आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस पर आधारित चैट जीटीपी भले ही आपकी समस्याओं का शॉर्टकट हो लेकिन इसका प्रयोग पर्यावरण पर बहुत भारी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि 20 से 50 सवालों के जवाब देने में यह चैटबॉट आधा लीटर पानी चट कर जाता है क्योंकि न केवल इस पूरी प्रक्रिया में बहुत बिजली खर्च होती है बल्कि विशालकाय मशीनों को ठंडा रखना पड़ता है।
मानवता के सामने आसन्न जल संकट को देखते हुए पर यह धरती के लिए बहुत बड़ा संकट है। डाउट टु अर्थ में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, रिवरसाइड के शोधकर्ताओं ने पहली बार आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से चलने वाले इन प्रोग्रामों द्वारा होने वाली पानी की खपत का अध्ययन किया है।
आपके सवालों के जवाब देने के लिए यह चैट बॉट बहुत बड़े डेटा प्रोसेसिंग सेंटरों और भीमकाय सर्वरों पर निर्भर होता है जो क्लाउड कम्प्यूटेशन के ज़रिए सूचना का आदान-प्रदान और गणना तथा विश्लेषण करते हैं। शोध में कहा गया है कि अमेरिका में माइक्रोसॉफ्ट के अत्याधुनिक डेटा केंद्रों में जीपीटी-3 एआई प्रोग्राम के लिए करीब दो सप्ताह में सात लाख लीटर पानी की खपत की गई जो करीब 370 बीएमडब्ल्यू कारों के निर्माण में होने वाली पानी की खपत के बराबर है।
एशिया में में तो इन डेटा सेंटरों में पानी की खपत तीन गुना बढ़ जाएगी क्योंकि यहां के डेटा सेंटर अमेरिका की तुलना में कम दक्ष हैं। इस बीच यह बहस तेज़ हो रही है कि क्या चैट जीपीटी जैसी सुविधाएं देने वाली एमआई टेक्नोलॉजी जलवायु परिवर्तन का हल है या संकट बढ़ायेगी। इस पर हिन्दी और अंग्रेज़ी में आप विस्तार से कार्बनकॉपी वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं
यूपी, राजस्थान और दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में हीटवेव, बौछारों से कुछ जगह राहत
इस हफ्ते की शुरुआत देश के कई हिस्सों में लू के थपेड़ों यानी हीटवेव के साथ हुई। सोमवार को यूपी के झांसी में अधिकतम तापमान 46.5 डिग्री पहुंच गया जबकि राजस्थान के चुरू में यह 45.7 डिग्री तक जा पहुंचा। वहीं झारखंड के डाल्टनगंज में सोमवार को तापमान 44.9 डिग्री रहा। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में अधिकतम तापमान 45 के आसपास रहा। पिछले साल मार्च में रिकॉर्ड तापमान दर्ज किया गया था और इस साल फरवरी का तापमान 122 साल का अधिकतम रहा। पिछले महीने महाराष्ट्र में एक सरकारी कार्यक्रम लू लगने से कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई थी। मौसम विभाग ने बढ़ते तापमान को देखते हुये अलर्ट जारी किया।
हालांकि देश के कई हिस्सों में तेज़ हवा और बौछारों से राहत भी मिली। कुछ जगह बारिश के साथ ओले भी गिरे।
साल 2027 तक धरती की तापमान वृद्धि हो जाएगी 1.5 डिग्री पार
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक अब यह बिल्कुल निश्चित है कि अगले 5 सालों में ही धरती की तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री का बैरियर पार कर जाएगी। हालांकि अपनी रिपोर्ट में डब्ल्यूएमओ ने कहा है कि 1.5 डिग्री की यह तापमान वृद्धि फिलहाल स्थाई नहीं होगी (यानी तापमान आगे फिर गिर सकता है) लेकिन पूर्व औद्योगिक स्तर (प्री इंडस्ट्रियल लेवल) से 1.5 डिग्री की इस अल्पकालिक तापमान वृद्धि के भी विनाशकारी परिणाम होंगे और इनमें से कई प्रभाव स्थाई और अपरिवर्तनीय होंगे।
