नियमों में बदलाव: केंद्र सरकार ने समुद्र तट में अस्थाई निर्माण के लिये कोस्टल रेगुलेशन ज़ोन में ढील दी है। फोटो - Rakesh_wikimediacommons

टूरिज्म को बढ़ाने के इरादे से संवेदनशील समुद्र तटीय क्षेत्र में अस्थायी निर्माण के बदले नियम

केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी कर इस बात की अनुमति दी है कि मॉनसून के अलावा साल के बाकी महीनों में अस्थायी झोपड़े या खोमचे और ढांचे उन समुद्र तटों पर खड़े किये जा सकते हैं जहां ज्वार आता हो। नये नोटिफिकेशन के मुताबिक सरकार ने समुद्र तटों पर सेंडबार यानी रेत की प्राकृतिक बाढ़ जैसी संरचना को हटाने की अनुमति भी दी है। सरकार ने कोस्टल रेग्युलेशन ज़ोन नियमों में बदलाव के तहत ये घोषणा की है जिसके पीछे पर्यटन को बढ़ाने का इरादा है हालांकि पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि संवेदनशील समुद्र तटीय इलाकों के लिये बनाये गये नियमों के महत्व को समझने की ज़रूरत है। 

धरती के इकोसिस्टम को बचाने के लिये 2025 तक निवेश को पहुंचाना होगा 384 बिलयन डॉलर प्रतिवर्ष  

कनाडा के मॉन्ट्रियल में जैव विविधता संरक्षण पर वार्ता के लिये 190 से अधिक देशों के सम्मेलन से ठीक पहले संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में जैव विविधता कार्यक्रमों के लिये फाइनेंस की कमी को रेखांकित करती एक रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु संकट को साधने के लिये साल 2025 तक जिन प्रकृति आधारित कार्यक्रमों को लागू किया जाना है उनमें वित्त प्रवाह दोगुना करना होगा। 

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से दुनिया के तमाम इकोसिस्टम बचाने हैं तो उनको संरक्षित करने के लिये बड़ी धनराशि व निवेश चाहिये। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रोग्राम (यूएनईपी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये साल 2025 तक इस तरह के कुल सालाना निवेश 384 बिलियन डॉलर हो जाने चाहिये। यह अभी हो रहे निवेश से लगभग दोगुना है। इसी हफ्ते कनाडा में चल रहे  जैवविवधता सम्मेलन में इस रिपोर्ट के निष्कर्षों को रखा जायेगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मत्स्य पालन, कृषि और जीवाश्म ईंधन के लिये अभी 500 बिलयन से 1 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष की सब्सिडी दी जा रही है जो कि बायोडायवर्सिटी को क्षति पहुंचा सकती है। 

कनाडा में यह सम्मेलन 7 से 19 दिसंबर तक हो रहा है जहं भारत ने “लिविंग इन हारमॉनी विथ नेचर” को अपनी थीम बनाया है। भारत दुनिया के 100 देशों के साथ साल 2030 तक धरती की 30% भूमि और 30% समुद्र को संरक्षित करने का लक्ष्य आगे बढ़ा रहा है। 

 “कुछ भी हो” केरल सरकार खड़ी रहेगी अडानी के प्रोजेक्ट के साथ

मछुआरों के तीखे विरोध केरल में कम्युनिस्ट सरकार का कहना है कि “कुछ भी हो” वह गौतम अडानी ग्रुप के 90 करोड़ डॉलर के प्रोजेक्ट के साथ खड़ी रहेगी। केरल सरकार के जहाजरानी मंत्री अहमद देवरकोविल ने यह बात कही है। पिछले चार महीने से मछुआरा समुदाय ने त्रिवेन्द्रम के पास निर्माणाधीन विझिंजम पोर्ट प्रोजेक्ट पर काम रोका हुआ है। मछुआरा समुदाय ने पोर्ट पर एक अस्थायी तम्बू लगा दिया है और यह विरोध प्रदर्शन कैथोलिक पादरियों की अगुवाई में हो रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इतने विशाल पोर्ट के बनने से तट का क्षरण होगा और मछुआरों की रोज़ी खत्म हो जायेगी। राज्य सरकार ( जो कि पोर्ट की लागत का दो-तिहाई भार उठा रही है) ने इन आरोपों का खंडन किया है। पिछले हफ्ते करीब 100 लोग यहां हुई झड़पों में घायल हुये जिनमें 64 पुलिसकर्मी थे। 

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