भारत के परमाणु रिसर्च संस्थान भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (BARC) ने कहा है कि उसने बिखरे तेल (आयल स्पिल) को नियंत्रित करने के लिये कपास आधारित सुपर एब्सोर्बेंट इजाद कर लिया है जिसका 1 ग्राम मिलाने से वह पानी में घुले कम से कम 1.5 किलो तेल को सोख सकता है। यह शोषक (एब्सोर्बेंट) 50-100 बार इस्तेमाल किया जा सकता है और उसके बाद मिट्टी में मिल कर नष्ट हो सकता है यानी बायोडिग्रडेबल है। इसकी मदद से नगरपालिकाओं के प्रदूषित पानी और सड़कों पर बिखरे तेल को साफ किया जा सकता है और आयल स्टेशन में होने वाले स्पिल को भी नियंत्रित किया जा सकता है। दिसंबर 2020 में इसका पेटेंट दिया गया।
पावर सेक्टर के 73% इमीशन के लिये केवल 5% कोल प्लांट ज़िम्मेदार
यूनिवर्सिटी ऑफ कोलेरेडो के ताज़ा अध्ययन में पाया गया है कि 73% ग्लोबल पावर इमीशन केवल 5% कोयला बिजलीघरों से हो रहे हैं। सबसे अधिक प्रदूषण करने वाले हर 10 बिजलीघरों में से 6 पूर्वी एशिया में हैं। बाकी चार में से 2-2 भारत और यूरोप में हैं और उनमें से हर कोई उत्तरी गोलार्ध में है। पोलैंड का 27 साल पुराना बेल्चाटोव प्लांट विश्व का सबसे अधिक कार्बन छोड़ने वाला बिजलीघर है। यह कम प्रदूषण करने वाले बिजलीघरों की तुलना में प्रति यूनिट 28-76% अधिक कार्बन छोड़ता है।
पावर सेक्टर के 73% इमीशन के लिये केवल 5% कोल प्लांट ज़िम्मेदार
इस अध्ययन में यह पाया गया है कि सबसे अधिक प्रदूषण करने वाले बिजलीघरों का इमीशन रोक कर एनर्जी सेक्टर के वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में 49% की कमी की जा सकती है। बाकी बिजलीघरों के इमीशन पर काबू कर अमेरिका, साउथ कोरिया, जापान और ऑस्ट्रेलिया अपने बिजली क्षेत्र के इमीशन 80% कम कर सकते हैं।
ग्रीनलैंड ने तेल और गैस का प्रयोग बन्द करने का फैसला किया
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए ग्रीनलैंड की सरकार ने तय किया है कि वह अपनी तटरेखा पर तेल या गैस निकालने की मंज़ूरी नहीं देगी। ग्रीनलैंड ने इसे एक “स्वाभाविक कदम” कहा है। जियोलॉजिकल सर्वे ने कहा है कि यहां 1750 करोड़ बैरल तेल और 148 लाख करोड़ घन फीट प्राकृतिक गैस है लेकिन ग्रीनलैंड फिर भी अक्षय ऊर्जा को इस्तेमाल करेगा।
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