दिल्ली सरकार को नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) के तहत केंद्र से इस साल 18 करोड़ रुपये मिलेंगे। नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम की घोषणा जनवरी 2019 में की गई थी जिसके तहत लगभग 100 से अधिक शहरों को शामिल किया गया है। इस प्रोग्राम का लक्ष्य 2024 तक हवा में प्रदूषण (2017 को आधार वर्ष मानते हुये) को 20-30% कम करना है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक दिल्ली को पहली बार ये फंड दिया जा रहा है क्योंकि पहले उसके पास संसाधन उपलब्ध थे। इस कार्यक्रम के तहत 82 शहरों के लिये 290 करोड़ रखे गये हैं।
महंगे ईंधन और मशीनों की कमी के कारण किसानों ने फिर जलाई पराली
पंजाब में किसानों ने खेतों में पराली जलाना शुरू कर दिया है जो कि इन महीनों में दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में वायु प्रदूषण की एक मुख्य वजह होता है। सीईईडब्लू की रिपोर्ट के अनुसार 1 सितंबर से 13 अक्टूबर के बीच 1,160 जगह खेतों में आग लगाई गई। खेती में कई साल से अभिनव प्रयोग की कोशिशों के बावजूद भी धान खरीफ की प्रमुख फसल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन ज़िलों में पूसा -44 नाम की जो प्रजाति बोई जाती है – जो देर से तैयार होती है उसकी ठूंठ काफी ऊंची रह जाती है – उन ज़िलों में पराली जलाने की अधिक घटनायें हुई हैं।
सीईईडब्लू की रिपोर्ट के मुताबिक हैप्पी सीडर और सुपर सीडर के नाम से खुंटी साफ करने की जो मसीन उपलब्ध हैं वो संख्या में काफी कम हैं और बहुत कारगर नहीं हैं। अगर गैर बासमती वाले खेतों में कुल 100 मशीनें लगा दें तो वह 2021 में कुल 66% हिस्से को ही साफ कर पायेंगी। साथ ही 2019 के मुकाबले 8% अधिक पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ी कीमतों ने यह काम और मुश्किल कर दिया है।
वायु प्रदूषण से हर मिनट मर रहे 13 लोग: WHO रिपोर्ट
ग्लासगो में शुरु हो रहे जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन कॉप -26 की विशेष रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण – जो कि जीवाश्म ईंधन के जलने से होता है – से पूरी दुनिया में हर एक मिनट में 13 लोगों की मौत हो रही है।
पर्यावरण, क्लाइमेट चेंज और स्वास्थ्य पर डब्लूएचओ की निदेशक डॉ मारिया नेयारा के मुताबिक वायु प्रदूषण पर डब्लूएचओ की गाइडलाइंस को मान लिया जाये तो इस कारण होने वाली मौतों को 80% कम किया जा सकता है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
दिल्ली में इस साल भी बैन रहेंगे पटाखे, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कहीं और जाकर जलाएं
-
दिल्लीवासियों के लगभग 12 साल खा रहा है वायु प्रदूषण: रिपोर्ट
-
वायु प्रदूषण एंटीबायोटिक प्रतिरोधक क्षमता को दे रहा है बढ़ावा
-
वायु प्रदूषण से भारत की वर्ष-दर-वर्ष जीडीपी वृद्धि 0.56% अंक कम हुई: विश्व बैंक
-
देश के 12% शहरों में ही मौजूद है वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग प्रणाली