रूस पर प्रतिबंधों का शिकंजा और कसते हुए यूरोपीय संघ कथित तौर पर रूसी कोयले के आयात को पूरी तरह से बंद करने पर विचार कर रहा है। इसे यूक्रेन के बुका में रूस के कथित युद्ध अपराधों के खिलाफ एक कड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है। ईयू प्रत्येक वर्ष 4 अरब यूरो के रूसी कोयले का आयात करता है। यूक्रेन युद्ध के बाद बदलती राजनैतिक स्थिति के परिणामस्वरूप यूरोपीय संघ के देशों में पहले से ही ऊर्जा लागत बहुत बढ़ गई है। लेकिन उसके बावजूद यह निर्णय पारित किया जा सकता है। रूसी कोयले का आयात पूरी तरह बंद करने के बाद रूस निर्मित रसायन, रबर, तेल और गैस जैसे अन्य सामानों पर और प्रतिबंध लगाए जाने की भी संभावना है।
जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने भी इस संभावित प्रतिबंध का समर्थन किया और कहा कि उनके देश को आयात पूरी तरह रोकने के लिए लगभग चार महीने (120 दिन) का समय लगेगा, भले ही ऐसा करने से थोड़े दिनों के लिए कोयले की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
इसके अलावा, जापान भी जल्द ही यूक्रेन में रूस की सैन्य आक्रामकता के खिलाफ अपने राजनयिक रुख के कारण रूसी कोयले के आयात पर प्रतिबंध लगा सकता है। हालाँकि इसकी समय-सीमा की घोषणा नहीं की गई है क्योंकि जापान की कोयले की खपत का 13% रूस से आता है।
चीन ने 97 साल तक चलने वाली नई कोयला खदान को दिया लाइसेंस
चीनी सरकार ने ऑर्डोस, इनर मंगोलिया में एक नई कोयला खदान — बैजियाहैज़ी — के लिए लाइसेंस प्रदान किया है जो अनुमानतः 96.8 वर्षों तक हर साल 15 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर सकती है। खदान का परिचालन 2019 में शुरू हुआ था लेकिन लाइसेंस देकर इसे वैध अब बनाया गया है। इस खदान में 2.03 बिलियन टन ईंधन है। वार्षिक कोयला उत्पादन के मामले में यह चीन का सबसे बड़ा क्षेत्र है और 2022 के अंत तक 1.18 बिलियन टन ईंधन निकालने की राह पर है।
भारत: कोयले की मांग 2030 तक 63% बढ़ सकती है, लेकिन सरकार कोयला बिजली को 30% तक कम करेगी
भारत के नए मसौदा आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 से पता चला है कि देश में कोयले की मांग 2030 तक 63% बढ़कर सालाना 1.3-1.5 बिलियन टन तक पहुंच सकती है, जिसका अर्थ यह है कि निकट भविष्य में कोयला उपयोग समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। सर्वेक्षण के निष्कर्ष राज्य सभा में प्रस्तुत किए गए थे। लेकिन साथ ही ऊर्जा मंत्रालय 2030 तक देश के ऊर्जा मिश्रण में कोयला ऊर्जा की हिस्सेदारी को (52% से घटाकर) 32% तक करने का प्रयास करेगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब ऊर्जा मंत्रालय कथित तौर पर बहुत कम टैरिफ (सौर ऊर्जा के लिए रु 1.99 प्रति किलोवाट ऑवर) पर नवीकरणीय ऊर्जा के लिए समर्थन बढ़ा रहा है, और देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या को साफ़ ऊर्जा प्रदान करने के लिए ‘गो इलेक्ट्रिक’ अभियान को बढ़ावा दे रहा है।
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