फिर सब ओर वही धुंआं: चेतावनी के वजूद किसान फिर से पराली जला रहे हैं लेकिन क्या सरकार ने अपनी ज़िम्मेदारी निभाई है? | Photo: Research Matters

फिर पराली का धुंआं, अक्टूबर में होगा दमघोंटू प्रदूषण

अक्टूबर आते-आते हर साल खेतों में पराली जलाने का मुद्दा दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत में गरमाने लगता है। अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा की सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि पंजाब-हरियाणा में इस साल यह सिलसिला शुरू हो गया है। महत्वपूर्ण है कि पिछले साल पराली जलाने का ये सिलसिला 25 सितंबर को शुरू हुआ लेकिन नासा की तस्वीरें बताती हैं कि इस साल  अमृतसर में 13 सितंबर को ही दो जगह खुंटी जलाई गई और 20 सितंबर तक 62 जगह खेतों में आग जल रही थी।

दिल्ली समेत उत्तर भारत को प्रभावित करने वाला पराली का यह धुंआं अक्टूबर के मध्य में सबसे अधिक घना हो जाता है। दिल्ली हाइकोर्ट ने उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें कहा गया था कि पराली के धुंयें से कोविड महामारी और विकराल रूप धारण कर सकती है। इस याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और यूपी के मुख्य सचिवों के साथ वार्ता करे।

वायु प्रदूषण: जावड़ेकर के साथ 5 राज्यों के मंत्रियों की बैठक

जाड़ों में दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में होने वाले वायु प्रदूषण से पहले पांच राज्यों के मंत्रियों ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री के साथ बैठक हुई। गुरुवार को हुई इस मीटिंग में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी के पर्यावरण मंत्री शामिल थे। केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने मंगलवार को कहा था कि साल 2016 में प्रदूषण कम करने की जो मुहिम शुरू की गई थी वह दिल्ली ही नहीं फरीदाबाद, गुरुग्राम, नोयडा, गाज़ियाबाद के अलावा राजस्थान और पंजाब के हिस्सों के लिये भी है।  दिल्ली सरकार ने मीटिंग में पूसा इंस्टिट्यूट में तैयार बायो डिकम्पोजर को पराली गलाने के एक विकल्प के रूप में पेश किया ताकि उसे जलाना न पड़े। ईंट भट्ठों के साथ साथ एनसीआर के 11 कोयला बिजलीघरों को बन्द करने की मांग भी इस मीटिंग में उठी।

नियमों के पालन में 65% कोयला बिजलीघर फेल

देश के 65 प्रतिशत कोयला बिजलीघर 2022 की उस तय समय सीमा का पालन नहीं कर पायेंगे जिसके भीतर उन्हें धुंआं रोकने के लिये चिमनियों में यंत्र लगाने थे। दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरेंमेंट (सीएसई) की ताज़ा आंकलन रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट कहती है कि बहुत बड़ी संख्या में कोयला बिजलीघर मानकों को पूरा करने के मामले में “लापरवाह और आलसी” हैं।

उद्योगों से होने वाली प्रदूषण में पावर प्लांट्स का हिस्सा 60% है। कुल 45% SO2, 30% NOx और 80% मरकरी पावर प्लांट्स से निकलता है। सीएसई की नई रिपोर्ट, जिसमें इस साल अगस्त तक के हालात का आकलन किया गया है, कहती है  कि कुल बिजलीघरों में से केवल 56% नये पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) मानकों का पालन करते हैं और मात्र 35% SO2 से जुड़े उत्सर्जन मानकों के हिसाब से हैं।

यूके में पेट्रोल-डीज़ल कारें अगले 10 साल में होंगी बन्द

यूनाइटेड किंगडम योजना बना रहा है कि वह 2030 के बाद डीज़ल और पेट्रोल कारों पर रोक लगा दे। इलैक्ट्रिक कार मालिकों के लिये फ्री पार्किंग और वेल्यू एडेड टैक्स में कटौती पर विचार किया जा रहा है। ट्रांसपोर्ट विभाग द्वारा कराई गई एक स्टडी में बताया गया है कि इलैक्ट्रिक कारों की बिक्री बढ़ाने के लिये एक के बाद एक कई इंसेंटिंव देने होंगे।

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