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भारत में कोयला निवेश में भारी गिरावट

कोयला और साफ ऊर्जा में निवेश का एक तुलनात्मक विश्लेषण बताता है कि 2018 के मुकाबले 2019 में देश के भीतर कोयले में निवेश 126% कम हुआ। यह रिपोर्ट सेंटर फॉर फाइनेंसियल एकांउटिबिलिटी ने एक जनवरी और 31 दिसंबर 2019 के बीच कोयले और साफ ऊर्जा के 43 प्रोजेक्ट्स का अध्ययन कर तैयार की है। जहां 2018 में कोल प्रोजेक्ट्स में 6,081 करोड़ रुपये निवेश हुये वहीं 2019 में यह आंकड़ा गिरकर 1,100 करोड़ रह गया। इसके उलट साफ ऊर्जा के 41 प्रोजेक्ट्स (कुल 5150 मेगावॉट क्षमता) में साल 2019 में कुल 22,971 करोड़ का निवेश हुआ। हालांकि पवन ऊर्जा निवेश में 30% गिरावट हुई लेकिन सोलर में 10% का उछाल हुआ।

जीवाश्म ईंधन: 47 धर्म संस्थानों ने दूर रहने की घोषणा की

पिछले हफ्ते दुनिया के 47 धर्म संस्थानों ने एक साथ घोषणा की है वो जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को बन्द करेंगे। घोषणा करने वाले संस्थानों में 21 देशों के कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और यहूदी समुदाय शामिल हैं और जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल बन्द करने या घटाने के लिये यह धर्म संस्थानों द्वारा अब तक का सबसे बड़ा ऐलान है। यह घोषणा क्लाइमेट चेंज को लेकर हुई पेरिस संधि की पांचवीं वर्षगांठ के मौके पर हुई है। उम्मीद है कि जी-20 देशों की बैठक से पहले हुई इस घोषणा से उन देशों पर दबाव पड़ेगा जहां जीवाश्म ईंधन का बड़े स्तर पर इस्तेमाल हो रहा है।

दक्षिण अफ्रीका: सबसे बड़ी पावर कंपनी बना रही है नेट ज़ीरो इमीशन की योजना 

दक्षिण अफ्रीका की बड़ी पावर कंपनी एस्कॉम होल्डिंग लिमिटेड ने कहा है कि वह 2050 तक नेट ज़ीरो इमीशन हासिल करने के लिये योजना बना रही है। यह कंपनी कोयले से बिजली बनाती है और देश में ग्रीन हाउस गैसों की सबसे बड़ी उत्सर्जक है। कंपनी ने कहा कि इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिये उसका “एक आकांक्षी दृष्टिकोण” है जिसमें लोगों को नौकरियां देना शामिल है। एस्कॉम सौ साल से पुरानी कंपनी है जो जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर रही है और अगर वह अपनी बातों पर अमल करती है तो यह उसके ट्रैक रिकॉर्ड में एक नाटकीय बदलाव होगा।

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