Vol 2, June 2022| हीटवेव, सूखा और अब बाढ़, अनियमित मॉनसून से किसानों पर संकट

Newsletter - June 20, 2022

फसलों का ख़तरा: इस बार मॉनसून की अनिश्चितता ने फसल उत्पादन पर बड़ा असर डाला है। फोटो - Pixabay

कमज़ोर मॉनसून और हीटवेव से फसल को गंभीर खतरा

ज़बरदस्त गर्मी और केरल में जल्दी प्रवेश के बावजूद कमज़ोर मॉनसून ने इस बार फसल उत्पादन के लिये ख़तरा उत्पन्न कर दिया है। अगर बारिश में और देरी हुई तो चिन्तित किसान इंतज़ार कर रहे हैं कि वह अपनी फसल कब बोयेंगे। बारिश वक्त पर हो तो गर्मी और सूखे से कुछ राहत मिले। माना जा रहा है कि ऐसे कठोर मौसम के कारण पंजाब, यूपी और हरियाणा जैसे राज्यों में गेहूं की पैदावार 10-35 प्रतिशत तक घट सकती है। इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट के फूड पॉलिसी रिपोर्ट 2022 के मुताबिक  साल 2030 तक उत्पादन में गिरावट और खाद्य श्रंखला में व्यवधान के कारण 9 करोड़ भारतीयों के आगे भुखमरी का संकट आ सकता है।

कश्मीर, उत्तर-पूर्व में रिकॉर्ड बारिश, बाढ़ से 31 मरे   

कश्मीर और उत्तर-पूर्व में बारिश ने कहर बरपा दिया है। असम में हर साल की तरह इस बार भी हालात काफी ख़राब हैं। यहां के 28 ज़िलों में करीब 19 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुये हैं। यहां 3000 गांवों में बाढ़ है और करीब 50,000 हेक्टेयर भूमि में लगी फसल पानी में डूब गयी है। मेघालय और असम में ख़बर लिखे जाने तक 31 लोगों की मौत हो गई थी। त्रिपुरा में 60 साल की सबसे अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। 

उधर जम्मू-कश्मीर में अचानक भारी बारिश का दौर शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर पुंछ ज़िले के मंडी गांव में भारी बारिश की तस्वीरें वायरल हुईं जिनमें पानी  घरों में घुसता दिख रहा है। जम्मू क्षेत्र के कई इलाकों में भूस्खलन और सड़कों में पानी भर जाने की ख़बर आई। 

गंगा का गर्म होता पानी जन्म दे रहा नये संकट को

ऐसी संभावना है कि साल 2010 और 2050 के बीच गंगा रिवर बेसिन के पानी में औसत वार्षिक तापमान 1 से 4 डिग्री तक बढ़ेगा। पानी के गर्म होने से गंगा के उन बहाव क्षेत्रों में भी कॉमन कार्प, टिलाफिया और अफ्रीकन कैट फिश जैसी मछलियां हो सकती हैं जहां ये पहले नहीं पायी जाती थीं। ऐसे क्षेत्रों में जानकार इन्हें “घुसपैठ प्रजातियों” का नाम देते हैं। 

भारत की नेशनल बायोडाइवर्सिटी अथॉरिटी (एनबीए) ने इन प्रजातियों को देश की फ्रेशवॉटर बायोडाइवर्सिटी के लिये ख़तरा बताया है। 

ये घुसपैठिया प्रजातियां अपने अस्तित्व के लिये धीरे-धीरे किसी जलनदीय क्षेत्र में विशेष पारिस्थितिक गुणों और जैवविविधता को खत्म कर सकती हैं और वहां से मिलने वाले प्राकृतिक फायदे समाप्त हो सकते हैं। जलीय प्रबंधन में बचाव ही इसका प्रभावी और कम खर्च वाला उपाय है। 

अमेरिका ने हीट वेव ने तोड़ा रिकॉर्ड, तापमान 50 डिग्री तक पहुंचा 

अमेरिका के कुछ हिस्सों में पिछले हफ्ते बहुत अधिक तापमान और नमी दर्ज की गई है। इस कारण 10 करोड़ अमेरिकियों घरों के भीतर रहने को कहा गया है। कैलिफोर्निया के कई इलाकों में तापमान सामान्य से बहुत ऊपर गया और 11 जून को यह 50 डिग्री पार कर गया।

