भारत ने 2023-24 में 21 बिलियन डॉलर (1.7 लाख करोड़ रुपए) का कोयला आयात किया। क्लाइमेट रिस्क होराइज़न्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि ग्रीष्मकालीन महीनों में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए 26.5 लाख टन तक प्रति माह आयात किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर नवीकरणीय क्षमता की स्थापना में तेजी लाने के बावजूद, भारत में थर्मल पॉवर के लिए कोयले की जरूरत का 20% आयात किया जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 33 गीगावाट अक्षय ऊर्जा स्थापित करने से सालाना 826 मिलियन डॉलर (70,000 करोड़ रुपए) की बचत हो सकती है। लंबे समय में प्रत्येक वर्ष 50 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाने से 2029 तक कोयला आयात को समाप्त किया जा सकता है, जिससे 66 बिलियन डॉलर (5.6 लाख करोड़ रुपए) की बचत हो सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अक्षय ऊर्जा न केवल सस्ती है, बल्कि विदेशी मुद्रा को बाहर जाने से रोकने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
मैक्सिको की खाड़ी में ऑयल स्पिल पर तेल कंपनियों का झूठ आया सामने
मोंगाबे और डेटा क्रिटिका की एक हालिया जांच से पता चलता है कि मैक्सिको की खाड़ी में काम करने वाली तेल कंपनियों ने लगातार ऑयल स्पिल के पैमाने को कम कर के रिपोर्ट किया है। मछली पकड़ने वाले समुदायों के आंकड़ों और उपग्रह तस्वीरों से संकेत मिलता है कि स्पिल के कई मामलों को रिपोर्ट ही नहीं किया जाता, और जब उन्हें रिपोर्ट भी किया जाता है तो उनकी गंभीरता को अक्सर कम करके बताया जाता है।
उदाहरण के लिए, 2023 के एक बालम स्पिल को लगभग 200 गुना कम करके बताया गया था। मेक्सिको की सरकार ने 2018 से 2024 के बीच ऑयल स्पिल के 86 मामले दर्ज किए, लेकिन केवल 48 मामलों में आनुशासिक कार्रवाई शुरू की। इन मामलों में भी केवल 21 में जुर्माना लगाया गया, और केवल आठ मामलों में भुगतान किया गया।
स्थानीय मछुआरे पर्यावरण और उनकी आजीविका की रक्षा के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।
2027 तक कोयला संयंत्रों का निर्माण जारी रखेगा चीन
चीन में जारी नए दिशानिर्देशों के अनुसार, सरकार 2027 तक ऐसे इलाकों में कोयला बिजली संयंत्रों का निर्माण जारी रखेगी, जहां बिजली की मांग ज्यादा है या फिर स्थानीय पावर ग्रिड को सहायता की जरूरत है। चीन के इस कदम से 2026 के बाद कोयले का प्रयोग कम करने के उसके वादे पर संदेह पैदा हो रहा है, लेकिन नए संयंत्रों को अक्षय ऊर्जा के सहायक के तौर पर स्थापित किया जा रहा है, जो अभी पूरी तरह विश्वसनीय नहीं है।
चीन का कहना है कि नए और उन्नत कोयला संयंत्र वर्तमान की तुलना में 10-20% तक कम कार्बन उत्सर्जन करेंगे और मांग के आधार पर उनका उत्पादन तय किया जा सकता है। मुख्य रूप से बिजली और रासायनिक उद्योगों से बढ़ती मांग के कारण 2028 तक कोयले का उपयोग थोड़ा बढ़ने की संभावना है।
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