेगी। एनएचएआई अपने टोल नाकों पर उनके लिए स्थान उपलब्ध कराएगा। यह कार्य मार्च 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है और इसके लिए कुल 142 साइटों हेतु निविदा दी जाएगी।

सिर्फ घोषणा या अमल होगा? : अमेरिका ने दुनिया में अधिक कार्बन छोड़ने वाले प्रोजेक्ट में पैसा न लगाने का इरादा जताया है लेकिन कथनी और करनी में कितनी समानता है इसकी परीक्षा आने वाले सालों में होगी। फोटो: How stuff works

अमेरिका तुरंत बंद करेगा हाई-कार्बन वाली विदेशी परियोजनाओं में निवेश

बाइडेन प्रशासन ने सभी सरकारी एजेंसियों को विदेशों में चल रही ऐसे सभी कोयला, तेल और गैस परियोजनाओं पर निवेश या मदद  तुरंत बंद करने का आदेश जारी किया है। यह प्रोजेक्ट वातावरण में कार्बन छोड़ते हैं और बाइडेन का आदेश उन सभी परियोजनाओं पर लागू होगा जिनकी उत्सर्जन तीव्रता 250 ग्राम CO2 किलोवॉट-घंटा  या उससे अधिक है। इसमें वे परियोजनाएं भी शामिल होंगी जो केवल आंशिक रूप से अपने उत्सर्जन को कैप्चर करती हैं। उम्मीद की जा रही है कि अब साफ ऊर्जा के लिए कोई भी नया निवेश इस पर निर्भर होगा, जब तक कि किन्हीं जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं को सुरक्षा कारणों से आवश्यक नहीं माना जाता, या किसी असुरक्षित क्षेत्र के लिए अनिवार्य नहीं होता।

लेकिन साथ ही साथ जलवायु पर राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी ने कहा कि सरकार अमेरिका के भीतर कोयला संयंत्रों को पूरी तरह से बंद करने का आदेश नहीं देगी, क्योंकि इससे राज्यों के अधिकारों और नीतियों की अवहेलना हो सकती है।

ऑस्ट्रेलिया: बढ़ती सौर और पवन ऊर्जा से तीन गुना तेजी से बन्द हो सकते हैं कोयला बिजलीघर 

ऑस्ट्रेलियाई ऊर्जा बाजार संचालक की नवीनतम रिपोर्ट में पाया गया है कि देश का पावर ग्रिड 2043 तक पूरी तरह से कोयला मुक्त हो सकता है और इसके कोयला संयंत्र अनुमानित समय से तीन गुना तेजी से सेवामुक्त हो सकते हैं। विशेष रूप से विक्टोरिया और एनएसडब्ल्यू (न्यू साउथ वेल्स) में सौर और पवन ऊर्जा के तेजी से बढ़ते योगदान को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है। इंटीग्रेटेड सिस्टम प्लान 2022 ने बताया है कि सितंबर 2021 में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 61 फीसदी तक पहुंच गया, और रिपोर्ट का अनुमान है कि 2025 तक यह 100% तक पहुंच सकता है।

गैस से चलने वाली बिजली, जिसका लगभग 80% आस्ट्रेलियाई लोग इस्तेमाल करते हैं, की हिस्सेदारी भी 15 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है, और उम्मीद है कि रूफटॉप सोलर से देश की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 30% तक बढ़ेगी और 2050 तक ऊर्जा भंडारण क्षमता में तीन गुना वृद्धि होगी।

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