अमेरिका में  मौसम संबंधी किसी भी अन्य आपदा के मुकाबले अत्यधिक गर्मी से सबसे अधिक लोग मरते हैं। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि जलवायु संकट के कारण आने वाले दिनों में ऐसी आपदायें और बढ़ेंगी क्योंकि अमेरिका में इस कारण सूखे की समस्या गहरायेगी। 

सारे कार्बन इमीशन रोकने पर भी 1.5 डिग्री के लक्ष्य में नाकाम होने की 42% आशंका 

एक ताज़ा शोध बताता है कि अगर “सारे इमीशन रातोंरात रोक भी दिये जायें” तो इस बात की 42% संभावना है कि तापमान वृद्धि के 1.5 डिग्री के बैरियर को पार होने से नहीं रोका जा सकता। चार साल पहले यह डर 33% था। जानकार बता रहे हैं कि छोटी अवधि के लिये किये गये उपायों के बावजूद 2032 तक यह ख़तरा 66 प्रतिशत हो जायेगा। इससे पहले विश्व मौसम संगठन की रिपोर्ट में साफ कहा गया था अगले 5 में से किसी एक साल में 1.5 डिग्री का बैरियर पार हो सकता है। 

हालांकि रिसर्च कहती है कि अगर इमीशन तेज़ी से कम किये गये तो पेरिस सन्धि के तहत तय 2 डिग्री के लक्ष्य को अब भी हासिल किया जा सकता है। अगर सारे इमीशन आज रात रोक दिये जायें तो 2 डिग्री का बैरियर पार करने की संभावना फिर भी 2 प्रतिशत तो है ही। 

रोक लगी: भारी विरोध प्रदर्शन के बाद राज्य सरकार ने हसदेव में 3 माइनिंग प्रोजेक्ट्स पर रोक लगाई है। फोटो - @SHasdeo/Twitter

हसदेव अरण्य में विरोध प्रदर्शनों के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने तीन माइनिंग प्रोजेक्ट्स पर ‘अनिश्चितकाल’ की रोक लगाई

स्थानीय आदिवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शनों के बाद छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में 3 प्रोजेक्ट्स को अनिश्चितकाल के लिये ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यहां माइनिंग के कारण 2 लाख से अधिक पेड़ कटने का डर है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मौके पर जाकर प्रदर्शनकारियों से भेंट की और अपना समर्थन जताया और उसके बाद राज्य सरकार ने प्रोजेक्ट को रोकने का फैसला लिया। 

हसदेव अरण्य छत्तीसगढ़ को कोरबा, सरगुजा और सूरजपुर ज़िलों में फैला हुआ है। यह हाथियों का बसेरा है और यहां जैव विविधता की भरमार है। यह हसदेव नदी का जलागम भी तैयार करता है जो कि महानदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है। हालांकि प्रदर्शनकारी प्रोजेक्ट को सिर्फ “रोकने” से खुश नहीं हैं। वह चाहते हैं कि इसे निरस्त किया जाये। 

खेती में विविधता और चावल के सही जलवायु में उगाने की सिफारिश 

कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने विश्व बाज़ार में आयलसीड और वनस्पति तेलों की बढ़ती कीमतों को देखते हुये किसानों से ऐसी ही फसलें उगाने की सिफारिश की है। सीएसीपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि खरीद गारंटी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)  के कारण किसान खासतौर से – पंजाब और हरियाणा में –  उन क्षेत्रों में भी गेहूं और चावल की खेती कर रहे हैं जहां जलवायु अनुकूल नहीं है। इन राज्यों में आइलसीड, दाल, मक्का और बाजरा की खेती कम हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और उत्तरपूर्वी राज्यों में धान की खेती के लिये अधिक अनुकूल है। 

इससे पहले खेती में विविधता के प्रयास नाकाम रहे क्योंकि इसकी कीमत नहीं मिल रही थी, तकनीक का अभाव था और वैकल्पिक फसलों की खेती में खतरा था।

