संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुट्रिस ने साफ कहा है कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग के बजाय फिलहाल सभी देशों की प्राथमिकता कोरोना वाइरस से लड़ना है। गुट्रिस ने यह बात एक ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस में कही। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकना और पेरिस समझौते के लक्ष्य हासिल करना अब भी एजेंडा में हैं लेकिन फिलहाल सारा पैसा इस महामारी के नियंत्रण में खर्च होगा।
कोरोना वाइरस ने विकासशील देशों की योजनाओं पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। सभी देशों को इस साल नवंबर में यूके के ग्लासगो में होने वाले महासम्मेलन से पहले अपने क्लाइमेट एक्शन प्लान तैयार करने हैं लेकिन अब हो सकता है कि इस सम्मेलन के आयोजन में ही देरी हो।
कोरोना प्रभाव: फिक्की ने ऊर्जा क्षेत्र के लिये राहत मांगी
कोरोना महामारी फैलने के बाद अब उद्योग संघ फिक्की ने सरकार से कहा है कि वह ऊर्जा क्षेत्र में पैसा डाले और पावर कंपनियों के एनपीए को फिलहाल सस्पेंड कर दे। महामारी ने पावर सेक्टर पर भी काफी असर किया है। फरवरी में बिजली की खपत में आये 10.8% उछाल के बाद मार्च के पहले दो हफ्तों में खपत 3.6% गिर गई। बिजली वितरण कंपनियों ने उत्पादन कर रही कंपनियों को भुगतान रोक दिया है। राज्य सरकारों द्वारा उपभोक्ताओं से बिल न वसूले जाने को इसकी वजह बताया जा रहा है।
रुस के नये क्लाइमेट एक्शन प्लान से जानकार खुश नहीं
जानकारों ने रूस के संशोधित क्लाइमेट एक्शन प्लान की कड़ी आलोचना की है। इस प्लान के मुताबिक 2030 तक रूस के ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन बढ़ते रहेंगे। नयी योजना के मुताबिक 2030 तक रूस के उत्सर्जन 1990 की तुलना में 51% अधिक होंगे। हालांकि यह उसके अब तक के रोडमैप से बेहतर है क्योंकि उसके रहते 2030 में रूस के यही उत्सर्जन 1990 के मुकाबले 75% अधिक होते। लेकिन जानकार कहते हैं कि नये लक्ष्य का भी कोई फायदा नहीं है क्योंकि इससे हालात में कोई वास्तविक बदलाव नहीं होगा।
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