कोरोना संकट: ‘चीन के हालात से भारत को डरने की ज़रूरत नहीं’
चीन में कोविड-19 की जो लहर चली है उससे भारत में भी यह शंका पैदा
चीन में कोविड-19 की जो लहर चली है उससे भारत में भी यह शंका पैदा
जैव विविधता सम्मेलन में कुछ ऐतिहासिक फैसले हुए हैं लेकिन बायोडाइवर्सिटी को क्षति पहुंचाने वाले
जलवायु परिवर्तन पर कम ही सही लेकिन हर साल सालाना सम्मेलन के वक्त कुछ चर्चा
कई उतार-चढ़ाव देखने के बाद आखिर शर्म-अल-शेख में वह एकमात्र बड़ी कामयाबी हो पाई जिसकी
आज भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था से जुड़ी है बिजली की मांग। भारत को
भले ही सम्मेलन में लॉस एंड डैमेज को फाइनेंस एजेंडा में शामिल कर लिया गया
हर साल के अंत में होने वाला जलवायु परिवर्तन महासम्मेलन (कॉप-27) – जिसमें दुनिया भर
2020 में ऋषि सुनक के वित्तमंत्री रहते ब्रिटेन ने अपने हिस्से की आधी राशि भी
नामीबिया से अफ्रीकी चीतों को भारत आये हफ्ता भर होने को है और इसे लेकर
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव इतने व्यापक हो गए हैं कि दुनिया के किसी सुदूर कोने