वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने घरेलू उत्पादकों को सस्ते आयात से बचाने के लिए चीनी सोलर ग्लास पर एंटी-डंपिंग शुल्क दो साल तक जारी रखने की सिफारिश की है। टेक्सचर्ड टेम्पर्ड कोटेड और अन-कोटेड ग्लास पर यह शुल्क जारी रखने का सुझाव दिया गया है।
मंत्रालय ने सिफारिश की है कि यह शुल्क 192.82 डॉलर प्रति टन से 302.65 डॉलर प्रति टन के बीच रखा जाए। इस शुल्क को लगाने का अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय लेता है। डीजीटीआर ने जांच में पाया कि चीन सोलर ग्लास को सामान्य से कम कीमतों पर भारत में निर्यात कर रहा है जिसके परिणामस्वरूप डंपिंग लगातार जारी है।
भारत ने सौर विनिर्माण इकाइयों के लिए पीएलआई योजना में सुधार किया, एसईसीआई करेगी कार्यान्वयन
सरकार ने देश में उच्च दक्षता वाले सौर मॉड्यूल के निर्माण के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना के दूसरे भाग को लागू करने के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किए हैं। सरकार ने कंपनियों के लिए पॉलीसिलिकॉन, वेफर्स, सेल और मॉड्यूल की लंबवत-एकीकृत क्षमता स्थापित करने के लिए 1.54 बिलियन डॉलर आरक्षित किए हैं। मेरकॉम की रिपोर्ट के अनुसार 2022-23 के बजट में 45 बिलियन डॉलर के अलावा, 2.51 बिलियन डॉलर के अतिरिक्त आवंटन की घोषणा की गई थी, ताकि पॉलीसिलिकॉन से सोलर मॉड्यूल तक विनिर्माण इकाइयों को पूरी तरह से एकीकृत कर सौर मॉड्यूल्स के लिए बड़ा मैन्युफैक्चरिंग बेस बनाया जा सके।
पीएलआई कार्यक्रम की कार्यान्वयन एजेंसी भारतीय सौर ऊर्जा निगम होगी। पहले भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी इस कार्यक्रम की कार्यान्वयन एजेंसी थी। एसईसीआई के पास आवेदकों की निर्माण इकाइयों और कार्यालयों का निरीक्षण करने का अधिकार होगा। बोली लगाने के लिए अर्हता प्राप्त करने हेतु आवेदक को न्यूनतम 1 गीगावाट की निर्माण इकाई स्थापित करनी होगी।
भारत में हरित हाइड्रोजन अंगीकरण का लक्ष्य होगा विलंबित: आईसीआरए
रेटिंग एजेंसी आईसीआरए का कहना है कि दुनिया भर में कीमतों के हालिया उछाल से भारत के हरित हाइड्रोजन की खपत के लक्ष्य को पूरा करने में देरी हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत समेत दुनिया भर में हरित हाइड्रोजन अपनाने का अभियान इस बात पर निर्भर है कि 2030 तक इलेक्ट्रोलाइज़र्स की लागत 50% घटकर 2-3 डॉलर प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाएगी।
आईसीआरए के रिसर्च और आउटरीच के प्रमुख रोहित आहूजा ने ईटी को बताया कि भू-राजनीतिक व्यवधानों के चलते धातु की कीमतों में हालिया उछाल के कारण इलेक्ट्रोलाइजर्स की मौजूदा विनिर्माण लागत में जो कमी अपेक्षित थी वह अब 2030 के करीब हो सकती है।
भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता में 60 गीगावाट की वृद्धि और इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण सुविधाओं में निवेश को ध्यान में रखते हुए, हरित हाइड्रोजन का उत्पादन बढ़ाने के लिए लगभग 4 लाख करोड़ रुपए के कुल निवेश की आवश्यकता हो सकती है। भारत में कुल हाइड्रोजन उत्पादन में हरित हाइड्रोजन की हिस्सेदारी मौजूदा शून्य से 2030-50 तक 30 से 80 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही कुल खपत में मौजूदा 6 मिलियन मीट्रिक टन से चार से पांच गुना की वृद्धि के साथ लगभग 30 एमएमटी होने की उम्मीद है।
शोध: भारत की सौर क्षमता में 2021 में 10 गीगावाट की वृद्धि हुई
मेरकॉम ने एक शोध में बताया है कि 2021 के दौरान देश में सौर प्रतिष्ठानों की स्थापना में रिकॉर्ड 210 प्रतिशत की वृद्धि के साथ सौर क्षमता में 10 गीगावाट की बढ़ोत्तरी हुई। शोध में कहा गया है कि 2020 में हरित क्षमता वाले प्रतिष्ठान 3.2 गीगावाट तक पहुंच गए।
कुल प्रतिष्ठानों में 83 प्रतिशत हिस्सा यूटिलिटी-स्केल परियोजनाओं का रहा और इन परियोजनाओं के शीर्ष दस डेवलपर्स ने 2021 में कुल स्थापित प्रतिष्ठानों ने 68 प्रतिशत का योगदान दिया। अधिकतम परियोजनाएं रिन्यू पावर ने नियुक्त कीं और दूसरा स्थान अडानी ग्रीन का रहा।
2022 में नई अक्षय क्षमता में वृद्धि दोगुनी हो गई। भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में केवल 7.7 गीगावाट के मुकाबले वित्त वर्ष 2021-22 में 15.5 गीगावाट गैर-हाइड्रो नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित की। 13.9 गीगावाट के साथ कुल क्षमता में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी लगभग 90% है।
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