पिछले साल भी डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट में ऐसी चेतावनी दी गई थी लेकिन ताज़ा रिपोर्ट में तापमान वृद्धि की यह निश्चितता बढ़ी है। पिछले साल प्रकाशित रिपोर्ट में जहां 2027 तक इस तापमान वृद्धि की 50% संभावना थी वहीं अब नए अध्ययन में यह सुनिश्चितता 66% हो चुकी है।
अंधाधुंध जल दोहन और भूमि उपयोग में बदलाव से पानी की गुणवत्ता प्रभावित
दुनिया भर में भूमि उपयोग के बदलते पैटर्न से कई हाइड्रोलोजिकल बदलाव हो रहे हैं। अमेरिका की मैसिच्यूसेट्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का अध्ययन बता रहा है कि जंगलों को सड़कों और पार्किंग स्थलों में बदलने से परिदृश्य बदल रहा है और हमारा जल विज्ञान प्रभावित हो रहा है। ज़मीन के सीमेंट और कंक्रीट से भरने और दलदली और आर्द्र भूमि को नष्ट करने से जो पानी पहले रिस कर भू-जल का रूप लेता था वह नहीं हो रहा और शहरी बाढ़ की घटनाएं बढ़ रही हैं। अधिकांश पानी अब बहकर नदियों में जा रहा है।
जल वैज्ञानिक बताते हैं कि 2021 तक कंक्रीट निर्मित भूमि (सड़क, पार्किंग आदि) 75 प्रतिशत बढ़ जाएंगी। इससे अपवाह (रन-ऑफ) में भारी वृद्धि होगी। इससे भूमि की सतह पर फास्फोरस और नाइट्रोजन की मात्रा में 12 से 13 प्रतिशत वृद्धि होगी जो काफी हानिकारक हो सकता है।
कूनो में संकट जारी, तीन चीतों के बाद अब शावक की मौत हुई
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों पर संकट कम नहीं हो रहा। तीन चीतों की मौत के बाद अब एक शावक की मौत हो गई है जिसका जन्म मार्च में हुआ था।
वन विभाग का कहना है कि ऐसा लगता है कि नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला के इस शावक की मौत कमजोरी के कारण हुई है, क्योंकि यह जन्म से ही कमजोर था। इस मौत के बाद पिछले दो महीनों में कूनो में चीतों की मौत की संख्या चार हो गई है।
नामीबियाई चीतों में से एक ‘साशा’ ने 27 मार्च को गुर्दे से संबंधित बीमारी के कारण दम तोड़ दिया था, जबकि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए ‘उदय’ की मौत 13 अप्रैल को हो गई थी। वहीं मादा चीता ‘दक्षा’ की संभोग के प्रयास के दौरान एक नर चीते के साथ हिंसक झड़प में आई चोटों से 9 मई को मौत हो गई थी।
मार्च में ‘ज्वाला’ ने चार शावकों को जन्म दिया था। 1947 में आखिरी चीते के शिकार के बाद पहली बार भारतीय धरती पर चीता शावकों का जन्म हुआ था।
कुछ दिनों पहले ही चीतों की मौत पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह राजनीति से ऊपर उठकर चीतों को राजस्थान में स्थानांतरित करने पर विचार करे।
इटली में पिछले 100 साल की सबसे भयानक बाढ़, 13 लोगों की मौत
भारी बारिश के कारण इटली पिछले 100 साल की सबसे विनाशकारी बाढ़ का सामना कर रहा है जिसमें उसके 40 से अधिक शहर और कस्बे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। यहां इस कारण उत्तरी इमीलिया रोमाग्ना प्रांत में 13 लोगों की मौत हो गई है और 20,000 से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। देश की 23 से अधिक नदियों ने भारी जलप्रवाह के कारण अपने तटबंध तोड़ दिए हैं और करीब 300 जगह भूस्खलन हुए हैं।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
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