भारत को 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करने के लिए सालाना 100 बिलियन डॉलर यानी करीब 80,000 करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता है, वित्त मामलों पर संसदीय समिति के प्रमुख जयंत सिन्हा ने बताया।
सिन्हा की अध्यक्षता में यह पैनल अध्ययन कर रहा है कि सतत विकास, विशेष रूप से जलवायु अनुकूलन और शमन के लिए भारत को कितने निवेश की आवश्यकता है।
“2070 तक नेट-जीरो प्राप्ति के मार्ग पर रहने के लिए भारत को $50-100 बिलियन के अतिरिक्त निवेश की जरूरत है,” सिन्हा ने एक साक्षात्कार में रायटर्स को बताया।
भारत में कंपनियां पहले से ही मौजूदा और नई क्षमताओं से कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए $65 बिलियन-$100 बिलियन का निवेश कर रही हैं।
‘नेट जीरो के मार्ग पर रहने के लिए हमें भारत में निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च को लगभग दोगुना करना होगा,’ उन्होंने कहा।
प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए सरकार के पास कोई एक्शन प्लान नहीं है: कैग
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा एक अनुपालन ऑडिट में पाया गया है कि प्लास्टिक कचरे से निपटने की रणनीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सरकार के पास कोई एक्शन प्लान नहीं है।
कैग ने कहा कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (पीडब्लूएम) नियम, 2016 को प्रभावी ढंग से और कुशलता से लागू नहीं किया जा सका क्योंकि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पास कोई एक्शन प्लान नहीं था।
डीटीई की रिपोर्ट के अनुसार कैग ने कहा कि मंत्रालय में प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ प्रभावी समन्वय की भी कमी है। कैग ने अपने ऑडिट में पाया कि मंत्रालय प्लास्टिक कचरे में कटौती, पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण को लेकर नीति के बारे में भी चुप्पी साधे रहा।
जोशीमठ में हाइड्रो पावर कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन
बीती पांच जनवरी को जोशीमठ के निवासियों ने यहां बन रहे एनटीपीसी के हाइड्रो पावर प्लांट के खिलाफ प्रदर्शन किया। लोगों का आरोप है कि एनटीपीसी के हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के लिए बन रही सुरंग की खुदाई और उसके लिये ब्लास्टिंग के कारण उनके घरों को नुकसान पहुंचा है। एनटीपीसी का हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट 2006 में शुरु हुआ था लेकिन इसका निर्माण अभी जारी है और यह कई बार आपदाग्रस्त हो चुका है। साल 2021 में यहां ऋषिगंगा में आई बाढ़ के बाद इस प्लांट को भारी तबाही झेलनी पड़ी औऱ कुल 200 लोगों की मौत हो गई थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्लांट के लिये बन रही 12 किलोमीटर लम्बी सुरंग यहां समस्या के लिये ज़िम्मेदार है। हालांकि एनटीपीसी ने बयान जारी कर कहा है कि उनकी सुरंग जोशीमठ में दरारों और ज़मीन धंसने के लिये ज़िम्मेदार नहीं है और न ही सुरंग बनाने के लिये कोई विस्फोट किये जा रहे।
केंद्र की मसौदा एनसीआर योजना में अरावली को स्थान नहीं
केंद्र सरकार ने प्रस्तावित क्षेत्रीय योजना 2041 के मसौदे में अरावली को प्राकृतिक क्षेत्रों की परिभाषा से बाहर कर दिया है। एचटी की रिपोर्ट के अनुसार मसौदे में दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक में निर्माण पर मौजूदा 0.5% सीमा पर भी कुछ नहीं कहा गया है।
साल 2005 से लागू एनसीआर क्षेत्रीय योजना- 2021 को आगे बढ़ाने के लिए एनसीआर क्षेत्रीय योजना- 2041 का प्रस्ताव लाया गया है। इस ड्राफ्ट प्लान को एनसीआर में शामिल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ जिलों के विकास के लिए एक दीर्घकालिक योजना के रूप में तैयार किया गया है।
लेकिन इस मसौदे से मौजूदा क्षेत्रीय योजना 2021 के उपरोक्त दोनों प्रावधानों को हटा दिया गया है। 2021 की योजना में प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्रों में निर्माण पर 0.5% की अधिकतम सीमा का भी प्रावधान है।
माना जा रहा है कि प्रस्तावित योजना दशकों से अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही अरावली पर्वत श्रृंखला के संरक्षण के लिए खतरा हो सकती है।
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