ईवी से होगी डिलीवरी: अप्रैल 2020 से अब तक ईवी स्टार्टअप्स में 160 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया जा चुका है। फोटो - TruckPR_flickr

कंपनियों में सर्विस के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल का चलन बढ़ा

भारत में ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स कंपनियां उत्सर्जन में कटौती करने और ईंधन की बढ़ती कीमतों से निबटने के लिए तेजी से अपने सर्विस वाहनों को विद्युतीकृत करने को तैयार हैं, जिससे उभरते इलेक्ट्रिक-वाहन-एस-ए-सर्विस (ईवास) क्षेत्र की संभावनाएं बढ़ रही हैं।

एक निजी कंपनी डेटाबेस प्लेटफॉर्म क्रंचबेस के अनुसार, अप्रैल 2020 से अब तक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) स्टार्टअप्स में 160 मिलियन डॉलर (करीब 1280 करोड़ रुपए) से अधिक का निवेश किया गया है। उससे पहले यह राशि 7 मिलियन डॉलर (लगभग 56 करोड़ रुपए) ही थी।

पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ, लॉजिस्टिक्स कंपनियों द्वारा ईवी का प्रयोग सामाजिक और आर्थिक रूप से भी लाभकारी है, क्योंकि ईवी की परिचालन लागत 70% कम है। हालांकि, लॉजिस्टिक्स के लिए सही उत्पादों की कमी, ईवी का कम भरोसेमंद होना और अस्थिर रीसेल वैल्यू आदि कुछ चुनौतियां भी हैं।

ओडिशा की नजर ई-वाहन क्षेत्र में निवेश पर

पिछले साल अपनी इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति शुरू करने के बाद, ओडिशा सरकार इलेक्ट्रिक वाहन और घटक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश के लिए मेक इन ओडिशा (एमआईओ) कॉन्क्लेव 2022 पर नजर गड़ाए हुए है। सरकार इसके ज़रिए निवेशकों को लुभाना चाहती है। ओडिशा सरकार की ईवी नीति में आगामी पांच वर्षों में खरीदारों के लिए रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क में छूट के साथ-साथ लोन में सब्सिडी के प्रावधान भी प्रस्तावित हैं। ईवी निर्माण और खरीद के साथ पुराने वाहन हटाने पर भी वित्तीय प्रोत्साहन प्रस्तावित है।

ईवी खरीदारों के लिए वित्तीय प्रोत्साहन और सब्सिडी के अलावा, राज्य की ईवी नीति में नई सूक्ष्म और लघु कंपनियों के लिए 1 करोड़ रुपए तक के पूंजी निवेश का प्रावधान है, जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, विकलांगों, और तकनीकी डिप्लोमा धारकों द्वारा संचालित संस्थाओं के लिए 1.2 करोड़ रुपए तक के पूंजी निवेश का प्रावधान है और पिछड़े क्षेत्रों में विकसित नए उद्योग 15% पूंजी निवेश सब्सिडी के पात्र होंगे। 

प्रस्तावित बैटरी स्वैप सब्सिडी को ईवी मानकों से जोड़ने की संभावना नहीं

भारत जल्द ही बैटरी स्वैपिंग सब्सिडी की घोषणा करने वाला है, लेकिन इसे किसी प्रकार के मानकों से जोड़े जाने की संभावना नहीं है। 

मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि बैटरी स्वैपिंग की नीति को पहले ही अंतिम रूप दे दिया गया है, और इसे जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा। हालांकि, मौजूदा इलैक्ट्रिक वाहन निर्माता एक ही तरह के स्वैपिंग मानकों के पक्ष में नहीं हैं और उन्होंने इंटरऑपरेबिलिटी को लेकर चिंता जताई है। 

ऐसा माना जा रहा है कि नए इंटरऑपरेबल भारतीय मानक सभी निर्माताओं के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित करेंगे क्योंकि कोई भी निर्माता भारतीय मानकों की आवश्यकताओं के अनुसार अपने उत्पाद को डिजाइन कर सकता है। 

एक अधिकारी के अनुसार, बैटरी स्वैपिंग इकोसिस्टम पर एकाधिकार से बचना एक मुख्य उद्देश्य है। इंटरऑपरेबल मानक ग्राहकों को यह सुविधा प्रदान करेंगे कि वह निकटवर्ती बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों तक आसानी से पहुंच सकें।

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