दक्षिण कोरिया ने ऐलान किया है कि वह बैटरी वाहनों में चार्जिंग टेक्नोल़ॉजी के लिये उम्दा तकनीक विकसित करेगा जो विश्व मानकों के अनुरूप होगी। कोरिया इलैक्ट्रिक वाहनों के लिये 50 किलोवॉट क्षमता तक की वायरलेस चार्जिंग टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है और इस सिलसिले में उसकी प्रौद्योगिकी और मानक एजेंसी ने दुनिया के विशेषज्ञों से वेब-वार्ता की। कोरिया का दावा है कि वह ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से घंटे भर में 80% बैटरी चार्जिंग की टेक्नोलॉजी लायेगा। बैटरी वाहनों के लिये वायरलेस चार्जिंग की कोशिश अब नई क्रांति है और नॉर्वे जैसे यूरोपीय देशों ने इस पर काम शुरू कर दिया है।
बैटरी वाहन बिक्री में तिपहिया वाहन अव्वल
दिल्ली स्थित काउंसिल ऑफ एनर्जी एंड इन्वायरेंमेंट (सीईईडब्लू) ने बैटरी वाहनों की बिक्री को लेकर जो आंकड़े जुटाये हैं उनके मुताबिक साल 2020-21 में कुल इलैक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में 65% तिपहिया वाहन थे। रजिस्टर हुए सारे वाहनों में ईवी का हिस्सा 0.88% था जो अब तक का सर्वाधिक है। देश में साल 20-21 में कुल 1,35,000 बैटरी वाहन बिके जिससे पिछले 10 साल में बिके कुल इलैक्ट्रिक वाहनों की संख्या 6,38,000 हो गई है। अप्रैल 2020 से यूपी इस मामले में अव्वल रहा जिसका हिस्सा कुल बिक्री का 23% रहा। त्रिपुरा में प्रति हज़ार आईसी वाहनों में 52 बैटरी वाहन बिके जो एक रिकॉर्ड है।
अमेरिका: 2035 तक सारे वाहन हो सकते हैं इलैक्ट्रिक
बैटरियों की गिरती कीमतों और उम्दा टेक्नोलॉजी के चलते 2035 तक अमेरिका में बिकने सभी वाहन इलैक्ट्रिक हो सकते हैं। उनमें कार और ट्रक शामिल हैं। यह बात यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले स्टडी में सामने आई है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इससे कई लाख करोड़ डॉलर काफी धन की बचत होगी और जलवायु संकट की रफ्तार को कम करने में मदद मिलेगी।
अभी अमेरिका के कुल वाहनों की बिक्री में केवल 2% ही बैटरी वाहन हैं। गैस और डीज़ल से चलने वाले वाहनों की तुलना में लोग महंगी इलैक्ट्रिक कारों को पसंद नहीं करते क्योंकि चार्जिंग पॉइंट मिलेंगे इसका भी उन्हें भरोसा नहीं। अब नई रिसर्च बताती है कि अगले पांच साल में इलैक्ट्रिक कारों की कीमत पेट्रोल कारों के बराबर हो जायेगी। तेज़ गति से बैटरी कारों के लिये खड़ा होता मूलभूत ढांचा ग्राहकों का भरोसा बढ़ायेगा और इससे साल 2050 तक कम से कम 2.7 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर बचेंगे।
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