देश में वायु प्रदूषण के कारण औसत उम्र में 5 साल से अधिक कटौती हो रही है। देश की एक चौथाई आबादी अभी इतना प्रदूषण झेल रही है जितना किसी और देश में नहीं है। यह तथ्य शिकागो यूनिवर्सिटी के एनर्जी पॉलिसी संस्थान (EPIC) द्वारा बनाये गये एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स (AQLI) रिपोर्ट में सामने आये हैं। AQLI एक वायु प्रदूषण इंडेक्स है जो मानव जीवन पर प्रदूषण के प्रभाव को बताता है। रिपोर्ट कहती है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के उलट अभी हवा की जो क्वॉलिटी है वह उम्र को 5 साल से अधिक कम करने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण कोरोना महामारी से अधिक घातक है और बना रहेगा। पिछले 2 दशकों में देश में पार्टिकुलेट मैटर 42% बढ़े हैं और भारत की 84% आबादी देश के तय मानकों से खराब हवा में सांस ले रही है।
स्मॉग टावर मामले में SC ने दी अवमानना की चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट से अवमानना की चेतावनी के बाद आईआईटी मुंबई ने आनंद विहार बस अड्डे पर स्मॉग टावर लगाने के लिये सरकार के साथ नये MOU(एमओयू) पर दस्तख़त किये हैं। आनंद विहार दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के सबसे प्रदूषित इलाकों में है। मिनिसोटा विश्वविद्यालय और आईआईटी मुंबई मिलकर इसे अगले 10 महीने में तैयार करेंगे। हालांकि विशेषज्ञों ने स्मॉग टावर को “बेहद अवैज्ञानिक” और “जनता के पैसे की बर्बादी” बताया है।
दिल्ली स्थित काउंसिल ऑफ एनर्जी, इन्वायरेंमेंट और वॉटर ने कहा है कि दिल्ली की हवा को साफ करने के लिये ऐसे 25 लाख टावर लगाने पड़ेंगे। जो पैसा इस काम में बर्बाद किया जा रहा है उसका इस्तेमाल कोयला बिजलीघरों में प्रदूषण नियंत्रक टेक्नोलॉजी के लिये किया जा सकता है।
मुंबई के शहरी इलाके में हरियाली 42.5% घटी, तापमान में 3 गुना बढ़ोतरी
पिछले 30 साल में मायानगरी मुंबई का ग्रीन कवर 42.5% कम हुआ है। यह बात एक स्प्रिंगर नेचर नाम के जर्नल में छपे शोध से पता चलती है। इस शोध के लिये कर्नाटक स्थित मनिपाल एकेडमी, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स, आसनसोल के काज़ी नुरूल विश्वविद्यालय और शंघाई की ईस्ट चायना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे द्वारा उपलब्ध कराई गई उपग्रह की तस्वीरों का इस्तेमाल किया और पिछले 30 साल के डाटा का अध्ययन किया। यह भी पता चला है कि पेड़ कटने और निर्माण कार्य की वजह से भूमि सतह तापमान (LST) में तीन गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जानकार कहते हैं कि इन हालातों ने शहरी क्षेत्र के माइक्रो इकोसिस्टम को प्रभावित किया होगा।
अमेरिका में प्रदूषण की मार आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों पर
अमेरिका में समृद्ध गोरे अमेरिकियों पर प्रदूषण की मार आर्थिक रूप से कमज़ोर अश्वेतों के मुकाबले कम है। साल 1980 से अब तक देश भर में वायु प्रदूषण स्तर में कमी के बावजूद गोरे अमीर अमेरिकियों को अपेक्षाकृत साफ हवा मिल रही है। यह बात साइंस पत्रिका में छपे शोध में सामने आयी है। शोध कहता है कि PM 2.5 जैसे कणों की हवा में मौजूदगी 1981 के स्तर के मुकाबले 70% कम हुई है लेकिन वायु प्रदूषण की मार सब जगह एक सी नहीं है। खराब और साफ हवा में सांस ले रहे लोगों के बीच अंतर घटा है लेकिन आर्थिक रूप से कमज़ोर अब भी अधिक प्रदूषित हवा झेल रहे हैं।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
दिल्ली में इस साल भी बैन रहेंगे पटाखे, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कहीं और जाकर जलाएं
-
दिल्लीवासियों के लगभग 12 साल खा रहा है वायु प्रदूषण: रिपोर्ट
-
वायु प्रदूषण एंटीबायोटिक प्रतिरोधक क्षमता को दे रहा है बढ़ावा
-
वायु प्रदूषण से भारत की वर्ष-दर-वर्ष जीडीपी वृद्धि 0.56% अंक कम हुई: विश्व बैंक
-
देश के 12% शहरों में ही मौजूद है वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग प्रणाली