तूफान और बाढ़: पूर्वी तट पर आये तूफान अम्फान के कारण असम को बाढ़ का सामना करना पड़ा तो दूसरी और पश्चिमी तट पर आये निसर्ग ने कम से कम 4 लोगों की जान ले ली। फोटो: Deccan Herald

भारत में 10 दिनों के भीतर आया दूसरा चक्रवात, बाढ़ में डूबा असम

अरब सागर से उठे चक्रवाती तूफान निसर्ग की वजह से कम से कम 4 लोगों की मौत हो गई और करोड़ो रूपये का नुकसान हो गया। इस तूफान के कारण मायानगरी मुंबई का तो कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन रायगढ़ ज़िले की 15 में 8 तहसीलों में घरों, भवनों और झुग्गी-झोपड़ियों को मिलाकर 5 लाख से अधिक ढांचों को नुकसान पहुंचा। कई भवनों की छतें उड़ गईं और बिजली के हज़ारों खम्भे गिर गये। पूर्वी तट पर आये तूफान अम्फान के बाद 10 दिन के भीतर यह भारत के तट से टकराने वाला दूसरा तूफान बना। हालांकि निसर्ग ने अम्फान जैसी तबाही नहीं मचाई फिर भी बार-बार कम अंतराल में आ रहे चक्रवात अब मौसम विज्ञानियों और आपदा प्रबंधकों के लिये सिरदर्द बन रहे हैं।

उत्तर पूर्वी राज्य असम के 9 ज़िलों में अम्फान तूफान के कारण हुई लगातार मूसलाधार बारिश से  बाढ़ का कहर टूट पड़ा है। करीब 3 लाख लोगों के जीवन पर अभी इसका पड़ा है। वैसे तो बाढ़ असम में हर साल आती है लेकिन चक्रवात अम्फान की वज़ह से इसका प्रकोप कुछ पहले ही हो गया। कोरोना महामारी के वक्त राहत कैंपों में ठूंसे गये लोगों के बीच यह समस्या और तेज़ी से बढ़ने का ख़तरा है।

समुद्र तटों पर 3 करोड़ से अधिक लोगों को ख़तरा

एक नये शोध में बताया गया है कि दुनिया भर में समुद्र तटीय इलाकों में रहने वाले करीब 3.1 करोड़ लोग “अत्यधिक असुरक्षित” हैं। यह ख़तरा चक्रवाती तूफानों और समंदर के जल स्तर के बढ़ने की वजह से है। इन कारकों के पीछे जलवायु परिवर्तन का हाथ बताया गया है।  लेकिन शोध यह भी बताता है कि इस असुरक्षित आबादी के करीब 25% हिस्से के पास इन खतरों से बचने के लिये प्राकृतिक ढाल का रक्षा कवच मौजूद है।

साइंस पत्रिका प्लोस वन (PLOS ONE) में छपे शोध में कहा गया है कि जिन 3.1 करोड़ लोगों को तूफानों और समुद्र सतह के बढ़ने से ख़तरा है उनमें से 85 लाख लोगों को मैंग्रोव और कोरल रीफ यानी प्रवाल भित्तियां कुछ हद तक सुरक्षा कवच प्रदान कर सकती हैं। 

कोरोना की पाबंदियों के बावजूद CO2 रिकॉर्ड स्तर पर

कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन और अर्थव्यवस्था पर चोट के बावजूद मई के महीने में औसत CO2 स्तर पिछले साल (मई – 2019) के मुकाबले अधिक रहा।  यूनिवर्सिटी ऑफ केलिफोर्निया, सेंट डियागो ने जो आंकड़े जारी किये हैं वह बताते हैं कि हवाई की मोना लोआ वेधशाला में CO2 का स्तर 417 पार्ट प्रति मिलियन (पीपीएम) पाया गया। मई के महीने में CO2 इतने ऊंचे स्तर पर कभी नहीं पाई गई। पिछले साल मई में यह स्तर 414.7 पीपीएम था।

दुनिया के कई देशों में कोरोना महामारी के कारण लागू पाबंदियों से इमीशन 26% तक कम हुए हैं लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि पौंधों का मिट्टी, और नमी के साथ कैसा बर्ताव रहता है इसके वृहद प्रभाव को निरस्त करने में यह गिरावट कामयाब नहीं हुई। अमेरिका की कोलेराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दुनिया में सबसे साफ हवा वाली जगह खोजने का दावा किया है।

है एक जगह जहां कोई प्रदूषण नहीं!

समाचार वेबसाइट डी-डब्लू हिन्दी में छपी एक ख़बर के मुताबिक वैज्ञानिकों ने यह जगह सुदूर दक्षिण ध्रुव के पास खोजी है। अंटार्कटिका के इस हिस्से में इंसान का नामोनिशान नहीं है और हवा में कोई प्रदूषण नहीं पाया गया।  यह खोज ऑस्ट्रेलियाई मरीन नेशनल फेसलिटीज़ के शोधकर्ताओं द्वारा जुटाये गये नमूनों के आधार पर किया गया है। वायु प्रदूषण दुनिया में लाखों लोगों की मौत का कारण बनता है। कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में छपे शोध बता चुके हैं कि भारत में हर साल 10 लाख से अधिक लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है। दुनिया के 20 प्रदूषित शहरों में से 15 भारत के हैं। ऐसे में दक्षिणी ध्रुव के पास खोजी गई प्रदूषण रहित जगह इंसान ख्वाब में ही हासिल कर सकता है।

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