ऑटो एक्सपो 2023 के पहले दिन ईवी से लेकर हाइड्रोजन से चलने वाली कई गाड़ियों को प्रदर्शित किया गया और हरित वाहनों की धूम रही।
मारुति सुजुकी, हुंडई, टाटा मोटर्स, किआ, और अशोक लीलैंड जैसी प्रमुख कंपनियों ने अपने नए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) या वैकल्पिक ऊर्जा-संचालित मॉडलों का अनावरण किया।
अलग-अलग कंपनियों द्वारा 22 मॉडलों का अनावरण किया गया, जिनमें से अधिकांश ईवी सेगमेंट में प्रदर्शित किए गए।
आकर्षण का प्रमुख केंद्र रही सुजुकी मोटर की कॉन्सेप्ट इलेक्ट्रिक एसयूवी, ईवीएक्स, जिसके 2025 तक बाजार में आने की संभावना है।
इसके अलावा हुंडई ने अपनी बहुप्रतीक्षित ऑल-इलेक्ट्रिक एसयूवी आयनिक5 लांच की, जिसकी रेंज 631 किमी है। दूसरी ओर, टाटा मोटर्स ने ईवी सेगमेंट में 12 वाहनों — सिएरा, हैरियर और अविन्या का अनावरण किया; अंतर्दहन इंजन (आईसीई) सेगमेंट में कॉन्सेप्ट कर्व, और सीएनजी सेगमेंट में ऑल्ट्रोज़ आईसीएनजी और पंच आईसीएनजी का भी अनावरण किया।
ईवी बैटरी बाजार में आगे बढ़ने के लिए भारत को कच्चे माल की जरूरत
दुनिया महत्वपूर्ण बैटरी सामग्री के लिए चीन पर निर्भरता को दूर करने की कोशिश कर रही है। भारत इलेक्ट्रिक वाहन आपूर्ति श्रृंखला में एक विकल्प के रूप में अपना स्थान बनाने के लिए साहसिक कदम उठा रहा है।
ईवी को अपनाने में तेजी लाने के लिए सरकार ने लगभग 27,500 करोड़ रुपए के इंसेंटिव देने का ऐलान किया है।
इसके पीछे की मंशा यह है कि ईवी के सबसे महंगे घटक — बैटरी — का निर्माण स्थानीय स्तर पर होने से वाहनों की कीमतों में और गिरावट आएगी।
इससे देश एक संभावित निर्यातक के रूप में उभरेगा, जो विश्व में बैटरी की बढ़ती मांग से लाभान्वित होगा।
लेकिन, भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वैश्विक स्तर पर उत्पादन करना तो दूर, इसके पास लिथियम-आयन बैटरी की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए ही आवश्यक कच्चे माल की कमी है।
लिथियम आपूर्ति श्रृंखला में चीन का दबदबा है; इसकी कंपनियों ने पहले से ही प्रमुख लिथियम उत्पादक देशों के साथ समझौते कर रखे हैं, और इसने कच्चे माल को बैटरी-ग्रेड इनपुट में संसाधित करने के साथ-साथ स्टोरेज पैक का निर्माण खुद करना भी शुरु कर दिया है।
भारत को चीन की बराबरी करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। देश को अमेरिका सहित अन्य देशों से भी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है, जो बाजार पर चीन की पकड़ को ख़त्म के प्रयास में घरेलू बैटरी उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहा है।
ईवी निर्माताओं द्वारा गलत तरीके से ली गई सब्सिडी वापस लेगी सरकार
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार फेम-II के तहत इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं द्वारा गलत तरीके से ली गई सब्सिडी वापस लेने की योजना बना रही है।
फेम-II योजना को 10,000 करोड़ रुपए की लागत से विशेष रूप से स्थानीय ईवी विनिर्माण को प्रोत्साहित करने और टेलपाइप उत्सर्जन रहित परिवहन विकल्पों के उपयोग के लिए बनाया गया था।
भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ने उन उत्पादकों द्वारा ली गई सब्सिडी की मात्रा निर्धारित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो इस कार्यक्रम के तहत वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए स्थानीयकरण के आवश्यक स्तर का पालन करने में विफल रहे।
2022 में एमएचआई को कुछ ईवी निर्माताओं द्वारा सब्सिडी के दुरुपयोग की शिकायतें मिलीं। नतीजतन, मंत्रालय ने जांच लंबित रहने तक ईवी निर्माताओं को सब्सिडी देना बंद कर दिया। इससे देय सब्सिडी की राशि बढ़ती गई, जो अब मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) केंद्र से मांग रहे हैं। उनका दावा है कि ईवी पहले से ही उपभोक्ताओं को छूट पर बेचे जा चुके हैं।
सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (एसएमईवी) के अनुसार, एमएचआई ने 1,100 करोड़ रुपए की सब्सिडी रोक रखी है जो ओईएम को देय है, जबकि ईवी निर्माताओं ने दावा किया है कि सब्सिडी रोकने के निर्णय से उनका संचालन प्रभावित हो रहा है।
दिसंबर में दिल्ली ने सभी राज्यों से अधिक मासिक ईवी बिक्री दर्ज की
दिल्ली ने दिसंबर 2022 में 7,046 इलेक्ट्रिक वाहनों की रिकॉर्ड संख्या दर्ज की, जो 2021 के इसी महीने की तुलना में साल-दर-साल 86 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली ईवी नीति के लांच के बाद से राष्ट्रीय राजधानी में 93,239 यूनिट इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हुए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन इलेक्ट्रिक वाहनों में अकेले 2022 में दोपहिया वाहनों का योगदान लगभग 55 प्रतिशत है।
इसके अलावा, पिछले साल दिसंबर में दिल्ली में कथित तौर पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अब तक की सबसे अधिक मासिक इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री देखी गई।
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