महत्वपूर्ण जलवायु प्रस्ताव यूरोपीय संसद में अटके 
यूरोपीय यूनियन की संसद ने यूरोप के कार्बन मार्केट में रिफॉर्म, कार्बन बॉर्डर टैक्स लगाये जाने और एक सोशल क्लाइमेट फंड की स्थापना के लिये अपनी स्थिति साफ नहीं की है। यूरोपीय संसद के सदस्य ने इस विषय में अंतिम रिपोर्ट को खारिज कर दिया जिसमें उत्सर्जन ट्रेडिंग प्रणाली पर पुनर्विचार की बात थी। इसके बाद ईयू संसद में जो संशोधन पास हुये हैं उससे इमीशन में प्रभावी कटौती नहीं हो पायेगी।

ज़हरीली हवा: गंगा का मैदानी क्षेत्र दुनिया का सबसे प्रदूषित क्षेत्र है। फोटो - DNA

दिल्लीवासियों से करीब 10 साल छीन रहा है वायु प्रदूषण

एक नए अध्ययन में कहा गया है कि ज्यादातर जीवाश्म ईंधन के जलने से होने वाला सूक्ष्म वायु प्रदूषण दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक, भारतीय राजधानी में, जीवन प्रत्याशा को लगभग 10 साल कम कर रहा है।

यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पालिसी इंस्टिट्यूट (ईपीआईसी) द्वारा नवीनतम वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक प्रकाशित किया गया है| इस शोध में सामने आये आंकड़े देख कर यह पता चलता है की दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है। शोध के अनुसार दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है। वायु प्रदूषण इस सीमा तक पहुंच चुका है की उस से दिल्लीवासियों की उम्र औसतन एक दशक तक कम हो रही है |

वहीं बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते लखनऊ में रहने वाले लोगों की उम्र 9.5 साल तक घट सकती है। शोध यह भी बताता है की 2013 के बाद से दुनिया में होने वाले वायु प्रदूषण में करीब 44 फीसद बढ़ोतरी भारत से हुई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया के लगभग सभी देशों मं प्रदूषण डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों से अधिक है: बांग्लादेश में 15 गुना, भारत में 10 गुना और नेपाल और पाकिस्तान में नौ गुना – यानी करोडो लोग वायु प्रदूषण के कारण होने वाली हानि के चपेट में हैं।

जनवरी 2023 से दिल्ली-एनसीआर में कोयले पर पाबंदी लेकिन लो सल्फर कोल चलता रहेगा 

एक महत्वपूर्ण कदम के तहत कमीशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) ने बिजली के इस्तेमाल वाले सभी उद्योगों (जहां पीएनजी सप्लाई की सुविधा है) में 1 अक्टूबर से कोयले के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। जिन क्षेत्रों में पीएनजी की सुविधा आ रही है वहां 1 जनवरी 2023 से यह पाबंदी लागू होगी।  

सीएक्यूएम दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये बनायी गई एक वैधानिक कमेटी है। एनसीआर में कोयले से चल रहे उद्योगों की दिल्ली-एनसीआर और इससे जुड़े क्षेत्रों में एयर क्वॉलिटी ख़राब करने में बड़ी भूमिका है।  वर्तमान गणना के मुताबिक एनसीआर में उद्योग 1.7 मिलियन टन कोयला सालाना प्रयोग कर रही हैं जिसका भारी प्रभाव हवा की गुणवत्ता पर पड़ता है। हालांकि इस पाबंदी के बाद भी लो-सल्फर कोल यानी कम सल्फर  वाला कोयला इस्तेमाल होता रहेगा जो चिन्ता का विषय है। 

यूरोपियन यूनियन ने आईसी इंजन कारों पर रोक का समर्थन किया 

वायु प्रदूषण से लड़ने के लिये यूरोपीय संसद उस प्रस्ताव पर अमल कर रही है जिसमें 2035 से सभी आईसी (पेट्रोल, डीज़ल या अन्य जीवाश्म ईंधन से चलने वाली) इंजन कारों पर रोक लगाये जाने की बात कही गई है।

