केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए अनुसंधान और विकास रोडमैप जारी किया है। ग्रीन हाइड्रोजन के वाणिज्यिक उपयोग को सुगम बनाने के लिए सरकार 400 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
इस रोडमैप में ऐसे मैटेरियल, तकनीक और इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर जोर दिया गया है जिससे ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन, स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट आसानी से हो सके। सरकार का कहना है कि इस रोडमैप में भारत को ग्रीन हाइड्रोजन तकनीक के शिखर पर ले जाने के लिए अनुसंधान पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
अक्षय ऊर्जा कंपनियों के शेयरों में आई भारी गिरावट
पिछले कुछ महीनों में जीवाश्म ईंधन कंपनियों के मुकाबले अक्षय ऊर्जा कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। दुनिया की 100 सबसे बड़ी सौर, पवन और अक्षय ऊर्जा कंपनियों का सूचकांक एस&पी ग्लोबल क्लीन एनर्जी इंडेक्स, पिछले दो महीनों में 20.2 प्रतिशत गिर गया। वहीं बड़ी तेल और गैस कंपनियों के सूचकांक एस&पी 500 एनर्जी इंडेक्स में 6% का इज़ाफ़ा हुआ है।
अक्षय ऊर्जा कंपनियां बढ़ती ब्याज दरों से परेशान हैं, क्योंकि कई कंपनियां प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले ही लंबी अवधि के कॉन्ट्रैक्ट साइन कर बिजली की कीमतें तय कर लेती हैं। ऐसे में ब्याज दर बढ़ने पर उनके द्वारा लिया गया कर्ज महंगा हो जाता है, और उनका मुनाफा गिर जाता है। जिसकी भरपाई वह कीमतें बढाकर नहीं कर सकतीं।
एस&पी ग्लोबल क्लीन एनर्जी इंडेक्स 2013 के बाद अपने सबसे खराब प्रदर्शन की राह पर है।
एनर्जी ट्रांज़िशन: सरकार ने तय कीं आवश्यक खनिजों की रॉयल्टी दरें
केंद्रीय कैबिनेट ने क्लीन एनर्जी ट्रांज़िशन के लिए आवश्यक खनिजों (क्रिटिकल मिनरल्स) के खनन के लिए रॉयल्टी रेट तय कर दिए हैं।
लिथियम के खनन के लिए माइनिंग कंपनियों को लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में चल रही कीमतों का 3 प्रतिशत रॉयल्टी के रूप में देना होगा। नायोबियम के खनन के लिए रॉयल्टी दर औसत बिक्री मूल्य का 3 प्रतिशत तय की गई है; और आरईई, यानी रेयर अर्थ एलिमेंट्स के लिए रेयर अर्थ ऑक्साइड के औसत बिक्री मूल्य का 1 प्रतिशत रॉयल्टी के तौर पर देना होगा।
आरईई के तहत लगभग खनिज आते हैं, और देश के एनर्जी ट्रांज़िशन में लिथियम और नयोबियम समेत इनकी अहम भूमिका है।
पिछली तिमाही के मुकाबले सौर परियोजनाओं की नीलामी में मामूली इज़ाफ़ा
पिछले महीने समाप्त हुई इस साल की तीसरी तिमाही में देश में जारी किए गए सोलर टेंडरों में पिछले साल के मुकाबले 5% का इज़ाफ़ा हुआ है। हालांकि पिछली तिमाही के मुकाबले इनमें कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई। सरकार ने अगले पांच साल तक हर साल 50 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता जोड़ने का लक्ष्य रखा है, ताकि 2030 तक 500 गीगावाट ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य पूरा हो सके। लेकिन फिर भी सौर निविदाओं में बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है।
जहां 2022 की तीसरी तिमाही के मुकाबले इस साल की तीसरी तिमाही में सोलर परियोजनाओं की नीलामी में 86% की बढ़ोत्तरी हुई, वहीं पिछली तिमाही के मुकाबले यह बढ़त केवल 4% थी।
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