रेड अलर्ट: भारत की पहली जलवायु परिवर्तन आकलन रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अगर सख्त कदम नहीं उठाये गये तो आने वाले दिनों में चौतरफा संकट हमें घेर सकते हैं | Photo: Scroll

रेड अलर्ट: भारत की पहली जलवायु परिवर्तन आंकलन रिपोर्ट

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा जारी भारत के पहले जलवायु परिवर्तन आंकलन में कहा गया है कि सदी के अंत तक धरती का  तापमान 4.4 डिग्री तक बढ़ जायेगा। इसकी वजह से बाढ़, सूखे और चक्रवाती तूफानों के गंभीर संकट पैदा होंगे। पिछले शुक्रवार को आधिकारिक रूप से जारी की गई यह रिपोर्ट कहती है कि भारतीय रीज़न में अब तक 0.7 डिग्री की तापमान वृद्धि दर्ज की गई है जो पूरी तरह ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की वजह से है।  रिपोर्ट कहती है कि अगर तुरंत कार्बन उत्सर्जन काबू करने के उपाय नहीं किये गये तो हीट वेव्स (लू के थपेड़ों) में 3 से 4 गुना की बढ़त होगी और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से ही समुद्र जल स्तर में करीब  30 सेंटीमीटर यानी 1 फुट बढ़ जायेगी। कोलकाता, चेन्नई और मुंबई जैसे महानगरों समेत तटीय इलाकों के लिये यह एक गंभीर चुनौती होगी।

प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने ऑइल इंडिया को दिया क्लोज़र नोटिस वापस  लिया

असम के तिनसुकिया में ऑइल फील्ड में लगी आग के बाद प्रदूषण नियंत्रण कंट्रोल बोर्ड ने ऑइल इंडिया लिमिटेड को जो क्लोज़र नोटिस दिया था उसे सशर्त वापस ले लिया है। असम प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने नोटिस वापस लेने की सहमति संबंधित जो चिट्ठी भेजी है उसमें लिखा है कि ऑइल इंडिया हानिकारक कचरे के निपटारे के बारे में बोर्ड को जानकारी देगा। ऑइल इंडिया ने एक विस्तृत शपथ पत्र के साथ 24 लाख रुपये जुर्माने के तौर पर जमा किये हैं।

उधर भारतीय वन्य जीव संस्थान (WII) ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट में कहा है कि जब तक समुचित आपदा प्रबंधन नेटवर्क स्थापित नहीं हो जाता इस क्षेत्र में नये कुओं (प्रोजेक्ट्स) पर काम नहीं होना चाहिये। 27 मई को OIL के एक कुंए से गैस का रिसाव शुरू हुआ जिसके बाद वहां ज़बरदस्त आग लग गई जिसे अब तक पूरी तरह नहीं बुझाया जा सका है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस घटना के बाद न केवल स्थानीय लोहित नदी का जल पूरी तरह से प्रदूषित हो गया है बल्कि प्रदूषण ने मागुरी मोटापुंग वेटलैंड को भी बर्बाद कर दिया है।

मॉनसून पहुंचा दिल्ली, उत्तर-पश्चिम में होगी झमाझम बारिश 

मॉनसून अपने तय समय से कुछ पहले ही राजधानी दिल्ली पहुंच गया है। बुधवार को मॉनसून की पहली फुहार पड़ी। इससे पहले सोमवार सुबह दिल्ली में हुई बरसात से मौसम विभाग का पूर्वानुमान सही साबित हुआ। इस बरसात से लोगों को राहत मिली। पिछले 3-4 साल के मुकाबले इस साल मॉनसून की गाड़ी पटरी पर दिख रही है। आंकड़े बताते हैं कि 20 जून तक ही देश में 28% अतिरिक्त (सरप्लस) बरसात रिकॉर्ड हो गई थी जबकि पिछले साल इस वक्त तक  सामान्य से 25% कम बरसात हुई थी। भारत की 55% कृषि बरसात पर निर्भर है अब देखना होगा कि इस साल की भरपूर बारिश का कितना फायदा किसानों को मिलता है।

जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया भर में फिक्र: सर्वे

दुनिया के 40 देशों में इस बात को लेकर सर्वेक्षण किया गया कि लोगों में जलवायु परिवर्तन के असर को लेकर कितनी फिक्र है और नतीजे एकतरफा आये। यह ऐसा मुद्दा है जिसकी सभी को फिक्र है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के रॉयटर्स इंस्टिट्यूट ने सालाना डिजिटल रिपोर्ट जारी की है। केवल 3% लोगों को लगता है कि क्लाइमेट चेंज कोई गंभीर मुद्दा नहीं है। हर 10 में 7 प्रतिशत लोगों ने तो कहा कि यह बहुत गंभीर या अत्यधिक गंभीर मुद्दा है।

इस सर्वेक्षण के दौरान चिली, कीनिया, साउथ अफ्रीका औऱ फिलीपीन्स के नागरिकों ने सबसे अधिक (85-90%) चिन्ता जताई जबकि बेल्जियम, डेनमार्क, स्वाडन, नॉर्वे और नीदरलैंड जैसे देशों के नागरिकों को सबसे कम (50% या कम) परवाह दिखी।

डेयरी उद्योग के कार्बन इमीशन की किसी को परवाह नहीं: रिपोर्ट

क्या कार्बन इमीशन के मामले में डेयरी उद्योग को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। इंस्टिट्यूट फॉर एग्रीकल्चर एंड ट्रेड पॉलिसी (IATP) की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि दुनिया की 13 सबसे बड़ी डेरी कंपनियों का कुल कार्बन इमीशन यूनाइटेड किंगडम के कार्बन उत्सर्जन के बराबर है। दो सालों के भीतर (2015-17) इस सेक्टर के इमीशन 11% बढ़े हैं। IATP ने अमीर देशों से कहा है कि इस तथ्य को देखते हुये वह डेरी और मीट उत्पादों का उपयोग सीमित करें।

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