साफ ऊर्जा की ओर बढ़ने के रास्ते में भारत को एक आर्थिक दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। ग्लोबल इन्वायरेंमेंटल चेंज जर्नल में प्रकाशित निजी कर्ज़ और बॉन्ड का विश्लेषण बताता है कि खनन के क्षेत्र में दिये गये 60% ऋण तेल और गैस निकालने के लिये हैं जबकि निर्माण क्षेत्र में 20% कर्ज़ पेट्रोलियम रिफायनिंग या उससे जुड़े क्षेत्र के लिये दिये गये हैं। अभी भारत के कार्बन उत्सर्जन में सबसे अधिक हिस्सा बिजली उत्पादन के कारण है लेकिन इस क्षेत्र में दिये गये केवल 17.5% कर्ज़ ही साफ ऊर्जा के लिये हैं। इससे स्पष्ट है कि भारत कि जीवाश्म ईंधन में पर अति निर्भरता भारत के ऊर्जा ट्रांजिशन में एक रोड़ा बन रहा है।
भारत ने साल 2070 तक नेट ज़ीरो इमीशन हासिल करने का वादा किया है लेकिन इसके साथ ही 2030 तक बिजली की अपनी आधी ज़रूरतें साफ ऊर्जा स्रोतों से बनाने का लक्ष्य भी रखा है। इसके लिये उसे 1 लाख करोड़ डॉलर का निवेश करना होगा। लेकिन कोयले और तेल, गैस पर निर्भरता जीवाश्म ईंधन के लिये दिये भारी कर्ज़ बड़ी समस्या हैं।
कोयले की कहानी: कहीं सप्लाई रोकने की बात, कहीं उत्पादन बढ़ाने की योजना
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कोयला बिजलीघरों को छोड़कर बाकी औद्योगिक इकाइयों और अन्य वाणिज्यिक संगठनों को कोयले की आपूर्ति और बिक्री रोकने के लिए कहा है। यह निर्देश दिल्ली-एनसीआर में कोयले और ऐसे ईंधन जिसकी मंज़ूरी न दी गई हो के उपयोग पर लगे प्रतिबंध के मद्देनजर आया है। यह प्रतिबंध 1 जनवरी से लागू हुआ था।
वहीं दूसरी ओर कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा कि कोयला मंत्रालय की 31 मार्च तक बिजली क्षेत्र को अधिक सूखे ईंधन की आपूर्ति करने की योजना है। उन्होंने कहा कि यह एक एहतियाती उपाय है और इस बात पर जोर दिया कि सभी कोयला कंपनियां आम तौर पर अपने लक्ष्य से अधिक उत्पादन कर रही हैं। अप्रैल-सितंबर 2023 के दौरान सूखे ईंधन में 24 मिलियन टन की आपूर्ति की कमी का अनुमान लगाते हुए बिजली उत्पादन कंपनियां को कोयले का समय पर आयात सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।
प्रतिबंधों के बावजूद भारत के ज़रिये रूस से तेल आयात कर रहा ब्रिटेन
रूस पर प्रतिबंध लगाने में ब्रिटेन ने भले ही पश्चिम का नेतृत्व किया हो लेकिन वह भारत के माध्यम से रूसी तेल का आयात कर रहा है। यह सामने आया है कि बीपी और शेल सहित यूके को आपूर्ति करने वाले ऊर्जा खरीदारों ने भारतीय निजी कच्चे तेल रिफाइनरियों से अपने आयात में वृद्धि की है।
क्लाइमेट एडवोकेसी ग्रुप ग्लोबल विटनेस द्वारा विश्लेषण किए गए डेटा के अनुसार, फरवरी 2022 में यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से ब्रिटेन ने भारतीय निजी रिफाइनरियों से 29 शिपमेंट या 10 मिलियन बैरल डीजल और अन्य रिफाइंड उत्पादों का आयात किया है। वही 2021 में यह आंकड़े सिर्फ सात शिपमेंट या 4 मिलियन बैरल ही थे ।
यूके का तेल प्रतिबंध 5 दिसंबर को प्रभाव में आया, लेकिन कुछ कानूनी खामियों के मद्देनज़र रूसी मूल का तेल अभी भी यूके में आ सकता है। कुछ समय पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था की फरवरी 2022 से भारत की तुलना में यूरोपीय संघ ने रूस से छह गुना अधिक जीवाश्म ईंधन आयात किया है।
दो साल पहले, हमने अंग्रेजी में एक डिजिटल समाचार पत्र शुरू किया जो पर्यावरण से जुड़े हर पहलू पर रिपोर्ट करता है। लोगों ने हमारे काम की सराहना की और हमें प्रोत्साहित किया। इस प्रोत्साहन ने हमें एक नए समाचार पत्र को शुरू करने के लिए प्रेरित किया है जो हिंदी भाषा पर केंद्रित है। हम अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद नहीं करते हैं, हम अपनी कहानियां हिंदी में लिखते हैं।
कार्बनकॉपी हिंदी में आपका स्वागत है।
आपको यह भी पसंद आ सकता हैं
-
कोयले का प्रयोग बंद करने के लिए भारत को चाहिए 1 ट्रिलियन डॉलर
-
भारत ने 10 लाख वर्ग किलोमीटर के ‘नो-गो’ क्षेत्र में तेल की खोज के हरी झंडी दी
-
ओडिशा अपना अतिरिक्त कोयला छूट पर बेचना चाहता है
-
विरोध के बाद यूएन सम्मेलन के मसौदे में किया गया जीवाश्म ईंधन ट्रांज़िशन का ज़िक्र
-
रूस से तेल आयात के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ा