हाल ही में नीति आयोग ने कहा की देश भर में तीन हाइड्रोजन कॉरिडोर विकसित किए जाने चाहिए। इसके चलते ग्रीन हाइड्रोजन कॉरिडोर के विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार स्टार्टअप्स को अनुदान के साथ-साथ उद्यमियों का समर्थन करेगी।
अपनी रिपोर्ट ‘हार्नेसिंग ग्रीन हाइड्रोजन – भारत में डीप डीकार्बोनाइजेशन के अवसर’ में नीति आयोग ने कहा की ग्रीन हाइड्रोजन के लिए मांग एकत्रीकरण और डॉलर आधारित बोली के माध्यम से निवेश को सुविधाजनक बनाने की आवश्यकता है। सरकार स्टार्टअप और परियोजनाओं को अनुदान और ऋण दे सकती है, इनक्यूबेटरों और निवेशक नेटवर्क के माध्यम से उद्यमियों का समर्थन कर सकती है, और ऐसे नियम बना सकती है जो पहले प्रस्तावक जोखिमों का प्रबंधन करते हैं।
जलवायु लक्ष्य को हासिल करने के लिये भारत को चाहिये 22,000 करोड़ डॉलर
ब्लूमबर्ग एनईएफ की नई रिसर्च बताती है कि अगर भारत को 2030 तक तय किये अपने क्लाइमेट लक्ष्य हासिल करने हैं तो उसके लिये 22,300 करोड़ अमेरिकी डॉलर (यानी 17 लाख करोड़ से अधिक) चाहिये होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल ग्लासगो सम्मेलन में जिन लक्ष्यों की घोषणा की उनमें 2030 तक भारत की साफ ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावॉट तक पहुंचाने की बात है। ब्लूमबर्ग की यह रिपोर्ट कहती है कि कॉरपोरेट कंपनियां इस 500 गीगावॉट लक्ष्य का 86% हासिल करने में मदद कर सकती हैं। भारत ने 2030 तक अपना प्रक्षेपित कार्बन इमीशन 100 करोड़ टन कम करने का लक्ष्य रखा है और कहा है कि वह 2005 के स्तर की तुलना में कुल कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को 45% कम करेगा। लेकिन प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि ऐसा करना अमीर और विकसित देशों की मदद के बिना संभव नहीं होगा।
पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कुछ कानूनों में जेल का प्रावधान हटेगा
सरकार ऐसे बदलाव कर रही है जिससे एयर और वॉटर एक्ट, पर्यावरण संरक्षण कानून और लोक दायित्व बीमा अधिनियम जैसे कानूनों में (जिनमें उद्योगों से हानिकारक तत्वों के शिकार कारण पीड़ित को राहत देने के प्रावधान हैं) अपराधी को जेल की सज़ा नहीं होगी। सरकार का कहना है कि वह इस बारे में आर्थिक दंड को अधिक कड़ा करेगी लेकिन आपराधिक केस नहीं चलेगा जिससे नियमों के उल्लंघन करने वाले को जेल का डर नहीं हो। पर्यावरण को हुये नुकसान की भरपाई के लिये लेवी लगाकर कई फंड स्थापित करने का भी प्रस्ताव है। मंत्रालय लोक दायित्व बीमा कानून में अभियोग का प्रावधान हटाना चाहती है। केवल आर्थिक दंड न भुगतने पर ही आपराधिक केस चलेगा।
सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर पाबंदी, लम्बा रास्ता तय करना बाकी
भारत ने एक जुलाई से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर रोक लगा दी है। लेकिन बहुत सारे उत्पाद अब भी बाज़ार में बिकते रहेंगे जिनमें सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। इनमें सॉफ्ट ड्रिंक, मिनरल वॉटर और पैकिंग में आने वाला सामान शामिल है। डाउन टु अर्थ पत्रिका ने कहा है कि सरकार ने सिंगल यूज़ प्लास्टिक की जो परिभाषा तय की है उसके भी ये सारे आइटम भी आते हैं लेकिन यह बाज़ार में मौजूद रहेंगे। इस हिसाब से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर पाबंदी की ओर अभी आंशिक और पहला कदम ही उठाया जा सका है।
वैश्विक खाद्य संकट के बावजूद अमेरिका बनायेगा बायो-फ्यूल
दुनिया में खाद्य संकट के बावजूद अमेरिका बायो-फ्यूल के उत्पादन को बढ़ाना जारी रखेगा। पूरी दुनिया में खाद्य संकट के मद्देनज़र मांग की जा रही है कि इंसानों को भोजन प्राथमिकता हो लेकिन अमेरिका की उप कृषि मंत्री ज्वेल ब्रूनॉग ने कहा उनके देश के किसान इस बात का खयाल रखते हुये बायो-फ्यूल का उत्पादन बढ़ाते रहेंगे। बायो फ्यूल में मक्का और जौ जैसी फसलों का इस्तेमाल कर ईंधन बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि बाइडेन सरकार को खाद्य संकट का पूरा अहसास है लेकिन बायो-फ्यूल की उत्पादन से जीवाश्म ईंधन के प्रयोग में कमी होगी जिससे जलवायु संकट को साधा जा सकता है।
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