जर्मनी शहरी इलाकों में ई-मोबिलिटी (बैटरी वाहन इस्तेमाल) योजना को बढ़ाने के लिये भारत को €100 करोड़ की मदद देगा। जर्मनी ने यह फैसला भारत के साथ क्लाइमेट एक्शन के लिये किये द्विपक्षीय समझौते के तहत किया है। इसके अलावा ग्रिड को बेहतर करने और पावर स्टोरेज बढ़ाने के लिये €3.5 करोड़ की मदद की बात भी है। माना जा रहा है कि जर्मनी भारत के साथ अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस में शामिल होना चाहता है।
अपने देश के भीतर बैटरी वाहनों को रफ्तार देने के लिये जर्मनी ने इस महीने सब्सिडी बढ़ाकर 50% कर दी है जो 2025 तक लागू रहेगी। यह सारे कदम क्लाइमेट प्रोटेक्शन प्रोग्राम 2030 के तहत उठाये गये हैं और उम्मीद है कि जिससे 6.5 लाख से 7 लाख नई बैटरी कारें सड़कों पर उतरेंगी। हालांकि भारत के कार बाज़ार में मंदी देखते हुये बैटरी कार बनाने वाली एक बड़ी कंपनी ने भारत में फिलहाल केवल SUV बनाने का ही फैसला किया है।
महज़ 10 मिनट में हो जायेगी 200 किलोमीटर के लिये बैटरी चार्ज
अमेरिका की पेन्सलवेनिया यूनिवर्सिटी ने लीथियम आयन बैटरियों को चार्ज करने की नई टेक्नोलॉजी विकसित की है जिसे असिमेट्रिक टेम्प्रेचर मॉड्यूलेशन (ATM) कहा जाता है। इससे महज़ 10 मिनट की इतनी चार्ज़िग हो जाती है कि आपकी कार 150-200 किलोमीटर जा सके।
ATM के ज़रिये लम्बे समय से जल्दी बैटरी चार्ज करने की समस्या का समाधान हो गया है जिसमें काफी खर्च भी होता था। इस टेक्नोलॉजी ने बैटरी के तापमान को कम रखने की दिशा में भी कामयाबी हासिल की है। यह प्रोग्रेम अमेरिकी ऊर्जा मंत्रालय के अत्यधिक तेज़ गति से चार्ज़िंग टेक्नोलॉजी (XFC) का हिस्सा है।
चीन फिर करेगा बैटरी वाहन सब्सिडी में कटौती
चीन चाहता है कि उसके बैटरी वाहन खुले बाज़ार में परम्परागत वाहनों से भिड़ सकें। इसलिये संभावना है कि सरकार बैटरी वाहन क्षेत्र में दी जाने वाली छूट में और कटौती करेगी। चीन दुनिया में बैटरी कारों का सबसे बड़ा बाज़ार है और उसने इस साल जून में पहली बार बैटरी वाहनों को दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती की थी जिससे इनकी बिक्री में काफी कमी आई। अगर सरकार ने फिर से कटौती का फैसला किया तो इस बाज़ार में मंदी दिखने का डर है जिससे कई बड़ी कंपनियों की बेलेंस शीट बिगड़ सकती है।
बैंगलुरू में नये ईवी प्लांट की तैयारी
बैंगलुरू $1.4 करोड़ का इलैक्ट्रिक मोटर प्लांट लग सकता है। यह प्लांट जापान की मित्सुई एंड कंपनी और ताइवान की TECO इलैक्ट्रिक & मशीनरी का होगा। यह मेक इन इंडिया के तहत विदेशी कंपनियों द्वारा उपक्रम का एक नमूना होगा। उम्मीद है कि 2020 खत्म के अंत तक या प्लांट काम उत्पादन शुरू कर देगा।
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