चीनी इंटरनेट कंपनी बाइडू ने स्वचालित बैटरी कारों के लिये जीली ऑटो ग्रुप से हाथ मिलाया है। जीली चीन की सबसे तेज़ी से बढ़ रही ऑटो कंपनी है। ये दोनों कंपनियां मिलकर ऐसी स्मार्ट इलैक्ट्रिक कार बना रही हैं जो बिना ड्राइवर के चल सके। वोल्वो और लोटस जैसी ब्रान्ड की मालिक जीली इस कार की बॉडी बनायेगी जबकि बाइडू ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके स्वचालित ड्राइविंग फीचर वाला सॉफ्टवेयर डेवलप करेगी। महत्वपूर्ण है कि इसके द्वारा बनाये गये ऑटोनॉमस कार सॉफ्टवेयर, अपोलो की अभी टेस्टिंग चल रही है।
वहीं ख़बर है कि अमेरिकी कंपनी एप्पल इलैक्ट्रिक कार लाने की तैयारी में है जिसके लिये वह खुद बैटरी भी तैयार करेगी। अभी एप्पल की इस बारे में दक्षिण कोरियाई कंपनी ह्युन्दई से बात चल रही है और कार का ‘बीटा’ मॉडल (टेस्टिंग के लिये) 2024 तक आ सकता है।
नॉर्वे ने बनाया इलैक्ट्रिक कारों की बिक्री का रिकॉर्ड
नॉर्वे दुनिया का पहला देश बन गया है जहां साल 2020 में जितनी कारें बिकीं उनमें 50% से अधिक इलैक्ट्रिक कारें रहीं। एक इंडस्ट्री ग्रुप ने ये आंकड़े प्रकाशित किये हैं। आंकड़ों के मुताबिक जहां 2019 में सड़क पर उतरी नई कारों में बैटरी कारों का हिस्सा 42.4% वहीं 2020 में बिकीं नई कारों में 54.3% इलैक्ट्रिक कारें हैं। दिसंबर में तो नॉर्वे में बिकने वाली 66.7% कारें इलैक्ट्रिक कारें थी। ऑडी ई-ट्रॉन और टेस्ला मॉल 3 सबसे अधिक बिकने वाले मॉल रहे। नॉर्वे पश्चिम यूरोप में तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है फिर भी भारी सब्सिडी के कारण वहीं इलैक्ट्रिक कारों का बाज़ार फैल रहा है। इस देश का इरादा है कि साल 2025 तक सभी नई कारें “ज़ीरो इमीशन” वाली हों।
कैसे हासिल होगा दस लाख बैटरी दुपहिया बेचने का लक्ष्य
साल 2020 में भारत में केवल 25,735 हाइ स्पीड इलैक्ट्रिक टू-व्हीलर बिके। इससे फेम- 2 (FAME-II) योजना के तहत मार्च 2022 तक 10 लाख बैटरी दुपहिया बेचने का लक्ष्य नामुमकिन लग रहा है। पिछले हफ्ते सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलैक्ट्रिक वेहिकल्स (SMEV) ने यह बात कही। फेम -2 अप्रैल 2019 में शुरू की गई थी। सोसायटी ने कहा कि जहां 2019 में 27,224 हाइ स्पीड टू व्हीलर बिके वहीं 2020 में कई इंसेंटिव के बावजूद यह सेल 5 गिर गई और फेम-2 योजना का (तीन साल के भीतर 10 लाख बैटरी दुपहिया बेचने) लक्ष्य अब हासिल होता नज़र नहीं आ रहा।
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