भारत सरकार ने भले ही वायु प्रदूषण से हो रही मौतों की चेतावनी को “भय फैलाने वाली” (alarmist) रिपोर्ट कह कर खारिज कर दिया हो लेकिन अमेरिकन कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशयन द्वारा जारी नई रिसर्च में कहा गया है कि वायु प्रदूषण हमारे शरीर की हर कोशिका और हर अंग को नुकसान पहुंचा रहा है। रिसर्च कहती है कि ख़तरनाक अति सूक्ष्म कण हमारे फेफड़ों और वहां से रक्त नलिकाओं तक पहुंचते हैं और हृदय से लेकर दिमाग और यकृत या गुर्दे समेत हर अंग की कोशिकाओं को नष्ट कर सकते हैं। यह रिसर्च कहती है कि वायु प्रदूषण डायबिटीज, डिमेंशिआ, यकृत रोग से लेकर हड्डियों और ब्लेडर के कैंसर की वजह बन सकता है।
वाराणसी की प्रदूषित हवा, चेतावनी के बावजूद नहीं उठाया कोई कदम
वाराणसी भले ही प्रधानमंत्री का लोकसभा क्षेत्र हो लेकिन जब वायु प्रदूषण से लड़ने की बात आती है तो यह दूसरे शहरों की तरह फिसड्डी ही है। तीन साल पहले 2016 में इंडिया स्पेंड वेबसाइट ने सेंटर फॉर इन्वायरेंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट यानी CEED और Care4Air के साथ मिलकर ‘वाराणसी चोक्स’ शीर्षक से एक ख़बर छापी। इस ख़बर में बताया गया कि किस तरह वाराणसी कई बार प्रदूषण के मामले में देश की राजधानी दिल्ली को भी पीछे छोड़ देता है।
अब इसी वेबसाइट पर 18 मई को छपी ख़बर बताती है कि यहां प्रदूषण से लड़ने की कोशिश सिर्फ कागज़ों पर ही हुई है। सूचना अधिकार कानून के तहत पूछे गये सवालों से बस इतना पता चला कि नगर पालिका, ट्रैफिक पुलिस और वन विभाग के अलावा यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने “कुछ कदम” उठाये ज़मीन पर कुछ होता नहीं दिखा।
एनजीटी ने फसल की ठूंठ जलने से प्रदूषण पर केंद्र सरकार से मांगी रिपोर्ट
पर्यावरण मामलों की अदालत नेशनल ग्रीन ट्रब्यूनल (NGT) ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय को 2 हफ्तों के भीतर यह बताने को कहा है कि पंजाब, हरियाणा और यूपी जैसे राज्यों में हर साल खुंटी (फसल की ठूंठ) जलाये जाने की समस्या से निबटने के लिये क्या कदम उठाये गये हैं। पहले केंद्र सरकार को 30 अप्रैल तक इस बारे में रिपोर्ट पेश करनी थी लेकिन वह इस समय सीमा का पालन नहीं कर पाई। हर साल इन राज्यों में फसल कटाई के बाद ठूंठ जलाने से उत्तर भारत खासतौर पर दिल्ली में भयंकर प्रदूषण हो जाता है।
कोयला बिजलीघरों के प्रदूषण की मार एशिया के मॉनसून पर
जियोग्राफिकल रिसर्च लेटर में छपे एक अध्ययन से पता चलता है कि वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर का असर एशियाई देशों पर बरसने वाले मॉनसून पर पड़ रहा है। भारत, चीन, पाकिस्तान, थाइलैंड और दूसरे दक्षिण एशियाई देशों का मॉनसून कमज़ोर हो रहा है। इसकी प्रमुख वजह कोल प्लांट से निकलने वाले धुयें में मौजूद एरोसॉल की बढ़ती मात्रा है। वैज्ञानिक कहते हैं कि उन्होंने कई स्तरों पर आंकड़ो का अध्ययन किया और पाया कि मॉनसून के कमज़ोर होने का ऐसा ट्रेंड पिछले करीब साढ़े चार सौ सालों में नहीं देखा गया।
पेट-कोक (Pet Coke) से घुट रहा है अहमदाबादवासियों का दम, कोर्ट ने रिपोर्ट मांगी
अहमदाबाद की फैक्ट्रियों में ईंधन के रूप में खतरनाक पेट-कोक और तेल के इस्तेमाल से हो रहे प्रदूषण पर NGT ने एक एक्सपर्ट पैनल का गठन किया है। यह पैनल – जिसमें राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी हैं – पेट-कोक जलाने से पैदा हुये दमघोंटू हालात पर अदालत को अपनी रिपोर्ट देगा। हर साल फैक्ट्रियों में 8 लाख टन ईंधन जलाया जा रहा है जो भयानक प्रदूषण करता है।
उधर एक दूसरे मामले में हरियाणा में NGT ने इंडियन ऑइल की पानीपत रिफाइनरी पर पर्यावरण नियमों की अवहेलना कि लिये 17.31 करोड़ का जुर्माना किया है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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