नीलामी से उठे सवाल: सोलर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की ताज़ा नीलामी में बिजली दरों के मामले में रिकॉर्ड बना है लेकिन क्या यह डील व्यवहारिक रूप से कामयाब हो पायेगी | Photo: Energy Infra Post

फिर रिकॉर्ड दरों पर सोलर नीलामी लेकिन क्या बिजनेस कर पायेंगी कंपनियां?

सोलर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी एसईसीआई की ताज़ा सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट बिडिंग में  ₹ 2.36 / किलोवॉट-घंटा को ठेके मिले और भारत की सिर्फ एक कंपनी रिन्यू पावर को ठेका मिला।  जानकारों के मुताबिक इतनी कम दरों की वजह है कि यह नीलामी केवल सोलर के लिये हुई है जिसे व्यापार की भाषा में “वेनिला” सेलर टेंडर कहा जाता है। अन्यथा राउंड द क्लॉक यानी 24 घंटे सप्लाई के लिये होने वाले ऑक्शन में बिजली दरें कहीं अधिक होती है जैसा कि पिछली मई में ₹ 3.60 प्रति किलोवॉट घंटा की दर से नीलामी हुई। जानकारों को आशंका यह भी है कि क्या कंपनियां इतने सस्ते रेट पर बिजली पायेंगी या प्रक्रिया टांय टांय फिस्स हो जायेगी। 2017 और 2018 में जिस ACME कंपनी को ठेका मिला था उसने बाद में कह दिया कि वह प्रोजेक्ट नहीं लगा सकती। ये मामला अभी अदालत में है।

साफ ऊर्जा: केंद्र ने प्रोजेक्ट्स की समय सीमा 98 दिन बढ़ाई

कोरोना के कारण अटके सौर ऊर्जा के प्रोजेक्ट्स के लिये राहत भरी ख़बर है कि केंद्र सरकार ने समय सीमा को कुल 98 दिन बढ़ा दिया है। सरकार ने लॉकडाउन के 68 दिनों के अलावा प्रोजेक्ट चला रही कंपनियों को 30 दिन का अतिरिक्त समय दिया है।    

हालांकि अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन का समय और स्वरूप अलग अलग है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और झारखंड ने 31 जुलाई तक लॉकडाउन बढ़ा दिया है। शहरों से लोगों के पलायन के कारण कंपनियों को मज़दूरों की दिक्कत का सामना भी करना पड़ रहा है। कंपनियों ने इसी वजह से कहा था कि सरकार उन्हें प्रोजेक्ट पूरा करने के लिये 6 महीने और वक़्त दे।

साल 2020-21: सौर ऊर्जा में बढ़त 15% कम होगी

रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के मुताबिक चालू वित्त वर्ष (2020-21) में केवल 5.5 गीगावॉट की सौर ऊर्जा बढ़ोतरी हो पायेगी। पहले अंदाजा था कि इस वित्त वर्ष में करीब 7.5 गीगावॉट क्षमता के सौर ऊर्जा  पैनल लगेंगे लेकिन कोरोना की चोट के कारण अब 15% कम एनर्जी एडिशन का अनुमान है। एजेंसी के मुताबिक लॉकडाउन के बिजली की मांग घटी जिससे वितरण कंपनियों की कमाई में गिरावट दर्ज हुई है। इस वजह से इस सेक्टर के कर्ज़ डूबने का संकट खड़ा हो गया है। तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में भुगतान में 10-12 महीनों की देरी हो रही है।

उधर एक दूसरे अध्ययन के मुताबिक भारत अगले 5 साल में  कुल 60 गीगावॉट के ही साफ ऊर्जा संयंत्र लगा पायेगा। इस रिपोर्ट में 2025 तक सालाना 12 गीगावॉट के क्लीन एनर्जी एडिशन का अनुमान है। सरकार का लक्ष्य 2022 तक कुल 175 गीगावॉट और 2030 तक 450 गीगावॉट साफ ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करना है। इस साल 31 मार्च तक भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 32.2 गीगावॉट और पवन ऊर्जा क्षमता 37.6 गीगावॉट है।

एनटीपीसी माली में लगायेगा 500 मेगावॉट का सोलर प्लांट

सरकारी कंपनी एनटीपीसी पश्चिम अफ्रीका के माली में 500 मेगावॉट का सोलर पार्क लगाने में मदद करेगी। यह प्रोजेक्ट इंटरनेशनल सोलर अलायंस के तहत चलाया जा रहा है। एनटीपीसी ने तय किया है कि वह सोलर अलायंस के अन्य सदस्य देशों  में कुल 10,000 मेगावॉट के  ऐसे प्रोजेक्ट लगाने में मदद करेगा। अलायंस का मुख्यालय भारत में है और कुल 121 देश इसके सदस्य हैं हालांकि चीन इसका सदस्य नहीं है। जहां चीन वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट के तहत कई देशों के साथ रिश्ते मज़बूत कर रहा है वहीं भारत के लिये इंटरनेशनल सोलर अलायंस तमाम देशों के साथ सहयोग और रिश्ते बनाने का का ज़रिया है।

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