महत्वपूर्ण बदलाव: सौर ऊर्जा निवेश में भारत ने कोयले को पीछे छोड़ दिया है, जो सौर ऊर्जा के आर्थिक लाभ का पुन: दावा करता है। फोटो - ADelhi

भारत में कोयले से अधिक निवेश अब सौर ऊर्जा में

अंतरराष्ट्रीय एनर्जी एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत का सौर ऊर्जा में निवेश कोयले पर हो रहे निवेश से अधिक है और यह साफ ऊर्जा को बढ़ावा देने के वादों की दिशा में एक प्रभावी कदम है। रिपोर्ट कहती है कि लगातार तीसरे साल भारत ने कोल प्लांट्स के मुकाबले साफ ऊर्जा के संयंत्रों में अधिक निवेश किया। 2018 में पहली बार भारत में सोलर पर निवेश कोयले पर होने वाले निवेश से आगे निकला। 

भारत ने पिछले 4 साल में अपनी साफ ऊर्जा उत्पादन क्षमता दोगुनी कर ली है। भारत की कुल सौर और पवन ऊर्जा की क्षमता 77,000 मेगावॉट हो गई है और 60,000 मेगावॉट के क्लीन एनर्जी प्लांट लगाये जा रहे हैं। दूसरी ओर कोल पावर प्लांट की क्षमता अब भी बढ़ रही है लेकिन हर साल इस क्षमता में वृद्घि घटकर आधी हो गई है। भारत ने पेरिस समझौते के तहत वादा किया है कि साल 2022 तक उसके पास 1,75,000 मेगावॉट पावर क्षमता के साफ ऊर्जा प्लांट होंगे।

 सब्सिडी में कटौती के बावजूद चीन साफ ऊर्जा का सबसे आकर्षक बाज़ार 

सब्सिडी में कटौती के बावजूद लगातार चौथे साल चीन साफ ऊर्जा में निवेश के लिये सबसे आकर्षक बाज़ार बना हुआ है। यह आकलन यूनाइटेड किंगडम की एजेंसी अर्नेस्ट एंड यंग ने किया है। चीन के बाद अमेरिका का नंबर है जो लगातार दूसरे साल इस पायदान पर बना है। उधर महंगे होते उत्पादन की वजह से चीन में सालाना सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ाने की दर घटी है। साल 2017 में जहां उसकी सौर ऊर्जा क्षमता में 53,000 मेगावॉट की बढ़ोतरी वहीं 2018 में यह सालाना बढ़त घटकर 44300 मेगावॉट हो गई। चीन साफ ऊर्जा के क्षेत्र में लगातार सब्सिडी कम कर रहा है और उसने तय किया है कि वह समंदर के तट पर लगे प्रोजेक्ट्स से मिलने वाली पवन ऊर्जा पर 2021 के बाद कोई छूट नहीं देगा।

तमिलनाडु ने पवन और सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट की नीलामी रोकी 

देश में साफ ऊर्जा के मामले में अव्वल राज्य तमिलनाडु की डिस्कॉम (TANGEDCO) ने सौर और पवन ऊर्जा से जुड़े टेंडरों की नीलामी फिलहाल रोकने का फैसला किया है। डिस्कॉम का यह फैसला निविदाओं पर निवेशकों के ठंडे रुख को देखते हुये लिया है। सरकार ने सौर और पवन ऊर्जा की कीमतों पर एक सीमा तय की हुई है। माना जा रहा है कीमतों पर नियंत्रण की वजह से ही निवेशकों ने टेंडरों में रुचि नहीं ली।

तमिलनाडु सरकार ने नीलामी रोकने के बाद तय किया है कि अब वह साफ ऊर्जा के वादों को पूरा करने के लिये सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) से खरीद करेगी। तमिलनाडु 8,631 मेगावॉट पवन ऊर्जा और 2055 मेगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ साफ ऊर्जा के मामले में देश में अग्रणी राज्य है। 

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