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आखिर IEA ने वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक में NZE2050 को दे ही दी जगह

पहली बार IEA ने जलवायु परिवर्तन को माना एक खतरा, वार्षिक रिपोर्ट में NZE2050 पर रखा पूरा सेगमेंट

एक बेहद महत्वपूर्ण वैश्विक घटनाक्रम में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने पहली बार अपनी वार्षिक रिपोर्ट वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक (WEO) में इस बात पर ज़बरदस्त चर्चा की है कि कैसे पूरी दुनिया अगले तीस सालों में कार्बन मुक्त हो सकती है।

यह बात महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि IEA ने जलवायु परिवर्तन के परिणामों को मानते हुए, संभवतः, पहली  बार उसे इतनी तरजीह दी है कि दुनिया भर में ऊर्जा क्षेत्र की गोल्ड स्टैण्डर्ड मानी जाने वाली अपनी बेहद शानदार और विश्वसनीय वार्षिक रिपोर्ट में अगले दस सालों में दुनिया के नेट ज़ीरो होने की दिशा में बढ़ने के लिए ज़रूरी कदमों बात करते हुए एक पूरा सेगमेंट रखा है।

आने वाले दशकों में वैश्विक ऊर्जा प्रणाली कैसे विकसित हो सकती है, इस बारे में वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है। रिपोर्ट का ताज़ा संस्करण जहाँ ऊर्जा क्षेत्र पर कोविड महामारी के प्रभावों की पड़ताल करता है, और निकट-अवधि के कार्यों की समीक्षा करता है जो स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को तेज कर सकते हैं, वहीँ उसका ख़ास ध्यान अगले 10 वर्षों पर है। वजह यह है कि अगले दस सालों में लिए गए फ़ैसले, पृथ्वी की अगले दस सालों की दशा और दिशा तय कर देंगे।

और आज, IEA ने अपने इस वार्षिक फ्लैगशिप प्रकाशन – द वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक – को जारी करते हुए इसमें पहली बार 1.5 डिग्री सेंटीग्रेड ग्लोबल वार्मिंग के परिदृश्य को शामिल किया है , जिसे NZE2050 (नेट ज़ीरो एमिशन 2050) कहा जाता है। NZE2050 का मतलब सारी दुनिया का 2050 तक पूरी तरह में जीवाश्म ऊर्जा मुक्त, डीकार्बनआईज़ड, और कार्बन न्यूट्रल ऊर्जा में सक्षम हो जाना है। और ऐसा करने में सोलर, पवन, माइक्रो हाइड्रो, आदि रिन्यूएबिल एनर्जी का हर रूप शामिल है।

इस ताज़ा रिपोर्ट में दर्ज मौजूदा नेट-शून्य प्रतिबद्धताओं का विश्लेषण वैश्विक प्रयासों के लिए कई उपयोगी सबक प्रदान करता है, और साथ ही सुझाव देता है कि:
– एक नेट-शून्य कार्बन पावर सिस्टम बनाने के लिए दीर्घकालिक और एकीकृत योजना की आवश्यकता होती है,
– उत्सर्जन में कमी के प्रयासों के लिए विद्युतीकरण केंद्रीय बिंदु ज़रूर हो सकता है लेकिन साथ ही हाइड्रोजन जैसे कम कार्बन ईंधन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है,
– क्योंकि उत्सर्जन को पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल होगा, इसलिए प्रौद्योगिकी में नवाचार को बढ़ावा देना पड़ेगा।
– सार्वजनिक स्वीकृति सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ताओं के साथ जुड़ना भी महत्वपूर्ण होगा।

इस महत्वपूर्ण रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ऑइल चेंज इंटरनेशनल में एनर्जी ट्रांजीशन और फ्यूचर्स प्रोग्राम के निदेशक हैना मैककिनन कहती हैं, “WEO 2020 से साफ़ ज़ाहिर है कि IEA समझ रहा है कि दुनिया अब  अस्तित्व संकट का सामना कर रही है और उसके अस्तित्व को बचने के लिया जलवायु परिवर्तन रोकने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। एक छोटा सा 1.5ºC ग्लोबल वार्मिंग  परिदृश्य  या NZE 2050 एक उपयोगी कदम है, लेकिन जब तक 1.5°C परिद्रश्य WEO के  केंद्र  में नहें होगा तब तक यह जलवायु सुरक्षा के लिए खतरा है।”

वो आगे कहती हैं, “1.5°C तक वार्मिंग को सीमित करना न सिर्फ़ ज़रूरी है, संभव भी है, लेकिन सरकारों और निवेशकों को समान रूप से ऐसे रास्ते की जरूरत है जो उन्हें सफलता की योजना बनाने की अनुमति दें, न कि आगे की विफलता। NZE2050 से पता चलता है कि IEA उर्जा की बढ़ती मांगों टी तरफ ज्यादा ध्यान दे रहा है। अब IEA को 2021 में 1.5°C परिदृश्य को पूरी तरह से विकसित और केंद्रीय बनाकर अगला बड़ा कदम उठाना चाहिए न की उर्जा ज़रूरतों को।”

यहाँ यह याद दिलाना ज़रूरी है निवेशकों, व्यवसायों और जलवायु नेताओं का एक बड़ा समूह दो साल से इस परिदृश्य का आह्वान करा रहा है।

जहाँ यह रिपोर्ट एक ओर महत्वपूर्ण है, वहीँ यह कुछ सवाल भी उठाती है कि अब IEA को क्या स्पष्ट करना चाहिए।

जो सबसे बड़ा सवाल अब उठता है वो है कि IEA इस 1.5C परिदृश्य के बारे में क्या करने की योजना बना रहा है? IEA ने इस पूरे वर्ष को ग्रीन रिकवरी को बढ़ावा देने में बिताया है, विशेषकर पेरिस एजेंसी ने जुलाई में इस विषय पर एक विशेष रिपोर्ट जारी की और स्वच्छ संक्रमण शिखर सम्मेलन (क्लीन ट्रांजीशन समिट) का आयोजन किया। तो क्या यह 1.5C परिदृश्य – ग्रीन रिकवरी को एक वास्तविकता बनाने के लिए मूल रोडमैप – सरकारों और निजी क्षेत्र के साथ काम करने में उनका मुख्य केंद्र बन जाएगा? क्या IEA सरकारों की रिकवरी योजनाओं पर सलाह देते समय इस परिदृश्य को केंद्र में रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं? इन सभी सवालों का जवाब तो वक़्त बताएगा, लेकिन यह तय है कि IEA का नेटज़ीरो होने का रोडमैप जारी करना बहुत कुछ कहता है और हमें बहुत कुछ समझने की ज़रूरत है।

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