खेतों से उठती गर्मी: रासायनिक खाद फसल को ज़हरीला ही नहीं बनाती बल्कि इसमें मौजूद N2O जैसे तत्व ग्लोबल वॉर्मिंग के लिये भी ज़िम्मेदार हैं | Photo: REUTERS/Carlos Garcia Rawlins

रासायनिक खाद से ग्लोबल वॉर्मिंग, N2O का बढ़ता ग्राफ

एक नये शोध से पता चला है कि नाइट्रोजन पर आधारित खाद नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन बढ़ाती है जो कि एक ग्रीन हाउस गैस है। इस गैस का रासायनिक फॉर्मूला N2O है और इसे  लॉफिंग (हंसाने वाली) गैस भी कहा जाता है। आंकड़े बताते हैं कि 1980 और 2016 के बीच दुनिया में इसका उत्सर्जन 1.4% की दर से बढ़ा है। इंसानी क्रियाकलापों से होने वाले कुल N2O इमीशन में खेती का हिस्सा आधे से अधिक है। यह गैस कई दशकों तक वातावरण में रहती है और ग्लोबल वॉर्मिंग के लिये CO2 से अधिक खतरनाक है।

इस साल का सितंबर रहा सबसे गर्म: कॉपरनिक्स

ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर लगातार सुबूत मिल रहे हैं। वेदर सर्विस कॉपरनिक्स के मुताबिक इस साल सितंबर का महीना इतिहास में सबसे गर्म रहा। यह पिछले साल के सितंबर के मुकाबले 0.05 डिग्री अधिक गर्म था।  एजेंसी ने साइबेरियन आर्कटिक में औसत से अधिक गर्मी की बात कही है और बताया है कि उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से यहां समंदर में बर्फ की मात्रा दूसरे निम्नतम स्तर पर है।

अमेज़न तब्दील हो सकता है खुश्क जंगलों में

अपनी घनी वनस्पति, अनगिनत जन्तु प्रजातियों, झरनों और समृद्ध जैव विविधता के लिये  विख्यात अमेज़न के वर्षावन अब धीरे धीरे ऊष्ण कटिबंधीय इलाकों में पाये जाने वाले शुष्क घास के मैदानों जैसे सवाना जंगलों में तब्दील हो सकते हैं। नेचर कम्युनिकेशन नाम की साइंस पत्रिका में छपा एक नया शोध बताता है कि लगातार आग से जूझ रहा अमेज़न के 40% इलाके में वर्षा का पैटर्न बदल रहा है। इस बदलाव को आने में कई दशक लग सकते हैं लेकिन एक बार अगर ये सिलसिला शुरू हो गया तो फिर यह प्रक्रिया रोकी नहीं जा सकती न ही अमेज़न को पुनर्जीवित किया जा सकेगा।

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