प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरोसा जताया है कि भारत में पेट्रोल-डीज़ल और बैटरी कारों का बाज़ार साथ-साथ बढ़ सकता है। प्रधानमंत्री का चौंकाने वाला बयान उस वक्त आया है जब भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर में ज़बरदस्त मन्दी है और पेट्रोल-डीज़ल कारों की बिक्री में लगातार नवें महीने गिरावट दर्ज की गई है। सवाल यह भी है सरकार ने साल 2030 तक 100% बैटरी कारों का लक्ष्य रखा है। अगर उस लक्ष्य को हासिल करना है तो पेट्रोल-डीज़ल कारों को धीरे धीरे बाज़ार से हटाना होगा।
सरकार ने हाल में यह भी कहा कि वह 2023 तक पेट्रोल-डीज़ल से चलने वाले तिपहिया वाहनों पर औऱ 2025 तक दुपहिया वाहनों पर रोक लगायेगी। बाज़ार के हाल को देखते हुये इस फैसले की व्यवहारिकता पर भी सवाल खड़े हैं।
GM, VW बनायेंगे सिर्फ बैटरी वाहन, टोयोटा और फोर्ड पसोपेश में
जनरल मोटर्स और फोक्सवेगन ने तय किया है कि ये कंपनियां अमेरिका में हाइब्रिड कारें बनाना बन्द कर अब सिर्फ बैटरी कारें ही बनायेंगी। इन दो कंपनियों ने 2018 में अमेरिका में कुल 32 लाख कारें बेचीं। इस फैसले से बैटरी वाहनों के बाज़ार में तेज़ी आने की संभावना है।
हालांकि दो अन्य बड़ी कंपनियों टोयोटा और फोर्ड का इरादा हाइब्रिड उत्पादन बन्द करने का नहीं है। ये कंपनियां पूरी तरह बैटरी चालित कार बनाना जारी रखेंगी ताकि उन ग्राहकों के लिये विकल्प खुला रहे जो लम्बी ड्राइव और चार्जिंग सुविधा को लेकर फिक्रमंद रहते हैं।
चीन ने सब्सिडी खत्म की तो बैटरी वाहनों की बिक्री में दिखी गिरावट
जुलाई के महीने में चीन में बैटरी वाहनों की बिक्री में 4.7% की गिरावट (जुलाई 2018 के मुकाबले) दर्ज की गई। दो साल में पहली बार बैटरी वाहनों की बिक्री में यह कमी दर्ज की गई। चीन में जुलाई में केवल 80,000 बैटरी कारें बिकीं और फ्रांस की कार निर्माता प्यूश्यो निर्माता ने अपने प्लांट को बन्द करने के अलावा कुछ कर्मचारियों की छंटनी भी की। इस झटके के बाद भी चीन विश्व बैटरी बाज़ार में नंबर-वन पर है। उसका इरादा साल 2020 तक 90% मिनी ट्रकों को बैटरी चालित बनाना है। चीन में पिछले साल के मुकाबले इस साल चार्जिंग सुविधा में भी करीब 72% की वृद्धि हुई है।
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