पेरिस समझौते के बाद दुनिया में अधिकांश कोयला बिजलीघर प्लान रद्द हुये, चीन अब भी सबसे बड़ी समस्या

जलवायु परिवर्तन पर काम कर रहे समूहों की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में हुये पेरिस समझौते के बाद से दुनिया में जितने भी कोयला बिजलीघरों की योजनायें बनाई गई थीं उनमें से तीन-चौथाई से अधिक रद्द कर दी गई हैं। कोयला बिजलीघरों की ग्लोबल पाइप लाइन ठंडे बस्ते में है। यूके से निकलने वाले अंग्रेज़ी अख़बार द गार्डियन के मुताबिक इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले  क्लाइमेट ग्रुप – ई3जी, ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर और एम्बर – कहते हैं कि 44 देशों में अब कोई नये कोयला पावर प्लांट की योजना नहीं है। इन देशों के पास “नो न्यू कोल” (नया कोयला नहीं) नारे वाले 40 देशों के साथ मिलकर नई शुरुआत करने का सुनहरा मौका है।  

दुनिया में अभी जितने कोल प्लांट्स बनाये जाने की योजना है उनमें से आधे से अधिक चीन में हैं। अगर चीन के साथ भारत, इंडोनेशिया, विएतनाम,  बांग्लादेश और टर्की जैसे देश अपने कोयला बिजलीघर रद्द कर दें तो प्रस्तावित कोयला बिजलीघरों की संख्या 90% तक घट जायेगी। इस रिपोर्ट के बारे में अधिक विस्तार से यहां पढ़ा जा सकता है

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