अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने कहा है कि इस साल पहली बार, वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा में निवेश तेल उत्पादन में निवेश से अधिक हो सकता है।
आईईए ने अनुमान लगाया है कि 2023 में सौर ऊर्जा में $380 बिलियन (रु 31 हजार करोड़) का निवेश होगा, जबकि तेल की खोज और निष्कर्षण में $370 बिलियन (रु 30 हजार करोड़) का निवेश हो सकता है।
मोटे तौर पर, स्वच्छ ऊर्जा में वार्षिक निवेश 2023 में $1.7 ट्रिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 2021 की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत अधिक होगा।
हरित ऊर्जा में निवेश का सबसे बड़ा हिस्सा फोटोवोल्टिक सौर पैनल में किया जाएगा।
आईईए ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा का विकास जितना दिख रहा है, उससे अधिक तेजी से हो रहा है, लेकिन जीवाश्म ईंधन में निवेश इतनी तेजी से कम नहीं हो रहा है कि 2050 तक उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्यों तक पहुंचा जा सके।
वहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार भारत में अगले दशक में हरित ऊर्जा में निवेश 800 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50% ऊर्जा प्राप्त करने का लक्ष्य 2026 में ही हो सकता है पूरा
भारत 2030 तक अपनी स्थापित ऊर्जा क्षमता का 50 प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा देश की अनुमानित ऊर्जा जरूरतों का अनुमान बताता है कि यह लक्ष्य 2026-27 तक ही हासिल किया जा सकता है।
सीईए द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय विद्युत योजना (एनईपी) एक पंचवर्षीय योजना है जो भारत की वर्तमान ऊर्जा की जरूरतों, अनुमानित विकास, बिजली के स्रोतों और चुनौतियों का आकलन करती है। इसमें कहा गया है कि ‘…गैर-जीवाश्म आधारित क्षमता का हिस्सा 2026-27 के अंत तक बढ़कर 57.4% हो जाने की संभावना है और 2031-32 के अंत तक लगभग 68.4% होने की संभावना है। अप्रैल 2023 में यह हिस्सा 42.5% था’।
हालांकि, स्थापित क्षमता का मतलब यह नहीं है कि पूरी क्षमता पर उत्पादन संभव है, क्योंकि ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों की क्षमता अलग-अलग होती है। यदि इस बात को संज्ञान में लेकर गणना की जाए तो अक्षय ऊर्जा से उपलब्ध बिजली 2026-27 तक कुल उत्पादित बिजली का लगभग 35.04 फीसदी और 2031-32 तक 43.96 फीसदी होगी।
इस वर्ष होगी रिकॉर्ड अक्षय ऊर्जा स्थापना
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जीवाश्म ईंधन की बढ़ी कीमतों की वजह से सौर और पवन ऊर्जा प्रतिष्ठानों का रोलआउट बढ़ा है और इस साल रिकॉर्ड अक्षय ऊर्जा स्थापना होगी, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने कहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक सरकारें और उपभोक्ता सौर ऊर्जा में आए इस उछाल का लाभ उठाना चाहते हैं और 2023 में कुल सौर और पवन क्षमता 440 गीगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के मुताबिक जहां यूरोप अक्षय ऊर्जा का विकास करके ऊर्जा संकट का सामना कर रहा है, वहीं नए नीतिगत उपायों से अगले दो वर्षों में अमेरिका और भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की वृद्धि में मदद मिलेगी। इस बीच, चीन अपनी अग्रणी स्थिति को मजबूत कर रहा है और 2023-2024 में वैश्विक अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापना का लगभग 55% चीन द्वारा जोड़ा जाएगा।
इस साल की पहली तिमाही में रूफटॉप सौर क्षमता 6.35% बढ़ी: मेरकॉम
मेरकॉम इंडिया के मुताबिक, इस साल जनवरी-मार्च की तिमाही में भारत की रूफटॉप सौर क्षमता 6.35 प्रतिशत बढ़कर 485 मेगावाट हो गई।
पिछले साल की इसी अवधि में देश में रूफटॉप सौर की स्थापित क्षमता 456 मेगावाट थी।
लेकिन पिछली तिमाही, यानि 2022 की चौथी तिमाही के आधार पर देखा जाए तो रूफटॉप सौर क्षमता में केवल 0.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है।
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