एक कूटनीतिक कदम के तहत जर्मनी ने रूस से आ रही नॉर्ड – 2 गैस पाइप लाइन को हरी झंडी देने की प्रक्रिया को रोक दिया है। जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने बीते मंगलवार को कहा कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद उनकी सरकार ने यह कदम उठाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जर्मनी के कदम का स्वागत किया। अमेरिका ने भी गैस पाइप लाइन को बिछा रही रूसी कंपनी के खिलाफ प्रतिबंध लगा दिये हैं। 1100 करोड़ अमेरिकी डॉलर की यह गैस पाइप लाइन जर्मनी में सप्लाई को दोगुना करने वाली थी लेकिन अब रूस-यूक्रेन संकट के कारण यह लटक गई है।
क्लाइमेट पर शोध प्रकाशित करने वाला प्रकाशक कर रहा तेल-गैस कंपनियों की मदद!
क्लाइमेट से जुड़े शोधपत्र प्रकाशित करने वाली एक बड़ी कंपनी के साथ काम कर रहे वैज्ञानिकों का आरोप है कि यह प्रकाशक तेल और गैस उत्पादकों की भी मदद कर रहा है जिससे वह आक्रोशित हैं। न्यूज़-वेबसाइट गार्डियन ने यह ख़बर प्रकाशित की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि डच कंपनी एल्सवियर – जो कि प्रतिष्ठित लांसेट और ग्लोबल इन्वायरेंमेंटल चेंज जैसे पत्र प्रकाशित करती है – जीवाश्म ईंधन (तेल और गैस) उत्पादन से जुड़ी पुस्तकें भी प्रकाशित कर रही है। गार्डियन ने इस पब्लिशिंग हाउस से जुड़े कर्मचारियों से बात की जिनका कहना था कि कंपनी से लगातार तेल गैस उत्पादकों से रिश्ते तोड़ने के लिये दबाव बनाया गया लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ।
कोयला खनन पर चीन का व्यापक कार्यक्रम जारी रहेगा
चीन में योजना बनाने वाली सबसे बड़ी संस्था नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म कमीशन (एनआरडीसी) ने 350 करोड़ डॉलर से अधिक लागत के कोयला खनन प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी दी है। चीन ने सोमवार को (आधिकारिक बयान में मंगलवार और बुधवार के दस्तखत हैं) तीन खनन योजनाओं को हरी झंडी दी जिनमें से दो शां-झी प्रान्त में हैं और एक भीतरी मंगोलिया में है। इसमें 380 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश होगा और हर साल 19 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होगा। चीन दुनिया में सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाला देश है और उसने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब आईपीसीसी की ताज़ा रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर कड़ी चेतावनियां दी गई हैं।
रुस-यूक्रेन संकट के बावजूद ओपेक देश धीरे-धीरे बढ़ायेंगे तेल की सप्लाई
रुस-यूक्रेन संकट के कारण कच्चे तेल की कीमत 119 डॉलर तक पहुंच गई है। वैश्विक बाज़ार में तेल की कमी के बावजूद ओपेक देशों ने घोषणा की है कि वह कच्चे तेल की सप्लाई धीरे-धीरे बढ़ायेंगे। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उसके तेल और गैस निर्यात पर पाबंदी की आशंका है जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में 8-10% की कमी हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के सदस्यों ने प्रतिदिन 6 करोड़ बैरल तक सप्लाई बढ़ाने का फैसला किया है जिसमें ज़्यादातर हिस्सा अमेरिका सप्लाई करेगा।
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