ज़हर उगले बिजलीघर: सीएसई की ताज़ा रिपोर्ट कहती है कि ज़्यादातर कोयला बिजलीघर 2022 तक भी नये उत्सर्जन मानकों को पूरा नहीं कर पायेंगे | Photo: Business Standard

मुंबई: लॉकडाउन में कोयला बिजलीघर और शिपिंग से हुआ SO2 प्रदूषण

मुंबई में लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण तो ज़रूर कम हुआ लेकिन दमघोंटू SO2 गैस का उत्सर्जन बढ़ा है। इसके पीछे कोयला बिजलीघर और शिपिंग इंडस्ट्री मुख्य स्रोत हैं। लॉकडाउन के बाद 25 मार्च से 18 मई के बीच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अध्ययन में पाया गया है कि प्रदूषण के 6 में से 5 कारकों में गिरावट आई है। 

अर्बन मिशन (http://www.urbanemissions.info/) के विश्लेषकों ने तीन लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण फैलाने वाले कणों PM 2.5, PM 10 के अलावा NO2,  SO2 और O3 के साथ कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO) के स्तर का अध्ययन किया और पाया कि लॉकडाउन से एक महीने पहले (फरवरी 20 से मार्च 22 के बीच) के मुकाबले SO2 के अलावा सभी प्रदूषकों का स्तर गिरा है।

सीएसई रिपोर्ट: नये मानकों को 2022 तक भी नहीं अपना पायेंगे कोल प्लांट

दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरेंमेंट (सीएसई) की ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयला बिजलीघर साल 2022 तक भी उन नये उत्सर्जन मानकों को पूरा नहीं कर पायेंगे जिन्हें सरकार ने 2015 में बनाया था। जबकि 2017 में इन कोल पावर प्लांट्स को 5 साल का छूट दी गई फिर भी अब तक ज़्यादातर प्लांट्स ने SO2 नियंत्रण की टेक्नोलॉजी नहीं लगाई है।

रिपोर्ट कहती है कि 70% कोल प्लांट 2015 में बनाये उन मानकों को 2022 में भी पूरा नहीं कर पायेंगे।

जबकि 60% प्रदूषक कणों (PM 2.5 और PM 10) के लिये कोल पावर प्लांट ही ज़िम्मेदार हैं। इसके अलावा हवा में मौजूद 45% SO2, 40% NOx और 80% मरकरी इन्हीं कोयला प्लांट्स से आता है।

पंजाब: पाबंदी के बावजूद किसानों ने खुंटी जलाने का रिकॉर्ड तोड़ा

पाबंदी के बावजूद पंजाब में किसानों ने फसल की खुंटी जलाई। 15 अप्रैल से 24 मई के बीच किसानों ने धान की फसल बोने के लिये गेहूं की फसल काटने के बाद रह गई खुंटी जलाई और इस मामले में पिछले 2 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया।  मई का महीना खत्म होने से एक हफ्ते पहले 24 मई तक किसान 13,026 जगह खेतों में आग लगा चुके थे। साल 2018 में 11,510 और 2019 में 11,698 जगह पराली जलाने की घटनायें हुईं थी।

चीन: लॉकडाउन खत्म होते ही प्रदूषण का ग्राफ बढ़ा

चीन में लॉकडाउन में ढील के साथ ही अप्रैल के महीने में प्रदूषण का ग्राफ तेज़ी से बढ़ा। फिनलैंड स्थित रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की स्टडी बताती है कि 30 दिनों के भीतर (12 अप्रैल से 8 मई) के दौरान – पिछले साल इसी वक्त की तुलना में – प्रदूषण अधिक हो गया। शोधकर्ताओं ने 1,500 एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों के डाटा का अध्ययन किया और पाया कि पार्टिकुलेट मैटर (PM 10, PM 2.5) नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, सल्फर और ओज़ोन जैसे प्रदूषक बढ़ गये हैं। इसके पीछे भारी उद्योग में तेज़ी मुख्य कारण है। इस बीच चीन ने कहा है कि वह वायु प्रदूषण रोकने के लिये कड़े कदम उठायेगा। चीन का कहना है कि उसके एनर्जी लक्ष्य कोरोना के प्रभाव पर निर्भर हैं लेकिन वह कम प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करेगा। चीन ने स्टील मिलों के लिये अल्ट्रा लो इमीशन मानक लागू करने की बात कही है औऱ घोषणा की कि 2020 में पर्यावरण संरक्षण के लिये 5700 करोड़ डॉलर दिये जायेंगे।

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