फ्रांस में हुई बैठक में ईयू संसद ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया कि वाहन कंपनियां अगले दशक के मध्य तक कार्बन इमीशन में 100% कमी करें। समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक 27 देशों के यूरोपीय यूनियन को इसके लिये जीवाश्म ईंधन से चलने वाली सभी कारों पर पाबंदी लगानी होगी।  यूरोपीय यूनियन के सांसदों ने इस बात का भी समर्थन किया कि ऑटोमोबाइल उद्योग से होने वाले CO2 इमीशन को 2030 तक (2021 के मुकाबले) 55% कम किया जाये। 

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये पृथ्वी के धूल वाले क्षेत्रों की मैपिंग करेगा नासा 

धरती के मौसम और जलवायु तंत्र में धूल के प्रभाव का अध्ययन करने के लिये नासा जल्दी ही नया मिशन शुरू करने जा रहा है। नासा के उपकरण का नाम है इमिट (EMIT)  – जिसका अभिप्राय है अर्थ सर्फेस मिनरल डस्ट सोर्स इन्वेस्टिगेशन – इस नासा के अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में लगाया जायेगा जहां से यह पूरी दुनिया में धूल के फैलाव और वितरण का अध्ययन करेगा। नासा के शोध में यह भी पता किया जायेगा कि धूल में क्या-क्या खनिज होते हैं। बीबीसी में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञ इस मिशन में यह जानकारी इकट्ठा कर सकेंगे कि इंसानी आबादी, गृह और जलवायु परिवर्तन पर धूल का क्या प्रभाव होता है। 

क्लाइमेट प्रभाव: जलवायु संकट के कारण भारत को सौर और पवन ऊर्जा दोनों क्षेत्रों में बेहतर प्रबंधन करना होगा। फोटो - Pixabay

जलवायु संकट से प्रभावित होगी भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता: अध्ययन

एक नए अध्ययन ने पाया है कि जलवायु संकट भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता को प्रभावित कर सकता है। करंट साइंस जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में कहा गया है कि जहां एक ओर अधिकांश सक्रिय सौर कृषि क्षेत्रों में सभी मौसमों के दौरान सौर विकिरण घटने की उम्मीद है, वहीं वार्षिक हवा की गति उत्तर भारत में कम होने और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में बढ़ने की संभावना है।

वैज्ञानिकों ने कहा कि मध्य और दक्षिण-मध्य भारत में मानसून से पहले के महीनों के दौरान सौर ऊर्जा क्षेत्र में निवेश किया जाना चाहिए क्योंकि इन क्षेत्रों में संभावित विकिरण हानि न्यूनतम होने की संभावना है।

अध्ययन के अनुसार, उच्च ऊर्जा-उत्पादक हवा की गति की आवृत्ति समग्र रूप से कम हो जाएगी, लेकिन कम ऊर्जा-उत्पादक हवा की गति में वृद्धि होने की संभावना है। एचटी के अनुसार आने वाले वर्षों में मेघावरण में वृद्धि के कारण निकट भविष्य में सौर ऊर्जा उत्पादन में कमी आने की उम्मीद है।

गुजरात में 1 किलोवॉट से 1 मेगावॉट तक के रूफटॉप सोलर सिस्टम के लिए होगी नेट मीटरिंग

गुजरात सरकार ने 1 किलोवॉट और 1 मेगावॉट तक की क्षमता वाले रूफटॉप सोलर सिस्टम के लिए नेट मीटरिंग (केवल प्रयुक्त ऊर्जा के भुगतान) की अनुमति दे दी है। जबकि 10 किलोवाट और 1 मेगावाट तक की क्षमता वाले रूफटॉप सोलर सिस्टम के लिए ग्रॉस मीटरिंग (कुल उत्पन्न ऊर्जा के भुगतान) की अनुमति होगी। नए मानदंडों के अनुसार, आवासीय उपभोक्ताओं द्वारा स्थापित रूफटॉप सौर परियोजनाओं को स्वीकृत भार के निरपेक्ष अनुमति दी जाएगी। इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रोत्साहनों का उपभोक्ता लाभ उठा सकते हैं। कैप्टिव उपभोक्ताओं (उपभोक्ता जो तकनीकी आर्थिक या विनियमन संबंधी कारणों से अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से बिजली खरीदने में असमर्थ है) के लिए स्वीकृत लोड तक की मांग और थर्ड-पार्टी सेल के तहत स्थापित परियोजनाओं के लिए अनुमेय सीमा के भीतर क्षमता पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।

मेरकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, एक डेवलपर थर्ड-पार्टी सेल के तहत एक आवासीय उपभोक्ता की छत पर भी सौर परियोजनाएं स्थापित कर सकता है और उसी परिसर में किसी अन्य उपभोक्ता के लिए बिजली का उत्पादन और बिक्री कर सकता है। नए नियमों के अनुसार, इस मामले में डेवलपर और उपभोक्ता को लीज या ऊर्जा बिक्री समझौता करना होगा।

सौर पैनल निर्माण बढ़ाने के लिए बाइडेन ने युद्धकाल का अधिनियम लागू किया

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सौर पैनलों और उनके पुर्जों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अपनी कार्यकारी शक्तियों का उपयोग करेंगे। बाइडेन कोरियाई युद्ध-काल के कानून रक्षा उत्पादन अधिनियम का उपयोग करेंगे जो निजी कंपनियों को संघीय सरकार के आदेशों को प्राथमिकता देने का निर्देश देता है। यह कदम अमेरिका में सौर पैनलों के निर्माण में तेजी लाने के लिए होगा जो स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में प्रशासन के प्रयासों का एक हिस्सा है। बाइडेन दो साल के लिए कंबोडिया, मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम से टैरिफ-मुक्त सौर पैनल आयात की अनुमति देने के लिए भी अपने अधिकारों का उपयोग करेंगे।

एक महत्वपूर्ण कदम में राष्ट्रपति बाइडेन ने इन चार दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में उत्पादित सौर पैनलों पर आयात शुल्क को निलंबित कर दिया है ताकि दो साल से रुके हुए सौर प्रतिष्ठानों को फिर से शुरू किया जा सके।क्लाइमेट होम के अनुसार इस निर्णय से अमेरिका के सोलर इंस्टॉलर्स ने ‘राहत की सांस ली है’। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार बैटरी की कमी के कारण अमेरिका के लिए पवन एवं सौर ऊर्जा की ओर जाना मुश्किल हो रहा है। 

अमेरिकी अक्षय ऊर्जा डेवलपर्स ने हाल के महीनों में कई बड़ी बैटरी परियोजनाएं विलंबित या रद्द कर दी हैं जिससे जीवाश्म ईंधन को छोड़कर पवन और सौर ऊर्जा की और बढ़ने की योजना खटाई में पड़ गई है।

जर्मनी पवन ऊर्जा विस्तार में तेजी लाने के लिए विधेयक पेश करेगा

जर्मन सरकार पवन ऊर्जा के विस्तार को गति देने के उपायों का एक पैकेज पेश करने जा रही है। यह बात  न्यूज़वायर में प्रकाशित हुई है जिसमें समाचार एजेंसी रायटर्स ने ‘देखे गए दस्तावेजों’ के हवाले से जानकारी दी है। 

रिपोर्ट के अनुसार नए कानून से ‘संघीय राज्यों पर तटवर्ती पवन ऊर्जा विस्तार के लिए अनिवार्य क्षेत्रीय लक्ष्य लागू किए जाएंगे’ और योजना के नियमों में ढील दी जाएगी। पवन ऊर्जा के लिए 2% भूमि आरक्षित करने की सरकारी योजना का ‘कुछ संघीय राज्य प्रतिरोध कर रहे” हैं।

नया टूसीटर: बैटरी वाहन बाज़ार में पीएमवी इलेक्ट्रिक का नया प्रयोग क्रांति ला सकता है। फोटो - HT Auto

