अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की अगस्त 2023 की आयल मार्केट रिपोर्ट के अनुसार, तेल और गैस उद्योग इस साल अपस्ट्रीम निवेश (कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की खोज, ड्रिलिंग और निष्कर्षण आदि में निवेश) को 2015 के बाद सबसे बड़े स्तर तक बढ़ाने के लिए तैयार है। प्रमुख यूरोपीय तेल कंपनियों बीपी और शेल ने यह दिखावा करना भी छोड़ दिया है कि वे तेजी से एनर्जी ट्रांज़िशन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव दुनिया भर में देखे जा रहे हैं, फिर भी बीपी ने तेल उत्पादन में कटौती की प्रतिबद्धता को दरकिनार कर दिया है, वहीं शेल का ध्यान शेयरधारकों को मुनाफा पहुंचाने और तेल और गैस का उत्पादन करने में पूंजी लगाने पर है। परिणामस्वरूप, तेल कंपनियों का स्वच्छ ऊर्जा पर पूंजीगत व्यय (जिसमें जैव ईंधन और सीसीएस भी शामिल हैं) अपस्ट्रीम तेल और गैस पर पूंजीगत व्यय के मुकाबले बहुत कम है।
बीबीसी के साथ एक साक्षात्कार में शेल के नए सीईओ वेल सावन ने कहा, “तेल और गैस उत्पादन में कटौती करना खतरनाक और गैर-जिम्मेदाराना होगा। जैसा कि हमने पिछले साल देखा था, ऐसा करने से रोज़मर्रा के खर्चे फिर से बढ़ने लगेंगे”।
हालांकि 2022 के रिकॉर्ड स्तर से मुनाफे में काफी गिरावट आई है, फिर भी तेल की बड़ी कंपनियों की पहली छमाही की कमाई औसत से काफी अधिक है।
हाल ही में, एक्सॉनमोबिल ने उसके सीसीएस संयंत्रों और सीओ2 पाइपलाइनों के नेटवर्क के लिए डेनबरी आईएनसी का अधिग्रहण किया, और ऑक्सिडेंटल पेट्रोलियम (ऑक्सी) ने कार्बन इंजीनियरिंग की डायरेक्ट एयर कैप्चर तकनीक के लिए उसका अधिग्रहण किया। इससे लंबे समय से चल रही अटकलें साफ़ हो जाती हैं कि बड़ी कंपनियां सीसीएस/डीएसी के आवरण का उपयोग करके पहले जैसा कामकाज जारी रखेंगीं।
तेल और गैस उद्योग क्या कर रहा है?
तेल और गैस उद्योग अभी भी अपस्ट्रीम डेवलपमेंट (यानी शोध, ड्रिलिंग और निष्कर्षण आदि) में भारी निवेश कर रहा है; स्वच्छ ऊर्जा और सीसीएस जैसे “समाधानों” में निवेश इसका छोटा सा हिस्सा भर है।
गोल्डमैन सैक्स ने कहा कि तेल और गैस उद्योग में लंबे से समय तक कम निवेश होता रहा है, और अब उद्योग महत्वपूर्ण नई परियोजनाओं को अपना रहा है: दुनिया भर में ऐसी 70 प्रमुख परियोजनाएं चल रही हैं, जो 2020 के मुकाबले 25% अधिक हैं।
तेल और गैस व्यवसाय मॉडल में खामियां
बड़ी तेल और गैस कंपनियों को फलने-फूलने के लिए ऊंची कीमतों की जरूरत होती है। एक हालिया रिपोर्ट में पाया गया कि 2022 की दूसरी तिमाही की तुलना में, तेल की कीमत में एक तिहाई की गिरावट आई और कंपनियों का फ्री कैश फ्लो (पूंजीगत खर्च घटाकर बची व्यवसाय से उत्पन्न नकदी) 56% गिर गया।
लेबर और मैटेरियल की बढ़ती कीमतों को कवर करने के लिए तेल और गैस कंपनियों को राजस्व बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही, नए तेल और गैस के भंडार खोजने में भी भारी खर्च होता है।
यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ी कीमतें अब कम होने लगी हैं। दशकों बाद 2022 में इन कंपनियों को इतना लाभ हुआ था की इन्होंने शेयरधारकों को बड़ा मुनाफा पहुंचाने के साथ कर्जे भी कम किए और कैश रिज़र्व भी बढ़ाया। लेकिन कीमतें गिरने के साथ कंपनियों का कैश भंडार भी समाप्त हो रहा है, इसलिए यह अपने पुराने ढर्रे पर वापस लौट रही हैं।
भविष्य में क्या होगा?
आईईए की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में तेल की मांग जून में 103 मिलियन बैरल प्रति दिन (एमबी/डी) के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई थी, और अगस्त में एक और पीक देखने को मिल सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2023 में वैश्विक स्तर पर तेल की मांग में 2.2 मिलियन बैरल प्रति दिन का इज़ाफ़ा होगा। इस वृद्धि में चीन का योगदान 70% से अधिक होगा।
वहीं गैस की मांग 2023 में मोटे तौर पर स्थिर रहेगी और 2024 में इसमें 2% की वृद्धि होने की उम्मीद है, एशिया पैसिफिक क्षेत्र में 2024 के अंत तक गैस की मांग बढ़ती रहेगी और मांग में होने वाली वैश्विक वृद्धि में इस क्षेत्र का योगदान लगभग 80% होने की संभावना है।
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