आपदा की मार: राहत एजेंसियों ने देश भर में 9 राज्यों के 18 लाख लोगों को बाढ़ग्रस्त इलाकों से निकाला है। 152 ज़िलों में करीब 8000 राहत शिविर बनाये गये हैं। फोटो - Geospatial Media

भारत में बाढ़ का भारी असर

भारत में बाढ़ का भारी असर कम से कम 9 राज्यों में हुआ है। जहां एक ओर भारत में बाढ़ से 1000 से अधिक लोगों की मौत हो गई है वहीं 150 से अधिक ज़िलों में लाखों लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हो गये है

बाढ़ से बांग्लादेश में 4 लाख टन चावल की बर्बादी

भारत में ही नहीं पड़ोसी बांग्लादेश में भी बाढ़ ने फसल को चौपट कर दिया है। माना जा रहा है कि धान की जितनी फसल बर्बाद हुई है उससे इस साल देश में चावल का उत्पादन करीब 4 लाख टन कम हो जायेगा। हालांकि कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि उनके गोदामों में पर्याप्त स्टॉक मौजूद है इसलिये अभी घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है। बाढ़ से बांग्लादेश में 60 लाख लोग प्रभावित हुये हैं और 100 से अधिक लोगों की जानें गईं हैं।

ग्रीन हाउस गैस स्तर 2018 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे: शोध 

अमेरिकी मीटियोरोलॉजिकल सोसायटी ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसके मुताबिक साल 2018 में ग्लोबल वॉर्मिंग के लिये ज़िम्मेदार ग्रीन हाउस गैसों का स्तर सर्वाधिक मापा गया। अमेरिकी सरकार ने इस रिपोर्ट को बनाया है और इसे तैयार करने के लिये 60 देशों के 470 वैज्ञानिकों ने काम किया। इस रिपोर्ट के मुताबिक CO2 और दूसरी ग्रीन हाउस गैसों का असर 1990 के मुकाबले 43% बढ़ गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक 2018  में और भी कई  चिंताजनक रिकॉर्ड बने हैं। मिसाल के तौर पर समुद्र का तापमान और जलस्तर सर्वाधिक रिकॉर्ड किया गया है। सारे आंकड़े बता रहे हैं कि लगातार धरती गर्म हो रही है।

शेल गैस से बढ़ रहा है मीथेन का स्तर

अमेरिका की कोर्नल यूनिवर्सिटी के शोध में पाया गया है कि पिछले एक दशक में वातावरण में मीथेन की मात्रा में वृद्धि, शेल गैस के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से है। शेल सामान्य जीवाश्म ईंधन से अलग है और इस गैस के उत्पादन से मीथेन का स्तर बढ़ रहा है। पहले किये गये अध्ययनों में इस बात को नज़रअंदाज़ किया जाता रहा कि शेल गैस उत्पादन मीथेन को बढ़ाता है। यह अध्ययन कहता है कि पिछले एक दशक में अमेरिका और कनाडा में बन रही नई गैसों में दो तिहाई शेल गैस ही हैं।

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