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पलायन से भी बढ़ रहे क्लाइमेट के ख़तरे

अब तक ये माना जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन पलायन को बढ़ा रहा है लेकिन नये शोध बताते हैं कि इसके विपरीत प्रभाव भी दिख रहे हैं यानी पलायन से जलवायु के ख़तरों का बढ़ना। भारत में जिन जगहों में कृषि प्रमुख व्यवसाय रहा है अब वहां से लोग तेजी से शहरों की ओर जा रहे हैं। विज्ञान पत्रिका नेचर में छपे एक लेख में कहा गया है कि इस कारण शहरों में जलवायु से जुड़े अधिक खतरे दिखाई दे रहे हैं। शहरों में पहले ही आबादी का काफी दबाव है लेकिन खेती पर बढ़ते संकट के कारण लोग सामाजिक आर्थिक वजहों से शहरों की ओर आ रहे हैं। महत्वपूर्ण है कि प्रमुख प्रवासी गंतव्य – जैसे मुंबई और दिल्ली पिछले कुछ दशकों से कई जलवायु-संबंधी खतरों में वृद्धि देख रहे हैं।

कई संदर्भों के हवाले से इस लेख में कहा गया है कि भविष्य में दक्षिण एशिया में, घातक हीटवेव बढ़ने का अनुमान है। चूंकि शहरी क्षेत्रों में बढ़ती गर्मी यहां की जनसंख्या वृद्धि से जुड़ी हुई है, प्रवासियों का एक बड़ा प्रवाह पहले से ही घनी आबादी वाले मेगासिटी में हीटवेव के प्रभाव को और बढ़ायेगा। लेख के अनुसार हीटवेव का सबसे ज्यादा प्रभाव प्रवासी समुदाय द्वारा महसूस किए जाने की संभावना है, क्योंकि वे पहले से ही घनी आबादी वाली झुग्गी झोपड़ियों में रह रहे हैं जहां जीने के लिये सामान्य सुविधायें तक नहीं हैं।

एक और बड़ा खतरा तटीय शहरों में बाढ़ से है। लेख में बताया गया है कि मुंबई में चक्रवातों और समुद्र सतह में वृद्धि के कारण बाढ़ का प्रकोप पिछले कुछ वर्षो में बढ़ गया है । नेचर में प्रकाशित यह रिसर्च कहती है कि तटीय शहरों में बाढ़ की संभावना यहां रह रहे समुदायों के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा करेगी, जो आम तौर पर कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रहते हैं।

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