भारत ने पहली माइक्रो-इलेक्ट्रिक क्वाड्रिसाइकिल ईएएस-ई की घोषणा की

पीएमवी इलेक्ट्रिक ने भारत की पहली इलेक्ट्रिक क्वाड्रिसाइकिल ईएएस-ई की घोषणा की है, जिसकी कीमत 4-6 लाख रुपए होगी। यह एक इलेक्ट्रिक टू-सीटर वाहन है जो चार पहियों पर है। ईएएस-ई को किसी भी नियमित पावर आउटलेट से चार घंटे में पूरी क्षमता तक रिचार्ज किया जा सकता है और यह अपने लिथियम-आयरन-फोफेट बैटरी पैक से 120-200 किमी तक की दूरी तय कर सकती है।

वाहन की शीर्ष गति 70- किमी/घंटा तक सीमित होगी। सवारियों को पावर विंडो, एयर कंडीशनिंग, ओवर-द-एयर अपडेट और एलईडी हेडलैम्प जैसी कई आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। वाहन का ग्राउंड क्लीयरेंस (चेसिस और सड़क के बीच की दूरी) 170 मिमी रहेगा। 

यूके ने ईवी सब्सिडी को खत्म करने का फैसला किया

यूनाइटेड किंगडम के परिवहन विभाग ने घोषणा की है कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर मिलने वाला £300 मिलियन (करीब 2850 करोड़ रुपये) का सब्सिडी पैकेज नए ऑर्डर्स के लिए समाप्त कर दिया जाएगा। उम्मीद है कि इससे होने वाली बचत को ईवी चार्जिंग के बुनियादी ढांचे का विस्तार करने के लिए प्रयोग किया जाएगा। इस निधि का पुनर्निवेश इलेक्ट्रिक ट्रक, वैन, टैक्सी और व्हीलचेयर्स के लिए प्लग-इन सुविधा उपलब्ध कराने में भी किया जा सकता है।

इस निर्णय के पीछे तर्क यह था कि इस सब्सिडी ने यूके के ईवी बाजार को परिपक्व बनाने में पूरा योगदान दिया है। जहां 2011 में केवल 1,000 इकाइयां बेची गईं थीं वहीं 2022 में जनवरी से मई के बीच लगभग 100,000 इकाइयां बेची जा चुकी हैं। हालांकि सोसाइटी ऑफ मोटर मैन्युफैक्चरर्स एंड ट्रेडर्स (एसएमएमटी) ने निर्णय की आलोचना की है और कहा है कि इसके परिणामस्वरूप प्रमुख यूरोपीय देशों में यूके बिना किसी ईवी सब्सिडी वाला एकमात्र बाजार होगा। सोसाइटी ने सुझाव दिया कि उन ग्राहकों को ध्यान में रखकर समर्थन जारी रखा जाए जो अन्तर्दहन (आईसी) इंजन से वाहनों को छोड़कर ईवी अपनाना चाहते हैं।

साल 2030 तक फरारी ने रखा 80% ईवी बेचने का लक्ष्य 

लक्ज़री स्पोर्ट्स कार निर्माता फरारी के मुताबिक उसने लक्ष्य रखा है कि 2030 तक कंपनी की कुल बिकने वाली कारों का 80% इलैक्ट्रिक कारें होंगी। दिलचस्प है कि फरारी पहले इलैक्ट्रिक मोड में आने के खिलाफ थी लेकिन इसके चेयरमैन ने तर्क दिया कि इससे ब्रांड की अपील पर असर नहीं पड़ेगा। फरारी अपनी ही इलैक्ट्रिक मोटर, बैटरी और इन्वर्टर का उत्पादन करेगी और 2025 तक इसकी पूरी तरह से इलैक्ट्रिक कार बाज़ार में आ जायेगी। माना जा रहा है कि दशक के अन्त तक विश्व बाज़ार में 40% कारें इलैक्ट्रिक होंगी। 

कोयला आयात: कोल इंडिया ने पहली बार 2.4 मिलियन टन का टेंडर निकाला है। फोटो - Pixabay

भारत: सीआईएल ने कोयला आयात के लिए पहली बार टेंडर जारी किये, गुणवत्ता का जीएआर का मानक निर्धारित किया

कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने कोयले के आयात के लिए पहली अंतरराष्ट्रीय निविदा जारी की है। 2.416 मिलियन टन (एमटी) कोयले के आयात के लिए यह निविदा तब जारी की गई है जब देश बिजली उत्पादन के लिए कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए हर विकल्प तलाश रहा है। सीआईएल ने बिजली उत्पादकों की ओर से आयात का आह्वान किया है। थर्मल कोयले की यह खेप जिस भी देश से आए, उसकी अपेक्षित गुणवत्ता 5,000 जीएआर (सकल कैलोरी मान) या उससे 30% ऊपर-नीचे होनी चाहिए। निविदा 29 जून तक खुली रहेगी और नौ अलग-अलग बंदरगाहों के जरिए देश में कोयला लाया जाएगा। 

इसके अतिरिक्त, भारत ने मई में 34% अधिक कोयले का और 26% अधिक बिजली (वर्ष-दर-वर्ष) का उत्पादन किया, जिसमें 37 शीर्ष कोयला खदानों ने अपने रेटेड आउटपुट के 100% से अधिक उत्पादन किया।

यूरोपीय संघ: प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों की मंजूरी पर वकीलों ने उठाया सवाल, कोयला संयंत्रों को स्टैंड-बाय पर रखेगा जर्मनी

एक ओर जहां यूरोपीय संघ रूस से गैस आपूर्ति को पूरी तरह बंद करना चाहता है, वहीं जलवायु मामलों के वकीलों के संघ ने प्राकृतिक गैस पाइपलाइन के समर्थन पर सवाल उठाने के लिए ‘आंतरिक समीक्षा’ नामक एक नए कानूनी विकल्प का उपयोग करने की योजना बनाई है। यह प्रक्रिया इस तथ्य पर जोर देगी कि मुख्य रूप से ग्रीस और माल्टा के ज़रिए जो पाईपलाईनें अनुमोदित की गई हैं वह यूरोपीय जलवायु कानून के अनुच्छेद 6 का उल्लंघन करती हैं और यह यूरोपीय संघ के जलवायु लक्ष्यों के विरुद्ध होगा। इसके अलावा, यूरोपीय संघ ने कथित तौर पर पाइपलाइनों द्वारा मीथेन उत्सर्जन को संज्ञान में नहीं लिया है और वकीलों का तर्क होगा कि इस उत्सर्जन के परिणाम पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील भूमध्य सागर के लिए गंभीर हो सकता है। 

साथ ही, इस आशंका में कि रूस से प्राकृतिक गैस की आपूर्ति अचानक गिरने से देश में ऊर्जा की कमी हो सकती है, जर्मन सरकार कथित तौर पर कोयला संयंत्रों को लगभग दो साल तक विकल्प के तौर पर बनाये रखेगी। कहा जाता है कि जर्मनी में कई तेल और कोयले से चलने वाले संयंत्र हैं जिन्हें आपातकालीन राहत के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है, लेकिन फ़िलहाल जर्मन सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि वह 2030 तक कोयले के उपयोग को समाप्त करने के अपने लक्ष्य पर कायम है।

नई जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं को मंजूरी पर अमेरिका ने की यूरोपीय संघ की आलोचना 

रूसी जीवाश्म ईंधन आयात बंद करने के प्रयास के रूप में कई कोयला परियोजनाओं तथा तेल और गैस पाइपलाइनों को मंजूरी देने के लिए अमेरिका ने यूरोपीय संघ की आलोचना की है। अमेरिका ने कहा है कि जीवाश्म ईंधन प्राप्त करने की यह नई होड़ यूरोपीय संघ के दीर्घकालिक जलवायु लक्ष्यों के विपरीत है। यही नहीं, थिंक टैंक क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर के अनुसार प्राकृतिक गैस इकाईयां स्थापित करने के लिए यूरोपीय संघ द्वारा मिस्र, अल्जीरिया, कतर और यहां तक कि अमेरिका के साथ हड़बड़ी में किए गए समझौते ‘विश्व को अपरिवर्तनीय वार्मिंग की और धकेल देंगे’, क्योंकि इन परियोजनाओं का बुनियादी ढांचा दशकों तक इस्तेमाल किया जाएगा और इसका जलवायु पर प्रभाव यूरोपीय संघ को ऊर्जा संकट से मिलने वाली अल्पकालिक राहत से कहीं अधिक होगा।

कार्बन कॉपी
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.