छत्तीसगढ़ ने कोयला खदानों की नीलामी को हरी झंडी दी

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल कैबिनेट ने केंद्र सरकार द्वार तय किये गये 18 में से 17 कोल ब्लॉक्स की नीलामी के लिये सहमति दे दी है। इससे वन्य जीवों पर खनन के प्रभाव को लेकर सवाल खड़े हो गये हैं क्योंकि ये जंगल हाथियों, तेंदुओं और भालुओं का घर हैं।  रायगढ़ ज़िले के बारा कोल ब्लॉक को नीलामी से बाहर रखा गया है क्योंकि इसके आसपास बहुत आबादी है।   जिन कोल ब्लॉकों की नीलामी मंजूर की गई है वह धरमजयगढ़, सरगुजा, सूरजपुर और कोरिया फॉरेस्ट डिविज़न में हैं। अनुमान है कि इन 17 कोल ब्लॉक्स के कुल 80 करोड़ टन कोयला उत्पादन होगा। छत्तीसगढ़ में कुल 5,800 करोड़ टन कोयले का भंडार है और इसका वर्तमान सालाना उत्पादन 15 करोड़ टन है। 

COP26 के 100 दिन बाकी: विकासशील देशों ने अमीर देशों से तेजी से इमीशन कम करने को कहा 

इस साल ग्लासगो में होने वाले जलवायु परिवर्तन महासम्मेलन COP26 के केवल 100 दिन बचे हैं और दुनिया के 100 से अधिक देशों ने अमीर देशों से अपील की है कि वो अपने ग्रीन हाउस गैस इमीशन तेजी से कम करें। इन देशों ने विकसित देशों से ये भी कहा है कि उन गरीब देशों को आर्थिक मदद दी जाये जिन पर जलवायु परिवर्तन का बुरा असर पर रहा है और जिनके पास इससे लड़ने के लिये संसाधन नहीं हैं। सबसे कम विकसित देशों – जिन्हें एलडीसी कहा जाता है – ने नवंबर में होने वाले ग्लासगो सम्मेलन से पहले पांच मांगें रखी हैं जिनमें विकसित देशों से कार्बन इमीशन कट करने के लक्ष्य को तय समय से पहले हासिल करने और अपने नेशनल प्लान को अपग्रेड करने को कहा है। इसके अलावा इन देशों ने क्लाइमेट फाइनेंस के रूप में $100 बिलियन ($10,000 करोड़) डालर सालाना मदद भी मांगी है। 

इस बीच इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) ने चेतावनी दी है कि अगर सरकारों के कोविड-19 ग्रीन रिकवरी प्लान लागू नहीं हुये तो 2023 तक ग्रीन हाउस गैस इमीशन रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच जायेंगे। वैज्ञानिकों ने कहा है कि इसमें असफलता का मतलब है कि पेरिस संधि के तहत तय क्लाइमेट लक्ष्य पहुंच से बाहर होंगे। धरती की तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री के नीचे सीमित रखने के लिये इस दशक के अंत तक सभी देशों को इमीशन आधे करने होंगे। 

EU: क्लाइमेट चेंज से लड़ने के लिये ‘फिट फॉर 55’ पैकेज 

यूरोपियन यूनियन ने इस दशक में हरित लक्ष्य हासिल करने के लिये ‘फिट फॉर 55 पैकेज’ की घोषणा की है। EU ने तय किया है कि वह सम्मिलित रूप से अपने इमीशन में 2030 तक  -1990 की तुलना में-  55% कटौती करेगा। इस योजना के तहत कार्बन बॉर्डर टैक्स लगाना और हवाई जहाजों और जलपोतों की आवाजाही पर कार्बन टैक्स लगाना शामिल है ताकि हीटिंग, ट्रांसपोर्ट और मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टरों में ग्रीन एनर्जी को प्रोत्साहित किया जा सके। 

चीन ने कार्बन इमीशन ट्रेडिंग योजना की शुरुआत की 

चीन ने इस महीने अपनी नेशनल इमीशन ट्रेडिंग स्कीम (ETS) की शुरुआत की। रिपोर्ट के मुताबिक पहले चरण में 41 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड की ट्रेडिंग हुई जिसकी कीमत 21 करोड़ युवान या 3.2 करोड़ डॉलर रही। ये दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन मार्केट है और पहले फेज की ट्रेडिंग में 2,000 बिजलीघर शामिल हैं जिनसे 400 करोड़ टन कार्बन डाई ऑक्साइड का इमीशन होता है। ट्रेडिंग के पहले दिन औसत ट्रांजेक्शन 51.23 युवान/ टन यानी 7.92 डॉलर/ टन पर बन्द हुआ जो 6.7% की बढ़ोतरी है। पेट्रोचायना और साइनोपेक जैसी कंपनियों ने पहले दिन की ट्रेडिंग में हिस्सा लिया। 

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